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भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर को अपनी क्रिकेट की काबिलियत या क्रिकेट में किए गए कारनामे को साबित करने के लिए किसी के सर्टिफ़िकेट की ज़रूरत नहीं है लेकिन अगर खेल मंत्रालय के बाबुओं की टीम गावस्कर को इनाम देने से चूक गई है तो गावस्कर के रिकॉर्ड पर नज़र डा
बात सिर्फ़ इतनी नहीं है कि उनके नाम 34 शतक हैं और ऐसा करने वाले वह दुनिया के पहले क्रिकेटर थे। 125 टेस्ट, 108 वनडे और 348 फ़र्स्ट क्लास मैच खेलने वाले गावस्कर के नाम वर्ल्ड कप का ख़िताब भी है और इनसे बड़ी बात यह है कि वर्ल्ड क्रिकेट में सर उठाकर चलने की परंपरा गावस्कर से ही शुरू हुई।
टेस्ट क्रिकेट में बगैर हेडगियर और तमाम गार्ड्स के बग़ैर खेलते हुए उनके पास सभी क्रिकेटिंग स्ट्रोक थे। उन्हें खेलते देखते हुए क्रिकेट की पीढ़ियां बड़ी हुईं। सचिन तेंदुलकर हों या राहुल द्रविड़, विवियन रिचर्ड्स हों या क्लाइव लॉयड सब गावस्कर के हुनर के कायल हैं। बस पुरस्कार समिति के अधिकारी, बाबू और बाकी के सदस्य उनसे खुश नहीं हो पाए।
सत्तर और अस्सी के दशक में ऐसा कौन भारतीय होगा जिसने गावस्कर को खेलते समय रेडियो पर कॉमेन्ट्री नहीं सुनी होगी... ऐसा कौन क्रिकेटप्रेमी होगा जिसका गावस्कर की बल्लेबाज़ी ने सिर फ़ख्र से ऊंचा नहीं किया होगा। गावस्कर को यह पुरस्कार मिलता तो इस पुरस्कार की पहचान बढ़ सकती थी।
इस फ़ैसले से क्रिकेट के जानकार काफ़ी हैरान हैं। ध्यानचंद अवॉर्ड पाने वाले खिलाड़ियों में पूर्व हॉकी खिलाड़ी सैयद अली, रेसर अनिल मान, ऐथलीट मेरी डिसूज़ा और पैरालिंपिक्स में हिस्सा ले चुके गिरिराज सिंह शामिल हैं। इन खिलाड़ियों के नाम और इनकी काबिलियत से किसी को ऐतराज़ नहीं लेकिन चयनकर्ताओं ने गावस्कर का नाम हटाकर हर बार की तरह बिलावजह एक विवाद मोल ले लिया है।
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