कुछ विशेषज्ञों का भले ही मानना हो कि भारतीय दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की विदाई टेस्ट शृंखला में भारत ने वेस्ट इंडीज़ की कमजोर टीम का सामना किया, लेकिन पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज मनोज प्रभाकर ने का कहना है कि कैरेबियाई टीम प्रतिस्पर्धी थी।
मनोज प्रभाकर ने कहा, ''वेस्ट इंडीज़ की टीम जब शीर्ष पर थी तो विरोधी टीमें उनसे डरती थीं... भारत के खिलाफ टेस्ट शृंखला उन्होंने भले ही बुरी तरह गंवाई हो, लेकिन वह फिर भी प्रतिस्पर्धी टीम है... कोई भी यह नहीं कह सकता कि भारत को कमजोर विरोधी मिला...''
अंतिम अंतरराष्ट्रीय पारी में सचिन तेंदुलकर के 74 रन बनाने के बारे में पूछने पर मनोज प्रभाकर ने कहा, ''सचिन तेंदुलकर ने रणजी मैच में खेलकर टेस्ट शृंखला की अच्छी तैयारी की थी... पहली पारी में उसने जिस तरह बल्लेबाजी की, वह शानदार थी... वह विदाई को यादगार बनाना चाहता था और उसने ऐसा किया...''
उल्लेखनीय है कि जब वर्ष 1989 में सचिन तेंदुलकर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था, मनोज प्रभाकर भारतीय टीम का हिस्सा थे और इस पूर्व तेज गेंदबाज ने कहा कि अपने विवादरहित करियर के दौरान इस महान बल्लेबाज में कोई बदलाव नहीं आया।
मनोज प्रभाकर के अनुसार, ''सचिन तेंदुलकर ने 24 साल लंबे अपने करियर के दौरान बिना किसी विवाद के देश की सेवा की... वह जब भी देश के लिए खेला, उसने हर बार अपना काम किया... उसने कभी सफलता को अपने दिमाग पर हावी नहीं होने दिया और हमेशा अपने पैर जमीन पर रखे... वह अंत तक वही व्यक्ति रहा, जो वह 1989 में था...''
50-वर्षीय पूर्व क्रिकेटर मनोज प्रभाकर ने कहा, ''उसने अपने जीवन के दौरान भी वही अनुशासन बनाए रखा... उसने अपने जीवन के सबसे अच्छे दिन देश को दे दिए... खेल के प्रति उसकी ईमानदारी ने उसे ऐसा महान क्रिकेटर बनाया...''
उधर, एक अन्य पूर्व क्रिकेटर मनिंदर सिंह ने भी कहा कि सचिन तेंदुलकर ने परफेक्ट स्पीच के साथ खेल को अलविदा कहा। उन्होंने कहा, ''सचिन अपनी अंतिम पारी में बेहतरीन था... उसकी विदाई बेमिसाल थी... मैच के बाद उनके भाषण ने सभी को भावुक कर दिया... मैंने उम्मीद की ही थी कि वह भावुक भाषण देगा...''
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