वीरेंद्र सहवाग और सौरव गांगुली (सौजन्य : AFP)
सोमवार को संन्यास की खबरों को नकारने के बाद वीरेंद्र सहवाग ने आखिरकार अपने 37वें जन्मदिन पर मंगलवार को इंटरनेशनल क्रिकेट से रिटायरमेंट ले लिया। गौरतलब है कि उन्होंने एक दिन पहले ही दुबई से भारत लौटकर इस बारे में घोषणा करने की बात कही थी।
मुरली को खेलना रहा मुश्किल, गांगुली को था भरोसा
रिटायरमेंट के बाद सहवाग ने कहा, कि उन्हें श्रीलंका के ऑफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन से सबसे ज्यादा डर लगता था। मुरली का सामना करना मुश्किल काम था। इसके साथ ही सहवाग ने पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उन्होंने मेरे लिए ओपनिंग स्लॉट खाली किया। गौरतलब है कि वीरेंद्र सहवाग को गांगुली का भरपूर समर्थन हासिल था। गांगुली ने सहवाग को न केवल खुलकर खेलने की आजादी दी थी, बल्कि उनके खराब फॉर्म और कई बार शतक के करीब या अहम मौकों पर आउट होने के तरीकों का भी आक्रामक तरीके से बचाव किया।
कमेंट्री या कोचिंग हैं विकल्प
रिटारमेंट के बाद के प्लान पर वीरू ने कहा, "क्रिकेट मेरा प्यार है। अब मैं कमेंट्री कर सकता हूं या फिर किसी एकेडमी में कोचिंग दे सकता हूं।"
वीरू ने कहा, "मैं वर्ल्ड का सबसे लकी क्रिकेटर हूं। जिसे सचिन, द्रविड़ गांगुली, कुंबले और जहीर खान जैसे लीजेंड्स के साथ क्रिकेट खेलने का मौका मिला।"
पिता को याद किया
नजफगढ़ के सुल्तान ने संन्यास के बाद अपने पिता को याद करते हुए कहा, "मैं इस समय अपने पिता को बहुत याद कर रहा हूं, जो मेरे करियर की शुरुआत में मेरे साथ रहे। वे आज जहां भी होंगे, मुझे देखकर प्राउड कर रहे होंगे।
पत्नी बच्चे हैं ताकत
सहवाग ने यह भी कहा, 'मेरी मां, पत्नी आरती और बच्चे आर्यवीर और वेदांत मेरी ताकत हैं। इनकी वजह से मुझे कभी जीवन में डर नहीं लगा और मैं सिर ऊंचा करके जी सका।"
डेब्यू करना, वर्ल्ड कप जीतना यादगार पल
उन्होंने कहा, "जिस दिन मैंने टेस्ट में डेब्यू किया, वो मेरी जिंदगी का सबसे यादगार पल रहा। मेरे क्रिकेट करियर के यादगार पलों में टेस्ट में 300 रन बनाना, वर्ल्ड कप-2011 जीतना रहे।"
शर्मा सर, शुक्रिया
सहवाग ने कहा, "मैं अपने कोच एएन शर्मा सर को थैंक्स कहना चाहता हूं। वह एकमात्र ऐसे कोच हैं, जिन्होंने मुझे एक खिलाड़ी के तौर पर तैयार किया। मैं अपने स्कूल के दिनों में काफी संघर्ष किया करता था, लेकिन शर्मा सर ने मुझे हौसला दिया।"
मुरली को खेलना रहा मुश्किल, गांगुली को था भरोसा
रिटायरमेंट के बाद सहवाग ने कहा, कि उन्हें श्रीलंका के ऑफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन से सबसे ज्यादा डर लगता था। मुरली का सामना करना मुश्किल काम था। इसके साथ ही सहवाग ने पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उन्होंने मेरे लिए ओपनिंग स्लॉट खाली किया। गौरतलब है कि वीरेंद्र सहवाग को गांगुली का भरपूर समर्थन हासिल था। गांगुली ने सहवाग को न केवल खुलकर खेलने की आजादी दी थी, बल्कि उनके खराब फॉर्म और कई बार शतक के करीब या अहम मौकों पर आउट होने के तरीकों का भी आक्रामक तरीके से बचाव किया।
कमेंट्री या कोचिंग हैं विकल्प
रिटारमेंट के बाद के प्लान पर वीरू ने कहा, "क्रिकेट मेरा प्यार है। अब मैं कमेंट्री कर सकता हूं या फिर किसी एकेडमी में कोचिंग दे सकता हूं।"
सिंगापुर में बच्चों को क्रिकेट के गुर सिखाते सहवाग (फोटो सहवाग के फेसबुक पेज से)
वीरू ने कहा, "मैं वर्ल्ड का सबसे लकी क्रिकेटर हूं। जिसे सचिन, द्रविड़ गांगुली, कुंबले और जहीर खान जैसे लीजेंड्स के साथ क्रिकेट खेलने का मौका मिला।"
पिता को याद किया
नजफगढ़ के सुल्तान ने संन्यास के बाद अपने पिता को याद करते हुए कहा, "मैं इस समय अपने पिता को बहुत याद कर रहा हूं, जो मेरे करियर की शुरुआत में मेरे साथ रहे। वे आज जहां भी होंगे, मुझे देखकर प्राउड कर रहे होंगे।
पत्नी बच्चे हैं ताकत
सहवाग ने यह भी कहा, 'मेरी मां, पत्नी आरती और बच्चे आर्यवीर और वेदांत मेरी ताकत हैं। इनकी वजह से मुझे कभी जीवन में डर नहीं लगा और मैं सिर ऊंचा करके जी सका।"
डेब्यू करना, वर्ल्ड कप जीतना यादगार पल
उन्होंने कहा, "जिस दिन मैंने टेस्ट में डेब्यू किया, वो मेरी जिंदगी का सबसे यादगार पल रहा। मेरे क्रिकेट करियर के यादगार पलों में टेस्ट में 300 रन बनाना, वर्ल्ड कप-2011 जीतना रहे।"
शर्मा सर, शुक्रिया
सहवाग ने कहा, "मैं अपने कोच एएन शर्मा सर को थैंक्स कहना चाहता हूं। वह एकमात्र ऐसे कोच हैं, जिन्होंने मुझे एक खिलाड़ी के तौर पर तैयार किया। मैं अपने स्कूल के दिनों में काफी संघर्ष किया करता था, लेकिन शर्मा सर ने मुझे हौसला दिया।"
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