ईशान किशन (फोटो फेसबुक से साभार)
पटना:
अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया की कमान झारखंड रणजी टीम से खेलने वाले क्रिकेटर ईशान किशन को सौंपी गई है। ईशान का टैलेंट कोच और टीम इंडिया के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ के मार्गदर्शन में निखरा और उन्हें कप्तानी का मौका मिल गया। ईशान बचपन से ही क्रिकेट के प्रति समर्पित थे, यहां तक कि उन्हें इसके कारण स्कूल से भी निकाल दिया गया था। (यह भी पढ़ें- मिलिए, महेंद्र सिंह धोनी जैसे ही हैं अंडर-19 टीम इंडिया के कप्तान ईशान किशन)
क्रिकेट के कारण पढ़ाई में पिछड़े
ईशान पटना के दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ते थे। इस दौरान उनमें क्रिकेट से इतना लगाव हो गया कि वे पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते थे। उनके क्रिकेट के प्रति जुनून को इसी से समझा जा सकता है कि इसके कारण उन्हें स्कूल से निष्कासित तक कर दिया गया था, फिर भी उन्होंने क्रिकेट खेलना नहीं छोड़ा। इसमें उनके भाई राज किशन ने भरपूर साथ दिया। उन्हीं की बदौलत ईशान आज यहां तक पहुंचे हैं।
भाई ने दिया साथ
गौरतलब है कि उनके भाई राज किशन भी राज्यस्तरीय क्रिकेट खेल चुके हैं, लेकिन उन्होंने ईशान की प्रतिभा को देखते हुए अपने खेल से ध्यान हटाकर ईशान के खेल पर पूरा ध्यान दिया। उन्होंने हमेशा उनका उत्साह बढ़ाया।
राज कहते हैं, "ईशान शुरू से ही क्रिकेटर बनना चाहता था। पढ़ाई को लेकर परिजनों से डांट पड़ती थी तब मैं उसके साथ खड़ा रहता था। आज उसकी उपलब्धि से पूरा बिहार गौरवान्वित है।" उन्होंने बताया, "नौवीं कक्षा तक हम दोनों साथ खेलते थे। परंतु ईशान मुझसे बेहतर था। इस कारण मैंने खेलना छोड़ दिया और उसके खेल पर ही मेहनत करने लगा।"
पटना की गलियों से ही क्रिकेट की बारीकियां सीखने वाले ईशान की इस उपलब्धि पर उसके परिवार वाले भी फूले नहीं समा रहे हैं।
ईशान के पिता प्रणव कुमार पांडेय ने कहा, "ईशान ने न केवल अपने परिवार बल्कि हर बिहारी का सिर गौरव से ऊंचा किया है। भले ही ईशान आज झारखंड से खेल रहा हो, परंतु उसने क्रिकेट की बारीकियां पटना की गलियों में ही सीखीं।"
सबसे फुर्तीला विकेटकीपर
राजधानी के कंकड़बाग में सात वर्ष की उम्र में ही बल्ला थाम लेने वाले ईशान बेहतरीन विकेटकीपर भी हैं। ईशान के पूर्व कोच बिहार के पूर्व क्रिकेटर अमीकर दयाल ने कहा, "ईशान मौजूदा समय में देश के सबसे फुर्तीले विकेटकीपरों में से एक है। ईशान में शुरू से ही क्रिकेट के प्रति जुनून था। जल्द ही वे भारतीय टीम का हिस्सा बनेंगे।"
पटना छोड़ गए रांची
ईशान पटना से तीन साल पहले क्रिकेट खेलने झारखंड की राजधानी रांची चले गए। यहां उन्होंने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) की ओर से खेलना शुरू किया और धीरे-धीरे क्रिकेट की बारीकियों को सीखते हुए 17 दिसंबर 2014 को प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया।
18 जुलाई 1998 को जन्मे ईशान ने रणजी ट्रॉफी में झारखंड की टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने पदार्पण मैच में ही 60 रनों की बेहतरीन पारी खेली। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
स्कूलों को समझनी चाहिए प्रतिभा
ईशान के पिता ने बताया, "पढ़ाई में कमजोर रहने के कारण उसे कई बार मां और शिक्षकों की डांट भी पड़ी। स्कूल को भी ऐसे बच्चों की प्रतिभा को समझना चाहिए।"
ईशान की मां सुचित्रा सिंह भी अपने पुत्र की इस उपलब्धि पर फूली नहीं समा रहीं। उन्होंने कहा, "पढ़ाई के कारण उसे काफी डांट पड़ती थी, लेकिन उसने हमेशा अपने मन की ही की और आज हम सबको उस पर गर्व है।"
किशन इस समय बेंगलुरू में विजय हजारे ट्राफी की तैयारियों में जुटे हुए हैं। उनके पटना स्थित आवास पर जश्न का माहौल है, वहीं उनकी इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी फोन कर बधाई दी है।
क्रिकेट के कारण पढ़ाई में पिछड़े
ईशान पटना के दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ते थे। इस दौरान उनमें क्रिकेट से इतना लगाव हो गया कि वे पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते थे। उनके क्रिकेट के प्रति जुनून को इसी से समझा जा सकता है कि इसके कारण उन्हें स्कूल से निष्कासित तक कर दिया गया था, फिर भी उन्होंने क्रिकेट खेलना नहीं छोड़ा। इसमें उनके भाई राज किशन ने भरपूर साथ दिया। उन्हीं की बदौलत ईशान आज यहां तक पहुंचे हैं।
भाई ने दिया साथ
गौरतलब है कि उनके भाई राज किशन भी राज्यस्तरीय क्रिकेट खेल चुके हैं, लेकिन उन्होंने ईशान की प्रतिभा को देखते हुए अपने खेल से ध्यान हटाकर ईशान के खेल पर पूरा ध्यान दिया। उन्होंने हमेशा उनका उत्साह बढ़ाया।
राज कहते हैं, "ईशान शुरू से ही क्रिकेटर बनना चाहता था। पढ़ाई को लेकर परिजनों से डांट पड़ती थी तब मैं उसके साथ खड़ा रहता था। आज उसकी उपलब्धि से पूरा बिहार गौरवान्वित है।" उन्होंने बताया, "नौवीं कक्षा तक हम दोनों साथ खेलते थे। परंतु ईशान मुझसे बेहतर था। इस कारण मैंने खेलना छोड़ दिया और उसके खेल पर ही मेहनत करने लगा।"
पटना की गलियों से ही क्रिकेट की बारीकियां सीखने वाले ईशान की इस उपलब्धि पर उसके परिवार वाले भी फूले नहीं समा रहे हैं।
ईशान के पिता प्रणव कुमार पांडेय ने कहा, "ईशान ने न केवल अपने परिवार बल्कि हर बिहारी का सिर गौरव से ऊंचा किया है। भले ही ईशान आज झारखंड से खेल रहा हो, परंतु उसने क्रिकेट की बारीकियां पटना की गलियों में ही सीखीं।"
सबसे फुर्तीला विकेटकीपर
राजधानी के कंकड़बाग में सात वर्ष की उम्र में ही बल्ला थाम लेने वाले ईशान बेहतरीन विकेटकीपर भी हैं। ईशान के पूर्व कोच बिहार के पूर्व क्रिकेटर अमीकर दयाल ने कहा, "ईशान मौजूदा समय में देश के सबसे फुर्तीले विकेटकीपरों में से एक है। ईशान में शुरू से ही क्रिकेट के प्रति जुनून था। जल्द ही वे भारतीय टीम का हिस्सा बनेंगे।"
पटना छोड़ गए रांची
ईशान पटना से तीन साल पहले क्रिकेट खेलने झारखंड की राजधानी रांची चले गए। यहां उन्होंने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) की ओर से खेलना शुरू किया और धीरे-धीरे क्रिकेट की बारीकियों को सीखते हुए 17 दिसंबर 2014 को प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया।
18 जुलाई 1998 को जन्मे ईशान ने रणजी ट्रॉफी में झारखंड की टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने पदार्पण मैच में ही 60 रनों की बेहतरीन पारी खेली। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
स्कूलों को समझनी चाहिए प्रतिभा
ईशान के पिता ने बताया, "पढ़ाई में कमजोर रहने के कारण उसे कई बार मां और शिक्षकों की डांट भी पड़ी। स्कूल को भी ऐसे बच्चों की प्रतिभा को समझना चाहिए।"
ईशान की मां सुचित्रा सिंह भी अपने पुत्र की इस उपलब्धि पर फूली नहीं समा रहीं। उन्होंने कहा, "पढ़ाई के कारण उसे काफी डांट पड़ती थी, लेकिन उसने हमेशा अपने मन की ही की और आज हम सबको उस पर गर्व है।"
किशन इस समय बेंगलुरू में विजय हजारे ट्राफी की तैयारियों में जुटे हुए हैं। उनके पटना स्थित आवास पर जश्न का माहौल है, वहीं उनकी इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी फोन कर बधाई दी है।
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