महेंद्र सिंह धोनी की फाइल फोटो
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) के पास पेशेवर निशानेबाजों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाली वाल्थर राइफल है और वह भारतीय राष्ट्रीय राइफल महासंघ (एनआरएआई) के आजीवन सदस्य भी है ,ऐसे में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद उनके पास निशानेबाजी में हाथ आजमाने का विकल्प होगा. वाल्टर राइफल का यही एलजी 300 एक्सटी वाल्टर कार्बोनटेक मॉडल बीजिंग ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय निशानेबाज अभिनव बिंद्रा के पास भी है. धोनी (MS Dhoni) ने इस राइफल के आयात की जानकारी के लिए रात दो बजे मेल भेजा था और जब रांची के उनके घर में यह पहुंचा तो इस पर हाथ आजमाने के वह निशानेबाजी रेंज पर पहुंच गये. इसके बाद उन्होंने देश के कई निशानेबाजी रेंज में इस राइफल का इस्तेमाल किया.
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इंडियनशूटिंग डॉट कॉम वेबसाइट चलाने वाले भारत के पूर्व निशानेबाज शिमोन शरीफ ने बताया, ‘‘ मुझे एक बार देर रात करीब दो बजे एक मेल आया. राइफल को आयात करने के लिए मैंने पूरा नाम और पता पूछा तब उन्होंने कुछ ही मिनटों में अपने पूरे नाम के साथ रांची का पता भेजा. तब मुझे एहसास हुआ कि यह वही (धोनी) है.' शरीफ प्रमुख भारतीय निशानेबाजों के लिए उपकरणों के लिए शीर्ष आयातकों में से एक हैं.
धोनी के साथ संन्यास की घोषणा करने वाले सुरेश रैना से हाल ही में निशानेबाज मानवादित्य सिंह राठौर ने बताया था कि धोनी निशानेबाजी में पेशेवर की तरह हैं मानवादित्य ओलंपिक रजत-पदक विजेता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के बेटे हैं. मानवादित्य ने बताया कि जब धोनी उनके घर आये थे तब से वह उनकी निशानेबाजी से प्रभावित हैं. उन्होंने कहा ‘‘ निशानेबाजी में भी उनकी काफी रुचि है. मुझे लगता है कि वह हर समय सही निशाना साधते है.'
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धोनी ने अतीत में अपने निशानेबाजी कौशल का प्रदर्शन किया है. 2017 में जब कोलकाता में बारिश के कारण एक टीम अभ्यास सत्र रद्द हो गया था तब धोनी कोलकाता पुलिस प्रशिक्षण स्कूल गये थे और पिस्टल निशानेबाजी में अपना हाथ आजमाया था. कोलकाता पुलिस ने तब कहा था, ‘‘ उनकी सटीकता शानदार है.' शरीफ ने कहा, ‘‘जब उन्होंने यह राइफल ली थी तब मैंने इसे खेल के तौर पर लेने के लिए उन्हें मदद करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन वह क्रिकेट प्रतिबद्धताओं के कारण काफी व्यस्त थे.' उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने कई पेशेवर एथलीटों को देखा है जिसने अपने खेल से संन्यास लेने के बाद निशानेबाजी में हाथ आजमाया और ओलिंपिक चैंपियन भी बने. अन्य खेलों के उलट निशानेबाजी और गोल्फ में खिलाड़ी अधिक उम्र तक खेल सकते है.'
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