
- भारत ने 25 जून 1983 को वेस्टइंडीज को हराकर पहला विश्व कप जीता था.
- कपिल देव की कप्तानी में टीम ने 183 रनों का सफलतापूर्वक बचाव किया था.
- मोहिंदर अमरनाथ ने 26 रन और 3 विकेट लेकर मैन ऑफ द मैच बने थे.
Team India 1983 World Cup Winning Moment: आज से ठीक 42 साल पहले भारत ने भारतीय फैंस को वो यादगार लम्हा दे गया जो हमेशा के लिए उनके दिलों में बस गया, टीम इंडिया उस समय ट्रॉफी की दावेदार तक नहीं मानी जा रही थी, मानो माहौल ऐसा था की सबको ये लग रहा था की चलो मौका मिला है तो खेल लेते हैं, लेकिन उस टीम में एक ऐसा भी खिलाड़ी था जिसके मन में ये चल रहा था की हम ट्रॉफी जीत सकते हैं और उनका नाम है टीम इंडिया के पूर्व कप्तान कपिल देव जिन्होंने अपने ऑलराउंडर प्रदर्शन से अपने साथी खिलाड़ियों में ये विश्वास जगाया की अगर हम सब मिलकर प्रयास करें तो हम चैंपियन बन सकते हैं.
दरअसल उस वक्त की वेस्टइंडीज टीम को ऐसा माना जाता था की उस टीम के खिलाफ किसी का पार पाना लगभग असंभव था जिसे भारत ने मुमकिन कर दिखाया और भारत ने दो बार की चैंपियन वेस्टइंडीज को लॉर्ड्स में हराकर पहली बार वर्ल्ड कप ट्रॉफी जीती जिसे प्रूडेंशियल कप '83 के नाम से भी जाना जाता है, विश्व कप 1983 के मुकाबले इंग्लैंड और वेल्स में 9 से 25 जून 1983 तक आयोजित किया गया था. इसमें कुल 8 टीमों ने भाग लिया था.
फाइनल मुकाबले में वेस्टइंडीज ने टॉस जीता और पहले गेंदबाजी करने का विकल्प चुना. फाइनल में प्रवेश करते हुए, भारत ने 1975 और 1979 में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद क्रिकेट के इस सबसे बड़े आयोजन में अपने प्रभावशाली प्रदर्शन से क्रिकेट जगत को चौंका दिया. वेस्टइंडीज 1975 और 1979 में पिछले दो विश्व कप जीतकर पसंदीदा के रूप में फाइनल में प्रवेश किया था. कपिल देव की अगुवाई वाली टीम केवल 183 रन ही बना सकी, जिसमें एंडी रॉबर्ट्स ने तीन विकेट लिए, जबकि मैल्कम मार्शल, माइकल होल्डिंग और लैरी गोम्स ने दो-दो विकेट लिए। 183 रनों का बचाव करते हुए भारत ने कैरेबियाई टीम को 6 विकेट के नुकसान पर 76 रन पर समेट दिया
1. जब कपिल देव की कप्तानी में पहली बार विश्व विजेता बना भारत
25 जून 1983 को भारत ने क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा उलटफेर करते हुए दो बार की चैंपियन वेस्टइंडीज को लॉर्ड्स में हराकर पहली बार वर्ल्ड कप ट्रॉफी जीती. यह जीत न सिर्फ एक खिताब थी, बल्कि भारतीय क्रिकेट की आत्मा को बदल देने वाला पल बन गई.
2. 183 रनों का बचाव कर दुनिया जगत को किया था हैरान
भारत ने सिर्फ 183 रन बनाए थे, लेकिन मजबूत विंडीज बल्लेबाजी लाइनअप को 140 रन पर समेटकर 43 रनों से मैच जीत लिया. उस समय यह लक्ष्य बहुत छोटा माना जा रहा था, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने आत्मविश्वास और अनुशासन के दम पर इतिहास रच दिया.
3. मोहिंदर अमरनाथ का ऑलराउंड परफॉर्मेंस बने थे मैन ऑफ द मैच
फाइनल में मोहिंदर अमरनाथ ने बल्ले से 26 रन और गेंद से 3 विकेट लेकर मैच का रुख पलट दिया. उन्होंने माइकल होल्डिंग का आखिरी विकेट लेकर भारत को चैंपियन बना दिया. उनका यह प्रदर्शन आज भी भारतीय क्रिकेट की सबसे प्रतिष्ठित पारियों में गिना जाता है.
4. लॉर्ड्स की बालकनी से कपिल देव का ट्रॉफी उठाने वाला पल
मैच के बाद कपिल देव का लॉर्ड्स की बालकनी से वर्ल्ड कप ट्रॉफी उठाना भारतीय क्रिकेट के सबसे प्रतीकात्मक और भावनात्मक क्षणों में से एक बन गया. यह तस्वीर आज भी हर भारतीय क्रिकेट प्रशंसक की स्मृति में बसी हुई है.
5. क्रिकेट को देशभर में लोकप्रिय बनाने वाली जीत
1983 की यह जीत भारतीय क्रिकेट के लिए एक क्रांति साबित हुई. इसने देशभर के युवाओं को क्रिकेट खेलने का सपना दिखाया. सचिन तेंदुलकर जैसे महान खिलाड़ियों ने भी इसी जीत से प्रेरणा लेकर अपने सफर की शुरुआत की थी.
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