बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने लोढ़ा कमेटी की कुछ सिफारिशों पर विरोध जताया है.
नई दिल्ली:
BCCI की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 2 हफ्ते बाद फैसला सुनाएगा. दो हफ्ते बाद बेंच बैठेगी और पुनर्विचार पर सुनवाई करेगी. गौरतलब है कि बीसीसीआई में सुधारों के संबंध में जस्टिस लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को पूर्ण रूप से लागू करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर बोर्ड ने पुनर्विचार याचिका दायर की है. सर्वोच्च कोर्ट ने 18 जुलाई को बीसीसीआई को जस्टिस लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को पूर्ण रूप से लागू करने का फैसला सुनाया था, जिस पर BCCI ने 16 अगस्त को पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी.
याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर फिर से विचार करे और इसके लिए पांच जजों की बेंच बनाई जाए. यह भी मांग की थी कि बेंच में चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर न हों. याचिका के अनुसार सुप्रीम कोर्ट का फैसला कई मायनों में सही नहीं है. जस्टिस लोढ़ा पैनल न तो खेल के विशेषज्ञ हैं और न ही उनकी सिफारिशें सही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पैनल का गठन कर एक तरह से अपने फैसले की आउटसोर्सिंग की है. बीसीसीआई के लिए संसद में कोई कानून नहीं बनाया जा सकता.
याचिका में यह भी कहा गया था कि चीफ जस्टिस ने इस मामले में अपना मन बना रखा है और वे बिना सुनवाई इस याचिका को खारिज कर सकते हैं. इस याचिका पर सुनवाई खुली अदालत में करने की मांग भी की गई थी
सुप्रीम कोर्ट के 18 जुलाई के फैसले के मुताबिक बीसीसीआई को लोढ़ा पैनल की सिफारिशें 6 महीने में लागू करनी हैं. फैसले के मुताबिक अब बोर्ड में न तो मंत्री और न ही अधिकारी शामिल हो पाएंगे. राजनेताओं पर पाबंदी नहीं है. बीसीसीआई में अब एक व्यक्ति-एक पद का नियम लागू होगा. बीसीसीआई में अधिकारियों की अधिकतम उम्र सीमा 70 साल होगी. ऐसी ही कई अन्य सिफारिशें पैनल ने की हैं, जो लागू की जानी हैं.
याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर फिर से विचार करे और इसके लिए पांच जजों की बेंच बनाई जाए. यह भी मांग की थी कि बेंच में चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर न हों. याचिका के अनुसार सुप्रीम कोर्ट का फैसला कई मायनों में सही नहीं है. जस्टिस लोढ़ा पैनल न तो खेल के विशेषज्ञ हैं और न ही उनकी सिफारिशें सही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पैनल का गठन कर एक तरह से अपने फैसले की आउटसोर्सिंग की है. बीसीसीआई के लिए संसद में कोई कानून नहीं बनाया जा सकता.
याचिका में यह भी कहा गया था कि चीफ जस्टिस ने इस मामले में अपना मन बना रखा है और वे बिना सुनवाई इस याचिका को खारिज कर सकते हैं. इस याचिका पर सुनवाई खुली अदालत में करने की मांग भी की गई थी
सुप्रीम कोर्ट के 18 जुलाई के फैसले के मुताबिक बीसीसीआई को लोढ़ा पैनल की सिफारिशें 6 महीने में लागू करनी हैं. फैसले के मुताबिक अब बोर्ड में न तो मंत्री और न ही अधिकारी शामिल हो पाएंगे. राजनेताओं पर पाबंदी नहीं है. बीसीसीआई में अब एक व्यक्ति-एक पद का नियम लागू होगा. बीसीसीआई में अधिकारियों की अधिकतम उम्र सीमा 70 साल होगी. ऐसी ही कई अन्य सिफारिशें पैनल ने की हैं, जो लागू की जानी हैं.
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