बीसीसीआई पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अभी जारी रहेगी...
नई दिल्ली:
BCCI और क्रिकेट में सुधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपना अंतरिम आदेश सुनाया. इस मामले में अब आगे की सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी. इससे पहले शुक्रवार को कोर्ट ने बीसीसीआई को राज्य संघों को फंड देने पर रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा कि जब राज्य संघ हलफनामा देंगे, तब उन्हें बीसीसीआई फंड जारी कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन 13 राज्य संघों को टीवी राइट्स का पैसा दिया गया है, वे इस मुद्दे पर स्पष्ट आदेश से पहले इसका प्रयोग नहीं कर सकते. कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई को लोढ़ा समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के संबंध में हलफनामा देना होगा. इन सभी मामलों में रत्नाकर शेट्टी कोर्ट को जानकारी देंगे.
कोर्ट ने 13 एसोसिएशनों को 16.73 करोड के फंड पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जो फंड दिया जा चुका है उसके लिए एसोसिएशन प्रस्ताव पास करके यह हलफनामा दाखिल करेंगे कि वह लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को मानेंगे. जब तक यह हलफनामा दाखिल न हो, रिलीज किया गया फंड फिक्स डिपॉजिट में डाला जाए.
शेट्टी ने दाखिल किया हलफनामा
रत्नाकर शेट्टी ने हलफनामा दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि अनुराग ठाकुर ने ICC के सीईओ रिचर्डसन से मुलाकात की थी और उनका कहना था कि अगर लोढ़ा पैनल की सिफारिशों के तहत बीसीसीआई में सीएजी के अफसर की नियुक्ति की गई, तो यह सरकार का क्रिकेट में दखल होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर को कहा है कि वह हलफनामा दाखिल करें कि क्या ऐसी बात हुई थी. कोर्ट ने रत्नाकर शेट्टी से भी कहा कि उनको भी यह जवाब देना है कि यह हलफनामे दाखिल करने के लिए उन्हें किसने अधिकृत किया है. BCCI की तरफ से कहा गया कि कुछ तकनीकी दिक्कतें हैं. कोर्ट ने कहा हम दूर कर देंगे.
क्रिकेट सुधारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना अंतरिम आदेश सुनाया है. कोर्ट ने कहा था कि वह तय कर सकता है कि राज्य क्रिकेट एसोसिएशनों को दी जाने वाली राशि पर रोक लगा दी जाए या नहीं. राज्य क्रिकेट एसोसिएशनों को दिया गया पैसा वापस लिया जाए या नहीं और लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने के लिए बीसीसीआई को और समय दिया जा सकता है या नहीं?
गुरुवार को भी कोर्ट ने दिखाई थी सख्ती
वहीं गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने BCCI पर और सख्त रुख अपना लिया था. कोर्ट ने बीसीसीआई से साफ कहा था कि लोढ़ा कमेटी के सुधार लागू करने ही होंगे. इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि जो राज्य सुधारों को लागू न करें उनका पैसा रोक दिया जाए. कोर्ट ने बीसीसीआई से अंडरटेकिंग भी मांगी थी कि वह साफ कहे कि लोढ़ा कमेटी द्वारा सुझाए गए सुधार कब तक लागू हो जाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई की ओर से कहा गया कि वह अंडरटेकिंग देने में असमर्थ है. इस पर कोर्ट ने कहा था कि वह मामले में आदेश देगी. हालांकि शुक्रवार को इस संबंध में कोई अन्य आदेश नहीं दिया गया.
'करनी' से करें कोर्ट का सम्मान
कोर्ट ने गुरुवार को यह भी कहा था कि BCCI को 'कथनी' से नहीं, बल्कि 'करनी' से कोर्ट का सम्मान का सम्मान करना चाहिए. कोर्ट ने साफ किया था कि बीसीसीआई को बड़े भुगतान से पहले इजाज़त लेनी होगी. सर्वोच्च कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य संघों को पैसे देने में पारदर्शिता होनी चाहिए और इसके लिए एक पॉलिसी होनी चाहिए. आप रातोंरात सीधे 400 करोड़ का फंड यूं ही ट्रांसफर नहीं कर सकते. कोर्ट ने फंड ट्रांसफर के लिए लोढ़ा समिति की इजाजत लेने के लिए कहा है.
बता दें कि जस्टिस आरएम लोढ़ा पैनल और बीसीसीआई के बीच कई दिनों से तनातनी चल रही है. लोढ़ा पैनल की कुछ सिफ़ारिशों को बीसीसीआई मानने के लिए तैयार नहीं है.
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और लोढ़ा पैनल शुरुआत से ही टकराव के रास्ते पर दिखे हैं. जब से लोढ़ा कमेटी बनी है बीसीसीआई ने पूरी तरीके से न तो लोढ़ा पैनल के सुझावों को माना है न ही इनकी मदद करती नज़र आई. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के सख़्त रवैये के चलते इन सिफ़ारिशों को क्रिकेट बोर्ड पर जबर्दस्ती मनवाने जैसी बात सामने आई.
दोनों के बीच की जंग कुछ इस तरह शुरू हुई.
कोर्ट ने 13 एसोसिएशनों को 16.73 करोड के फंड पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जो फंड दिया जा चुका है उसके लिए एसोसिएशन प्रस्ताव पास करके यह हलफनामा दाखिल करेंगे कि वह लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को मानेंगे. जब तक यह हलफनामा दाखिल न हो, रिलीज किया गया फंड फिक्स डिपॉजिट में डाला जाए.
शेट्टी ने दाखिल किया हलफनामा
रत्नाकर शेट्टी ने हलफनामा दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि अनुराग ठाकुर ने ICC के सीईओ रिचर्डसन से मुलाकात की थी और उनका कहना था कि अगर लोढ़ा पैनल की सिफारिशों के तहत बीसीसीआई में सीएजी के अफसर की नियुक्ति की गई, तो यह सरकार का क्रिकेट में दखल होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर को कहा है कि वह हलफनामा दाखिल करें कि क्या ऐसी बात हुई थी. कोर्ट ने रत्नाकर शेट्टी से भी कहा कि उनको भी यह जवाब देना है कि यह हलफनामे दाखिल करने के लिए उन्हें किसने अधिकृत किया है. BCCI की तरफ से कहा गया कि कुछ तकनीकी दिक्कतें हैं. कोर्ट ने कहा हम दूर कर देंगे.
क्रिकेट सुधारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना अंतरिम आदेश सुनाया है. कोर्ट ने कहा था कि वह तय कर सकता है कि राज्य क्रिकेट एसोसिएशनों को दी जाने वाली राशि पर रोक लगा दी जाए या नहीं. राज्य क्रिकेट एसोसिएशनों को दिया गया पैसा वापस लिया जाए या नहीं और लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने के लिए बीसीसीआई को और समय दिया जा सकता है या नहीं?
गुरुवार को भी कोर्ट ने दिखाई थी सख्ती
वहीं गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने BCCI पर और सख्त रुख अपना लिया था. कोर्ट ने बीसीसीआई से साफ कहा था कि लोढ़ा कमेटी के सुधार लागू करने ही होंगे. इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि जो राज्य सुधारों को लागू न करें उनका पैसा रोक दिया जाए. कोर्ट ने बीसीसीआई से अंडरटेकिंग भी मांगी थी कि वह साफ कहे कि लोढ़ा कमेटी द्वारा सुझाए गए सुधार कब तक लागू हो जाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई की ओर से कहा गया कि वह अंडरटेकिंग देने में असमर्थ है. इस पर कोर्ट ने कहा था कि वह मामले में आदेश देगी. हालांकि शुक्रवार को इस संबंध में कोई अन्य आदेश नहीं दिया गया.
'करनी' से करें कोर्ट का सम्मान
कोर्ट ने गुरुवार को यह भी कहा था कि BCCI को 'कथनी' से नहीं, बल्कि 'करनी' से कोर्ट का सम्मान का सम्मान करना चाहिए. कोर्ट ने साफ किया था कि बीसीसीआई को बड़े भुगतान से पहले इजाज़त लेनी होगी. सर्वोच्च कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य संघों को पैसे देने में पारदर्शिता होनी चाहिए और इसके लिए एक पॉलिसी होनी चाहिए. आप रातोंरात सीधे 400 करोड़ का फंड यूं ही ट्रांसफर नहीं कर सकते. कोर्ट ने फंड ट्रांसफर के लिए लोढ़ा समिति की इजाजत लेने के लिए कहा है.
बता दें कि जस्टिस आरएम लोढ़ा पैनल और बीसीसीआई के बीच कई दिनों से तनातनी चल रही है. लोढ़ा पैनल की कुछ सिफ़ारिशों को बीसीसीआई मानने के लिए तैयार नहीं है.
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और लोढ़ा पैनल शुरुआत से ही टकराव के रास्ते पर दिखे हैं. जब से लोढ़ा कमेटी बनी है बीसीसीआई ने पूरी तरीके से न तो लोढ़ा पैनल के सुझावों को माना है न ही इनकी मदद करती नज़र आई. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के सख़्त रवैये के चलते इन सिफ़ारिशों को क्रिकेट बोर्ड पर जबर्दस्ती मनवाने जैसी बात सामने आई.
दोनों के बीच की जंग कुछ इस तरह शुरू हुई.
- 14 अप्रैल, 2015: लोढ़ा कमेटी ने 82 सवाल लिखकर बीसीसीआई से जवाब मांगे कि भारत में क्रिकेट कैसे चलता है.
- 4 जनवरी, 2016: लोढ़ा कमेटी ने बीसीसीआई में सुधारों के लिए अपनी सिफ़ारिशें सुप्रीम कोर्ट में पेश कीं.
- 7 जनवरी, 2016: तब बीसीसीआई के सचिव अनुराग ठाकुर ने राज्य क्रिकेट संघों से लोढ़ा की रिपोर्ट पर राय मांगी.
- 4 फ़रवरी, 2016: सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से लोढ़ा की सिफ़ारिशों पर अपना रुख़ साफ़ करने को कहा.इसके लिए 3 मार्च 2016 की डेडलाइन भी तय की और फिर लोढ़ा सिफ़ारिशों को लेकर बोर्ड के रवैये पर उसकी ख़िचाई की.
- 13 अप्रैल, 2016: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वो कानून बनाकर भारत में क्रिकेट चला सकती है.
- 2 मई, 2016: सुप्रीम कोर्ट ने BCCI और राज्य क्रिकेट संघों को लोढ़ा पैनल की सिफ़ारिशों को मानने का आदेश दिया और फिर अगले ही दिन बीसीसीआई पर कई सवाल खड़े किये.
- 18 जुलाई, 2016: सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा की ज़्यादातर सिफ़ारिशों को माना और मंत्रियों, नौकरशाहों और 70 साल से ज़्यादा के लोगों के पदाधिकारी बनने पर रोक लगाई.
- 28 सितंबर, 2016: लोढ़ा पैनल ने अनुराग ठाकुर सहित टॉप अधिकारियों को हटाने की मांग की. लोढ़ा ने कहा कि बीसीसीआई कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ बर्ताव कर रही है.
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