आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले की तह तक जाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई है, उसने बीसीसीआई के आला अधिकारियों से 82 सवाल पूछे हैं। ये सवाल ऐसे हैं, जो बोर्ड अधिकारियों के अलावा भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को भी परेशान कर सकते हैं। सवालों की इस फेहरिस्त को तैयार किया है, पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा, जस्टिस अशोक भान और जस्टिस आरवी रविंद्रन ने।
ये हैं कुछ अहम सवाल :
- अगर आईपीएल में शामिल कोई खिलाड़ी/अधिकारी फ्रैंचाइजी या उसके मालिक का कर्मचारी हो तो क्या बोर्ड को लगता है कि ये हितों का टकराव है, ऐसी स्थिति से निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
- बीसीसीआई/आईपीएल ने ऐसे कौन से कदम उठाए हैं, जिससे इन संस्थाओं को चलाने वालों और इसके व्यावसायिक प्रबंधन में शामिल लोगों के हितों के बीच कोई टकराव न हो। कोई अगर उपरोक्त जानकारी छिपाते हैं तो उसके खिलाफ प्रतिबंध के लिए क्या कानून हैं?
- इस बात को सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं कि बोर्ड/आईपीएल के प्रतिनिधियों के रिश्तेदार/ सहयोगियों का अनुबंध हासिल करने के लिए चयन न हो।
बोर्ड अध्यक्ष के चयन पर भी इस कमेटी ने सफाई मांगी है, उसने पूछा है:-
- बोर्ड अध्यक्ष के चुनाव के लिए ज़ोनल रोटेशनल पॉलिसी का आधार क्या है, क्या इस पद के लिए खुला चुनाव बेहतर नहीं होगा, क्या कोई उम्मीदवार उस जो़न/क्षेत्र से चुनाव लड़ सकता है, जो वहां का रहने वाला न हो?
- क्या बीसीसीआई/आईपीएल की कमेटियों में खिलाड़ी/कोच/अंपायरों की नुमाइंदगी है, कितनी महिलाएं या ख़ास क्षमता वाले लोग इन पैनलों में शामिल हैं?
- बोर्ड में किसी एकाधिकार को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
- टूर मैनेजर या टीम की सहायता के लिए चुने गए सहयोगियों की योग्यता का पैमाना क्या है, क्या इसके लिए कोई परीक्षा या साक्षात्कार होता है, क्या उसके लिए विज्ञापन दिया जाता है। इन कामों के लिए कितना मेहनताना दिया जाता है, इसकी कोई अवधि होती है या कभी भी अनुबंध खत्म किया जा सकता है।
गौरतलब है कि एन श्रीनिवासन के बोर्ड अध्यक्ष रहते वक्त हितों का टकराव बड़ा अदालती मुद्दा बना था। सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड के संविधान की धारा 6 में जोड़ी गई उपधारा 2.4 को इसी आधार पर खत्म करने के आदेश दिए थे।
वैसे, महेन्द्र सिंह धोनी और इंडिया सीमेंट्स से उनके रिश्तों पर सवाल पहले भी उठते रहे हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने सवालों की जो फेहरिस्त बनाई है, उसके जवाब के दौरान इन रिश्तों की परिभाषा को गढ़ने की ज़िम्मेदारी अब एन श्रीनिवासन पर नहीं नए बोर्ड अध्यक्ष जगमोहन डालमिया पर है। उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में बोर्ड के आला अधिकारी पैनल से मिलकर सारे सवालों के जवाब देंगे।
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