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This Article is From Oct 29, 2016

बर्थडे विशेष : अपनी गति में 'सटीकता' भी शामिल कर लें तो बेहद खतरनाक बॉलर बन जाएंगे वरुण एरोन

बर्थडे विशेष : अपनी गति में 'सटीकता' भी शामिल कर लें तो बेहद खतरनाक बॉलर बन जाएंगे वरुण एरोन
चोटग्रस्‍त होने के बावजूद वरुण एरोन अपनी गति से समझौता करने को तैयार नहीं हैं (फाइल फोटो)
होलकर की नगरी इंदौर में वर्ष 2011 में विजय हजारे ट्रॉफी मैच खेलते हुए वरुण एरोन उस समय चर्चा का केंद्र बन गए जब उन्‍होंने 153 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गेंद फेंकी. मूल रूप से स्पिन गेंदबाजी के लिए पहचाने जाने वाले इस देश में किसी गेंदबाज के लिए रफ्तार में 150 का बैरियर पार करना किसी आश्‍चर्य से कम नहीं था. दरअसल तेज गेंदबाजी हमेशा से ही वरुण का 'प्‍लस पाइंट' रही है. झारखंड का यह खिलाड़ी जब गेंदबाजी के लिए उतरता है तो लगता ही नहीं कि गेंदों को रफ्तार देने के लिए उसे ज्‍यादा जोर लगाना पड़ रहा है.

15 वर्ष की उम्र में वरुण की इसी खूबी को एमआरपेस फाउंडेशन ने पहचाना था और उनकी गेंदबाजी को तराशने के साथ काम किया था. इसके बाद जूनियर स्‍तर पर झारखंड और ईस्‍ट जोन की टीम से चुने गए वरुण का सफर शुरू हो गया. 29 अक्‍टूबर 1989 को बिहार (अब झारखंड) के सिंहभूम में जन्‍मे वरुण लगातार 90 किमी प्रति घंटे की गति से गेंद फेंकने में सक्षम हैं. वर्ष 2011 में ऑस्‍ट्रेलिया में खेले गए एमर्जिंग प्‍लेयर्स टूर्नामेंट में वे 153.4 किमी की स्‍पीड भी दर्ज करा चुके हैं. तेज गति से गेंदबाजी के वरुण के जुनून का आलम यह है कि दो स्‍ट्रेस फ्रेक्‍चर के बावजूद वे इससे समझौता करने को तैयार नहीं हैं. रणजी ट्रॉफी सीजन में भी वरुण ने अपनी गति से नामी बल्‍लेबाजों को मुश्किल में डाला. स्‍वाभाविक रूप से अपनी इस क्‍वालिटी के कारण वरुण हाथों हाथ लिए गए और अक्‍टूबर 2011 में इंग्‍लैंड के खिलाफ वनडे करियर का आगाज करने में सफल रहे.

अपने पहले ही मैच में वरुण ने खास छाप छोड़ी और 6.1ओवर के स्‍पैल में 24 रन देकर तीन विकेट हासिल किए. ये तीनों ही विकेट बोल्‍ड के रूप में थे. वनडे के इन शानदार आगाज के बाद वरुण को टेस्‍ट टीम में जगह बनाने में ज्‍यादा वक्‍त नहीं लगा. नवंबर 2011 में वेस्‍टइंडीज के खिलाफ उन्‍होंने टेस्‍ट करियर शुरू किया, इसमें  वे पहली पारी में 106 रन देकर तीन विकेट लेने में सफल रहे.

इंटरनेशनल क्रिकेट में इस प्रभावी आगाज के बावजूद वरुण भारतीय टीम से अंदर-बाहर होते रहे हैं. इसका कारण चोटिल होने के अलावा उनके प्रदर्शन में स्थिरता का अभाव रहा. वरुण को आप ऐसा गेंदबाज मान सकते हैं जिसके पास जबर्दस्‍त गति तो है, लेकिन कई बार सटीक नहीं होने के कारण वे बेहद महंगे साबित होते हैं. यदि उनकी गति में सटीकता रूपी 'अस्र'  (डेल स्‍टेन की ही तरह) भी शामिल हो जाए तो वरुण ऐसे गेंदबाज बन सकते हैं जिन्‍हें हर कप्‍तान अपनी टीम में रखना चाहेगा. करीब पांच साल के टेस्‍ट और वनडे करियर में दाएं हाथ के तेज गेंदबाज वरुण एरोन ने 9 टेस्‍ट और इतने ही वनडे खेले हैं. टेस्‍ट में 52.61 के औसत से 18 और वनडे में 38.09 के औसत से 11 विकेट उनके नाम पर हैं. स्‍वाभाविक है कि टीम इंडिया में जगह पक्‍की करने के लिए वरुण को इससे भी बेहतर प्रदर्शन करने की जरूरत है...

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