यह पूछने पर कि बतौर कप्तान (Team India Captain) करीब पांच साल के कार्यकाल में गांगुली ने उन्हें कितनी आजादी दी, तेंदुलकर ने कहा, “सौरव महान कप्तान था. उसे पता था कि संतुलन कैसे बनाना है. खिलाड़ियों को कितनी आजादी देनी है और कितनी जिम्मेदारी.”
उन्होंने कहा, “जब उसने कमान संभाली, तब भारतीय क्रिकेट बदलाव के दौर से गुजर रहा था. हमें ऐसे खिलाड़ियों की जरूरत थी जो भारतीय क्रिकेट को आगे ले जा सके.”
उन्होंने कहा, “उस समय हमें वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, जहीर खान, हरभजन सिंह और आशीष नेहरा जैसे विश्व स्तरीय खिलाड़ी मिले. ये सभी बेहद प्रतिभाशाली थे लेकिन इन्हें करियर की शुरूआत में सहयोग की जरूरत थी जो सौरव ने दिया. उन्हें अपने हिसाब से खेलने की आजादी भी मिली.”
तेंदुलकर ने बताया कि 1999 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्होंने तय कर लिया था कि उनके कप्तानी छोड़ने पर अगला कप्तान कौन होगा.
उन्होंने कहा, “कप्तानी छोड़ने से पहले भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर मैंने सौरव को टीम का उपकप्तान बनाने का सुझाव दिया था. मैंने उसे करीब से देखा था और उसके साथ क्रिकेट खेली थी. मुझे पता था कि वह भारतीय क्रिकेट को आगे ले जा सकता है. वह अच्छा कप्तान था.”
तेंदुलकर ने कहा, “इसके बाद सौरव ने मुड़कर नहीं देखा और उसकी उपलब्धियां हमारे सामने है.”
* Happy Birthday Dhoni: एमएस धोनी द्वारा लिया गया पहला और इकलौता विकेट याद है! VIDEO में देखिए वो यादगार पल
* MSD Birthday: कैप्टन कूल के 41वें जन्मदिन पर लगा बधाइयों का तांता, सोशल मीडिया पर छाए एमएस धोनी
* Happy Birthday MSD: टीम इंडिया के इस प्लेयर के साथ धोनी ने मनाया अपना 41वां जन्मदिन, देखें जश्न का Video
दोनों के बीच बेहतरीन तालमेल का ही नतीजा था कि 26 बार शतकीय साझेदारियां की और उनमें से 21 बार पारी की शुरुआत करते हुए.
तेंदुलकर ने कहा, “सौरव और मैने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश की ताकि टीम मैच जीत सके. इसके आगे हमने कुछ नहीं सोचा.”
गांगुली ने पहली बार भारत के लिए 1992 में खेला और फिर 1996 में वापसी की. उस समय मोबाइल फोन नहीं होते थे लेकिन दोनों एक दूसरे के संपर्क में रहे.
तेंदुलकर ने कहा, “1991 के दौरे पर हम एक कमरे में रहते थे और एक दूसरे के साथ खूब मस्ती करते. हम अंडर 15 दिनों से एक दूसरे को जानते थे तो आपसी तालमेल अच्छा था. उस दौरे के बाद भी हम मिले लेकिन तब मोबाइल फोन नहीं होते थे. हम लगातार संपर्क में नहीं रहे लेकिन दोस्ती कायम थी.”
उनकी पहली मुलाकात बीसीसीआई द्वारा कानपुर में आयोजित जूनियर टूर्नामेंट में हुई थी. इसके बाद इंदौर में दिवंगत वासु परांजपे की निगरानी में हुए सालाना शिविर में दोनों ने काफी समय साथ गुजारा.
तेंदुलकर ने कहा, “इंदौर में अंडर 15 शिविर में हमने काफी समय साथ गुजारा और एक दूसरे को जाना. वहीं से हमारी दोस्ती की शुरुआत हुई.”
उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने, जतिन परांजपे (वासु के बेटे) और केदार गोडबोले ने गांगुली के कमरे में पानी उड़ेला था.
उन्होंने कहा, “मुझे याद है कि दोपहर में सौरव सो रहा था. जतिन, केदार और मैंने उसके कमरे में पानी भर दिया. वह उठा तो उसे समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ. उसके सूटकेस पानी में बह रहे थे. बाद में उसे पता चला कि यह हमारी खुराफात है. हम एक दूसरे से यूं ही मजाक किया करते थे.”
क्रिकेट से जुड़ी Latest Updates के लिए अभी NDTV Sports Hindi को सब्सक्राइब करें. Click to Subscribe