
शरद पवार और अनुराग ठाकुर के साथ शशांक मनोहर की फाइल फोटो
मुंबई:
शशांक मनोहर BCCI के दोबारा मुखिया बन गए हैं। आज बीसीसीआई की आम सभा की विशेष बैठक में उन्हें निर्विरोध दूसरी बार अध्यक्ष पद के लिए चुना गया। वे 2008 से 2011 तक अध्यक्ष पदभार संभाल चुके हैं। उन्हें ईस्ट जोन के सभी सदस्यों का समर्थन मिला। खास बात यह भी रही कि मनोहर के ख़िलाफ़ किसी ने नामांकन नहीं किया था। शशांक जगमोहन डालमिया के निधन के बाद यह जिम्मेदारी संभालेंगे।
दरअसल, ईस्ट जोन की सभी छह इकाइयों ने सर्वसम्मति से मनोहर की उम्मीदवारी का प्रस्ताव दिया था, जो बोर्ड की राजनीति में पूर्व प्रमुख एन श्रीनिवासन के घटते दबदबे का भी संकेत है।
मनोहर इससे पहले 2008-2009 और 2010-2011 के बीच तीन साल बीसीसीआई अध्यक्ष रह चुके हैं। मनोहर की नियुक्ति का मतलब है कि श्रीनिवासन के अब बीसीसीआई में 2017 तक वापसी की संभावना बेहद कम है, क्योंकि उसी साल विदर्भ के इस प्रशासक का कार्यकाल खत्म होगा।
बीसीसीआई की आम सभा की विशेष बैठक में अध्यक्ष पद पर मनोहर की नियुक्ति महज औपचारिकता बची थी, क्योंकि नामांकन फार्म की समीक्षा के बाद पता चला था कि पूर्व क्षेत्र की सभी छह इकाइयों ने प्रस्ताव के रूप में अलग-अलग हस्ताक्षर किए थे। बीसीसीआई के उप चुनाव में मनोहर को पूर्व क्षेत्र से सिर्फ एक प्रस्तावक की जरूरत थी, जबकि उन्होंने सभी छह संघों की स्वीकृति मिली।
मनोहर के नाम के प्रस्तावकों में एक दिवंगत डालमिया के बेटे अभिषेक भी रहे, जिन्होंने आम सभा की विशेष बैठक में अपने पारिवारिक क्लब नेशनल क्रिकेट क्लब (एनसीसी) का प्रतिनिधित्व किया। हाालांकि श्रीनिवासन ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया। इसके अलावा मनोहर के नाम का प्रस्ताव बंगाल से सौरव गांगुली, त्रिपुरा से सौरव दासगुप्ता, असम ने गौतम राय, ओडिशा से आशीर्वाद बेहड़ा और झारखंड से संजय सिंह ने रखा था। पूर्व क्षेत्र के एक प्रतिनिधि ने कहा, 'पूर्व क्षेत्र की सभी छह इकाइयों ने अलग अलग मनोहर के नाम का प्रस्ताव रखा, जो दर्शाता है कि वे उनकी उम्मीदवारी का पूरी तरह से समर्थन कर रहे हैं।'
बंगाल क्रिकेट संघ के भावी अध्यक्ष सौरव गांगुली और महाराष्ट्र क्रिकेट संघ के प्रमुख अजय शिर्के ने कहा था कि मनोहर इस पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हैं। गांगुली ने कहा, 'शशांक मनोहर ने अतीत में बीसीसीआई की अगुआई की है और वह सक्षम व्यक्ति हैं। मुझे यकीन है कि वह अच्छा काम करेंगे।' वहीं शिर्के ने कहा, 'वह सही उम्मीदवार हैं। पूर्व क्षेत्र की सभी छह इकाइयों ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा है। वह काफी अनुभवी और ईमानदार हैं। उनकी पृष्ठभूमि कानून से जुड़ी है और इस समय उनसे बेहतर उम्मीदवार नहीं हो सकता।'
दरअसल, ईस्ट जोन की सभी छह इकाइयों ने सर्वसम्मति से मनोहर की उम्मीदवारी का प्रस्ताव दिया था, जो बोर्ड की राजनीति में पूर्व प्रमुख एन श्रीनिवासन के घटते दबदबे का भी संकेत है।
मनोहर इससे पहले 2008-2009 और 2010-2011 के बीच तीन साल बीसीसीआई अध्यक्ष रह चुके हैं। मनोहर की नियुक्ति का मतलब है कि श्रीनिवासन के अब बीसीसीआई में 2017 तक वापसी की संभावना बेहद कम है, क्योंकि उसी साल विदर्भ के इस प्रशासक का कार्यकाल खत्म होगा।
बीसीसीआई की आम सभा की विशेष बैठक में अध्यक्ष पद पर मनोहर की नियुक्ति महज औपचारिकता बची थी, क्योंकि नामांकन फार्म की समीक्षा के बाद पता चला था कि पूर्व क्षेत्र की सभी छह इकाइयों ने प्रस्ताव के रूप में अलग-अलग हस्ताक्षर किए थे। बीसीसीआई के उप चुनाव में मनोहर को पूर्व क्षेत्र से सिर्फ एक प्रस्तावक की जरूरत थी, जबकि उन्होंने सभी छह संघों की स्वीकृति मिली।
मनोहर के नाम के प्रस्तावकों में एक दिवंगत डालमिया के बेटे अभिषेक भी रहे, जिन्होंने आम सभा की विशेष बैठक में अपने पारिवारिक क्लब नेशनल क्रिकेट क्लब (एनसीसी) का प्रतिनिधित्व किया। हाालांकि श्रीनिवासन ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया। इसके अलावा मनोहर के नाम का प्रस्ताव बंगाल से सौरव गांगुली, त्रिपुरा से सौरव दासगुप्ता, असम ने गौतम राय, ओडिशा से आशीर्वाद बेहड़ा और झारखंड से संजय सिंह ने रखा था। पूर्व क्षेत्र के एक प्रतिनिधि ने कहा, 'पूर्व क्षेत्र की सभी छह इकाइयों ने अलग अलग मनोहर के नाम का प्रस्ताव रखा, जो दर्शाता है कि वे उनकी उम्मीदवारी का पूरी तरह से समर्थन कर रहे हैं।'
बंगाल क्रिकेट संघ के भावी अध्यक्ष सौरव गांगुली और महाराष्ट्र क्रिकेट संघ के प्रमुख अजय शिर्के ने कहा था कि मनोहर इस पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हैं। गांगुली ने कहा, 'शशांक मनोहर ने अतीत में बीसीसीआई की अगुआई की है और वह सक्षम व्यक्ति हैं। मुझे यकीन है कि वह अच्छा काम करेंगे।' वहीं शिर्के ने कहा, 'वह सही उम्मीदवार हैं। पूर्व क्षेत्र की सभी छह इकाइयों ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा है। वह काफी अनुभवी और ईमानदार हैं। उनकी पृष्ठभूमि कानून से जुड़ी है और इस समय उनसे बेहतर उम्मीदवार नहीं हो सकता।'
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