
मैच के चौथे दिन भारत की पहली पारी 465 रनों पर सिमट गई। तीसरे दिन का खेल खत्म होने के बाद उपकप्तान विराट कोहली ने कहा था कि टीम इंडिया 500 के जितने करीब पहुंचेगी, खेल उतना ही बराबरी का होगा, लेकिन टीम इंडिया 500 से 35 रन पीछे रह गई। सीरीज़ में तीन शतक लगा चुके और आत्मविश्वास से लबरेज़ विराट कोहली ने कहा था कि अगर 350 रन के आसपास लक्ष्य मिला तो टीम इंडिया मैच जीतने की कोशिश करेगी। कोहली ने भरोसा दिलाया था, "इसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं, कोशिश रहेगी... सकारात्मक खेल रहेगा... इस बार हम मंजिल तक पहुंचने की पूरी कोशिश करेंगे..."
लेकिन क्या यह इतना आसान है...? भारतीय टीम में नंबर-1 से नंबर-7 तक स्पेशलिस्ट बल्लेबाज़ हैं, लेकिन मेलबर्न में 300 से ज़्यादा का लक्ष्य किसी भी टीम के लिए मुश्किल रहा है। सिर्फ़ एक बार 300 के लक्ष्य का पीछा हो पाया है, वह भी 86 साल पहले। तब इंग्लैंड ने 332 रन बनाकर मैच जीता था। चौथी पारी में इस मैदान पर 11 बार टीमें लक्ष्य तक पहुंची हैं, लेकिन वर्ष 1990 के बाद से कोई भी टीम चौथी पारी में लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाई है।
टेस्ट मैच गेंदबाज़ जिताते हैं, लेकिन पूरी सीरीज़ में भारतीय गेंदबाज़ पुछल्ले बल्लेबाज़ों को जल्दी समेटने में नाकाम रहे हैं। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर पहले ही कह चुके हैं कि मेलबर्न में जीत की उम्मीद चमत्कार ही होगी। उन्होंने कहा, "भारतीय गेंदबाज़ी बेहद निराशाजनक रही है... गेंदबाज़ों ने विकेट लेने के लिए कोशिश नहीं की... जो भी विकेट उन्हें मिले, वे बल्लेबाज़ों ने अपनी गलती से गंवाए..."
तो क्या कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और उपकप्तान विराट कोहली दिग्गजों और इतिहास को झुठला पाएंगे...?
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