
टीम इंडिया के स्वर्णिम दौर में पांच महान खिलाड़ियों का संयुक्त रूप से अहम योगदान रहा है। ये हैं मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर, 'दादा' सौरव गांगुली, 'द वॉल' राहुल द्रविड़, 'वेरी-वेरी स्पेशल' वीवीएस लक्ष्मण और 'जंबो' अनिल कुंबले। इन्हें 'फैब-5' कहना ज्यादा उपयुक्त होगा। ये खिलाड़ी भले ही खेल को अलविदा कह चुके हों, लेकिन क्रिकेट में इनका योगदान जारी है। अभी तक इनमें से केवल 4 खिलाड़ी ही टीम इंडिया से जुड़े थे, लेकिन गुरुवार को अनिल कुंबले के एक साल के लिए टीम इंडिया का कोच बनते ही कोरम पूरा हो गया। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि एक बार फिर 'फैब-5' का दौर लौट आया है। जाहिर है देश को इनसे बड़ी उम्मीदें होंगी, क्योंकि अब इन पर इंडियन क्रिकेट के भविष्य को संवारने की जिम्मेदारी है। जानिए कौन किस तरह से इंडियन क्रिकेट को संवारेगा...
सचिन, लक्ष्मण, गांगुली अपनी योजनाओं को दे सकेंगे मूर्त रूप
बीसीसीआई ने जून, 2015 में एक अहम कदम उठाते हुए सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण की एक क्रिकेट सलाहकार समिति बना दी थी। तब से यह तीनों दिग्गज राष्ट्रीय टीम को विदेशी दौरे के लिए तैयारी के संबंध में मार्गदर्शन देने के साथ ही प्रतिभाओं को तैयार करने और घरेलू ढांचे को बेहतर बनाने में मदद कर रहे हैं। इनके सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि उनकी योजनाओं और सलाह का उचित कार्यान्वयन कैसे हो।
जाहिर है कोई ऐसा व्यक्ति चाहिए था, जो उनके विचारों और उद्देश्यों को भलीभांति समझ सके और उसके अनुसार आगे बढ़े। इसीलिए पहले यह तीनों राहुल द्रविड़ को कोच बनाना चाहते थे, क्योंकि उनके साथ इनका तालमेल मैदान और उसके बाहर भी काफी बेहतर रहा है। द्रविड़ के इंकार करने पर अनिल कुंबले पर फोकस गया, क्योंकि वह भी उनके खास रहे हैं। अब जब तेंदुलकर, गांगुली और लक्ष्मण विदेश दौरों पर कामयाबी के लिये ब्लूप्रिंट तैयार करेंगे, बेंच स्ट्रेंथ को मजबूत करने और नई प्रतिभाओं को तराशने के लिए योजना बनाएंगे, तो उन्हें उसे अमलीजामा पहनाने में आसानी होगी।
कोच बनने के बाद कुंबले ने कहा भी, ''सलाहकार समिति के सदस्य सचिन, सौरव और लक्ष्मण के साथ मैंने बहुत खेला है। राहुल (द्रविड़) टीम (अंडर-19) के कोच हैं। अच्छा है कि हम पांचों अब भी क्रिकेट के लिए कुछ कर रहे हैं। हमारे लिए अब कुछ देने का वक्त आया है।''
जूनियर लेवल पर द्रविड़ तराशेंगे प्रतिभाएं
फिलहाल राहुल द्रविड़ अंडर-19 टीम इंडिया के कोच और मेंटर हैं। संभावना जताई जा रही है कि वह जूनियर टीम की कोचिंग का काम देखते रहेंगे। जैसा कि कुंबले के कथन से भी संकेत मिलता है। चूंकि द्रविड़ की ट्यूनिंग भी सलाहकार समिति से बेहतर है, इसलिए वह उसके ब्लू प्रिंट के अनुसार प्रतिभाओं को संवारने का काम करेंगे। खासतौर से विदेशी दौरे के लिए बल्लेबाजों की तकनीक को बेहतर बनाने में उनका अहम योगदान रहेगा, क्योंकि उछालभरी पिचों पर हमारे बल्लेबाज असहाय नजर आते हैं। ऐसे में यदि जूनियर लेवल पर ही उनकी तकनीक पर काम किया जाएगा, तो अच्छे परिणाम मिलेंगे।
सीनियर्स को कुंबले दिखाएंगे राह
400 से अधिक इंटरनेशनल मैचों का अनुभव रखने वाले अनिल कुंबले सीनियर टीम के खिलाड़ियों को राह दिखाएंगे। जैसा कि उन्होंने कहा है कि उनके पास टीम के लिए कुछ प्लान हैं, जिन्हें वह सचिन, गांगुली, लक्ष्मण और द्रविड़ से साझा करेंगे और उनकी राय लेने के बाद उन पर अमल करेंगे। विदेशी दौरे पर टीम इंडिया को सफलता दिलाना उनका मुख्य उद्देशय होगा, जो थोड़े समय में होने वाला काम नहीं है। इसके लिए लंबी योजना की जरूरत है। फिर भी कुंबले को एक साल में कुछ न कुछ तो करके दिखाना होगा, तभी वह लंबी सेवा देने के योग्य समझे जाएंगे। हालांकि उनके पास सलाहकार समिति और बोर्ड का पूरा समर्थन होगा, जिससे उनकी राह कुछ आसान हो सकती है। टीम इंडिया को इस कैलेंडर में कुल 17 टेस्ट, 11 वनडे और 6 टी-20 मैच खेलने हैं।
अनुभव की खान हैं 'फैब-5'
टीम इंडिया के 'फैब-5' रहे इन खिलाड़ियों ने कुल मिलाकर 2218 इंटरनेशनल (टेस्ट और वनडे) मैच खेले हैं। इससे आप समझ सकते हैं कि इनका योगदान कितना अहम होने जा रहा है। जरा इनके रिकॉर्ड पर एक नजर डालिए-
सचिन, लक्ष्मण, गांगुली अपनी योजनाओं को दे सकेंगे मूर्त रूप
बीसीसीआई ने जून, 2015 में एक अहम कदम उठाते हुए सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण की एक क्रिकेट सलाहकार समिति बना दी थी। तब से यह तीनों दिग्गज राष्ट्रीय टीम को विदेशी दौरे के लिए तैयारी के संबंध में मार्गदर्शन देने के साथ ही प्रतिभाओं को तैयार करने और घरेलू ढांचे को बेहतर बनाने में मदद कर रहे हैं। इनके सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि उनकी योजनाओं और सलाह का उचित कार्यान्वयन कैसे हो।
जाहिर है कोई ऐसा व्यक्ति चाहिए था, जो उनके विचारों और उद्देश्यों को भलीभांति समझ सके और उसके अनुसार आगे बढ़े। इसीलिए पहले यह तीनों राहुल द्रविड़ को कोच बनाना चाहते थे, क्योंकि उनके साथ इनका तालमेल मैदान और उसके बाहर भी काफी बेहतर रहा है। द्रविड़ के इंकार करने पर अनिल कुंबले पर फोकस गया, क्योंकि वह भी उनके खास रहे हैं। अब जब तेंदुलकर, गांगुली और लक्ष्मण विदेश दौरों पर कामयाबी के लिये ब्लूप्रिंट तैयार करेंगे, बेंच स्ट्रेंथ को मजबूत करने और नई प्रतिभाओं को तराशने के लिए योजना बनाएंगे, तो उन्हें उसे अमलीजामा पहनाने में आसानी होगी।
कोच बनने के बाद कुंबले ने कहा भी, ''सलाहकार समिति के सदस्य सचिन, सौरव और लक्ष्मण के साथ मैंने बहुत खेला है। राहुल (द्रविड़) टीम (अंडर-19) के कोच हैं। अच्छा है कि हम पांचों अब भी क्रिकेट के लिए कुछ कर रहे हैं। हमारे लिए अब कुछ देने का वक्त आया है।''
जूनियर लेवल पर द्रविड़ तराशेंगे प्रतिभाएं
फिलहाल राहुल द्रविड़ अंडर-19 टीम इंडिया के कोच और मेंटर हैं। संभावना जताई जा रही है कि वह जूनियर टीम की कोचिंग का काम देखते रहेंगे। जैसा कि कुंबले के कथन से भी संकेत मिलता है। चूंकि द्रविड़ की ट्यूनिंग भी सलाहकार समिति से बेहतर है, इसलिए वह उसके ब्लू प्रिंट के अनुसार प्रतिभाओं को संवारने का काम करेंगे। खासतौर से विदेशी दौरे के लिए बल्लेबाजों की तकनीक को बेहतर बनाने में उनका अहम योगदान रहेगा, क्योंकि उछालभरी पिचों पर हमारे बल्लेबाज असहाय नजर आते हैं। ऐसे में यदि जूनियर लेवल पर ही उनकी तकनीक पर काम किया जाएगा, तो अच्छे परिणाम मिलेंगे।
सीनियर्स को कुंबले दिखाएंगे राह
400 से अधिक इंटरनेशनल मैचों का अनुभव रखने वाले अनिल कुंबले सीनियर टीम के खिलाड़ियों को राह दिखाएंगे। जैसा कि उन्होंने कहा है कि उनके पास टीम के लिए कुछ प्लान हैं, जिन्हें वह सचिन, गांगुली, लक्ष्मण और द्रविड़ से साझा करेंगे और उनकी राय लेने के बाद उन पर अमल करेंगे। विदेशी दौरे पर टीम इंडिया को सफलता दिलाना उनका मुख्य उद्देशय होगा, जो थोड़े समय में होने वाला काम नहीं है। इसके लिए लंबी योजना की जरूरत है। फिर भी कुंबले को एक साल में कुछ न कुछ तो करके दिखाना होगा, तभी वह लंबी सेवा देने के योग्य समझे जाएंगे। हालांकि उनके पास सलाहकार समिति और बोर्ड का पूरा समर्थन होगा, जिससे उनकी राह कुछ आसान हो सकती है। टीम इंडिया को इस कैलेंडर में कुल 17 टेस्ट, 11 वनडे और 6 टी-20 मैच खेलने हैं।
अनुभव की खान हैं 'फैब-5'
टीम इंडिया के 'फैब-5' रहे इन खिलाड़ियों ने कुल मिलाकर 2218 इंटरनेशनल (टेस्ट और वनडे) मैच खेले हैं। इससे आप समझ सकते हैं कि इनका योगदान कितना अहम होने जा रहा है। जरा इनके रिकॉर्ड पर एक नजर डालिए-

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