भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन की कैरम-बॉल को उनका ब्रह्मास्त्र कहा जाए तो गलत नहीं होगा. अश्विन ने अपनी कैरम-बॉल के जाल में कई बल्लेबाजों को फंसाया है और विकेट चटकाएं हैं. वहीं भारत के लिए टेस्ट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों की सूची में दूसरे स्थान पर मौजूद अश्विन ने पहली बार कैरम-बॉल को लेकर कहानी बताई है.
कैरम-बॉल वह गेंद है जो मिडिल फिंगर के झटके से दाएं हाथ के बल्लेबाज से दूर जाती है और यह गेंद सबसे पहले श्रीलंका के पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अजंता मेंडिस ने फेंकी थी. जिसके बाद कई गेंदबाजों को यह गेंद फेंकते देखा गया है, लेकिन जिस तरह से अश्विन ने इसका इस्तेमाल किया, वह उन्हें सबसे आगे खड़ा करती है. कई बल्लेबाज कैरम बॉल को समझने में संघर्ष करते देखा गया है. वहीं अश्विन ने अब पीटीआई को एक इंटरव्यू के दौरान बताया है कि उन्होंने चेन्नई में एक शिविर के दौरान मेंडिस को पहली बार यह गेंद फेंकते हुए देखा था.
'कैरम बॉल' समझने में लगे तीन साल
आर अश्विन ने खुलासा किया था कि उन्होंने 2006 में अभ्यास करना शुरू कर दिया था, लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्हें पर्दे के पीछे 3-4 साल तक काम करना पड़ा है. अश्विन ने कहा,"मैंने 2006 या 2007 के बाद से नेट्स में ऐसी गेंदें फेंकना शुरू किया जो शायद मेरे लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट का दूसरा सत्र था."
उन्होंने कहा,"2008 में विजय हजारे ट्रॉफी (केएस सुब्बैया पिल्लई ट्रॉफी) के दक्षिण क्षेत्र के मैचों के दौरान मैंने लगभग दो साल बाद इस गेंद को फेंका. 2010 तक मैं जिस गति से गेंदबाजी करता था, उसके बारे में शायद काफी आश्वस्त था." अश्विन ने कहा,"इसलिए मुझे आत्मविश्वास हासिल करने में लगभग दो से तीन साल लग गए."
आईपीएल को लेकर ये बोले अश्विन
वहीं अश्विन ने इस इंटरव्यू के दौरान आईपीएल को लेकर भी अपनी बात रखी. अश्विन ने युवा भारतीय क्रिकेटरों के जीवन को बदल दिया है और देश के क्रिकेट पारिस्थितिकी तंत्र के लिए 'शानदार' रहा है लेकिन अश्विन का मानना है कि एक महत्वाकांक्षी क्रिकेटर के लिए अंतिम लक्ष्य हमेशा देश के लिए खेलना होना चाहिए.
उन्होंने कहा,"मुझे बहुत खुशी है कि बहुत सारे युवा बच्चे अब आगे आ रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं. यह उनकी आजीविका बदल रहा है, उनके परिवारों की स्थिति बदल रहा है. यह भारत के लिए, भारतीय क्रिकेट पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अविश्वसनीय है." अश्विन ने कहा,"लेकिन मुझे अब भी लगता है कि इन सभी बच्चों में भारत के लिए खेलने की इच्छा के लिए कुछ प्रोत्साहन और कुछ प्रेरणा होनी चाहिए और यह पूरी तरह से हितधारकों और निर्णय लेने वालों के हाथ में है."
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