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This Article is From Oct 01, 2017

डेब्यू में इस जांबाज खिलाड़ी ने की थी ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की धुनाई, लेकिन सिर पर गेंद लगने से हो गई थी मौत

जयपुर के मैदान में दोनों टीमों के बीच सीरीज का पहला मैच खेला गया था. इस मैच के लिए टीम में रमन लांबा को मौका मिला. ऑस्ट्रेलियाई टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 250 रन बनाए थे.

डेब्यू में इस जांबाज खिलाड़ी ने की थी ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की धुनाई, लेकिन सिर पर गेंद लगने से हो गई थी मौत
पूर्व भारतीय क्रिकेटर रमन लांबा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: यह वर्ष 1986 की बात है. एलन बॉर्डर के कप्तानी में छह मैचों की एकदिवसीय सीरीज खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया ने भारत का दौरा किया था. उस वक्त ऑस्ट्रेलिया टीम काफी मजबूत मानी जाती थी. इस दौरे से पहले ट्राई सीरीज खेलने के लिए टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था और फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हराया था. अब भारत को ऑस्ट्रेलिया से बदला लेना था. अगर बाइलेट्रल सीरीज की बात की जाए तो दोनों टीमों के बीच यह दूसरी एकदिवसीय बाइलेट्रल सीरीज थी. इससे पहले 1984 में ऑस्ट्रेलिया ने भारत का दौरा किया था और पांच मैचों की सीरीज को 3-0 से क्लीन स्वीप किया था. 1986 में खेले गए सीरीज के लिए भारतीय टीम में उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले रमन लांबा का चयन हुआ था. यह लांबा के लिए डेब्यू सीरीज थी, लेकिन इस सीरीज में लांबा ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की जमकर धुनाई की थी.

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अपने डेब्यू मैच में लांबा ने ठोका था अर्धशतक 
जयपुर के मैदान में दोनों टीमों के बीच सीरीज का पहला मैच खेला गया था. इस मैच के लिए टीम में रमन लांबा को मौका मिला. ऑस्ट्रेलियाई टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 250 रन बनाए थे. ऑस्ट्रेलिया के दोनों सलामी बल्लेबाज शतक लगाने में कामयाब हुए थे. लेकिन भारत की तरफ से भी इस मैच में लांबा ने तेज बल्लेबाजी करते हुए 53 गेंदों पर 64 रन ठोक दिए थे. उन्होंने अपनी पारी में आठ चौके और एक छक्का लगाया था.  टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाज क्रिस श्रीकांत ने इस मैच में शतक लगाया था. यह श्रीकांत का पहला एकदिवसीय शतक था. इस मैच से पहले श्रीकांत एकदिवसीय मैचों में चार बार 90 से ज्यादा स्कोर तो बनाए थे, लेकिन अपना शतक पूरा नहीं कर पाए थे. 27 दिसंबर 1984 में कटक में इंग्लैंड के खिलाफ एकदिवसीय मैच में श्रीकांत 99 रन बनाकर आउट भी हुए थे. श्रीकांत और लांबा की शानदार बल्लेबाजी के दम पर भारत ने इस मैच को सात विकेट से जीत लिया था. इस सीरीज के दूसरे एकदिवसीय मैच को ऑस्ट्रेलिया ने  जीता था, जबकि तीसरे मैच बारिश की वजह से रद्द हो गया था.

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 लांबा का शानदार शतक 
दोनों टीमों के बीच चौथा एकदिवसीय मैच दिल्ली में खेला गया था और इस मैच में रमन लांबा हीरो साबित हुए थे. ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी  करते हुए 242 रन बनाये थे. इस मैच में लांबा ने भारत के तरफ से सबसे ज्यादा 74 रन बनाए थे. लांबा की इस पारी के वजह से भारत ने यह मैच तीन विकेट से जीत लिया था और लांबा मैन ऑफ द मैच भी बने थे. दोनों टीमों के बीच पांचवा एकदिवसीय मैच अहमदाबाद में खेला गया था. इस मैच में भारत के गेंदबाजों ने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों की कमर तोड़ दी थी. भारत ने इस मैच में सिर्फ 193 रन बनाया था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम सिर्फ 141 रन पर ऑल आउट हो गई थी. दोनों टीम के बीच खेले गए बाइलेट्रल सीरीज में ऑस्ट्रेलिया का भारत के खिलाफ यह सबसे निम्नतम स्कोर है. इस जीत के साथ भारत ने सीरीज अपने नाम कर लिया था. दोनों टीमों के बीच सीरीज के आखिरी मैच राजकोट में खेला गया था. टॉस हार कर टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी की थी. टीम इंडिया के कप्तान कपिल देव ने रमन लांबा को पारी की शुरुआत करने के लिए भेजा और लांबा ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए 102 रन बना दिए. भारत इस मैच को हार गया था, लेकिन पूरी सीरीज में शानदार बल्लेबाजी के वजह से लांबा को मैन ऑफ द सीरीज की खिताब से नवाजा गया.

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गेंद लग जाने से लांबा का हो गई थी 
इस सीरीज के बाद रमन लांबा अगले पांच मैचों में सिर्फ 13 रन बना पाए थे. 1989 में भारत में खेले गए नेहरू कप में लांबा ने अच्छा प्रदर्शन किया था. छह मैच खेलते हुए 231 रन बनाए थे, जिसमें तीन अर्धशतक शामिल था. दिसंबर 1989 में चार मैचों एकदिवसीय सीरीज खेलने के लिए टीम इंडिया ने पाकिस्तान का दौरा किया था. यह सीरीज लांबा के लिए आखिरी अंतरराष्ट्रीय सीरीज साबित हुई. लांबा ने इस सीरीज में तीन मैच खेले थे और दो मैचों में उन्हें बल्लेबाजी करने का मौका मिला था. लांबा ने दोनों मैच में कुल मिलाकर 17 रन बनाये थे. इस सीरीज के बाद लांबा को टीम में कभी मौका नहीं मिला. लांबा लगातार प्रथम श्रेणी मैचों में अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे. आयरलैंड और बांग्लादेश के लिए भी लांबा ने क्लब मैच खेलने शुरू कर दिए थे. यह 20 फरवरी 1998 की बात है, जब लांबा बांग्लादेश में ढाका प्रीमियर लीग मैच खेले रहे थे.

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कप्तान ने लांबा को शॉर्ट लेग में फील्डिंग करने के लिए कहा. सैफुल्लाह खान की शॉट डिलीवर गेंद को बल्लेबाज ने एक जोरदार शॉट मारा और गेंद जाकर सीधे लांबा के सिर पर लगी. शॉट इतनी जोरदार थी कि लांबा के सिर में लगने के बाद गेंद विकेटकीपर के पास पहुंच गई, जिसके बाद विकेटकीपर ने कैच पकड़ा और बल्लेबाज आउट हो गया. लेकिन उसी दौरान लांबा जमीन पर गिर पड़े. सभी खिलाड़ी उनके पास भाग कर गए. लांबा ने खिलाड़ियों को कहा कि वो ठीक है फिर लांबा ड्रेसिंग रूम की तरफ गए. थोड़ी देर के बाद लांबा ने अपने साथी खिलाड़ियों को कहा कि वो बैचैनी महसूस कर रहे, जिसके बाद उन्हें  तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया. अस्पताल में यह पता चला की लांबा के सिर के एक जगह पर खून जमा हो गया है. डॉक्टरों ने तुरंत उनका ऑपरेशन किया, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी डॉक्टर्स लांबा को बचा नहीं पाए. तीन दिन के बाद 23 फरवरी 1998 को लांबा का देहांत हो गया. इस तरह क्रिकेट जगत ने एक जांबाज खिलाड़ी को खो दिया.

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