NDTV World Summit: भारतीय महिला टीम चेन्नई में 2022 में हुए चेस ओलंपियाड में आखिरी पलों में हुई गलतियों के चलते ऐतिहासिक स्वर्ण पदक से चूक गई थी, लेकिन साल 2024 में हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में टीम इंडिया ने सफलता हासिल की और इतिहास रचते हुए गोल्ड अपने नाम किया. बुडापेस्ट में हुए चेस ओलंपियाड में भारतीय महिला टीम ने 182 टीमों को पछाड़ते हुए स्वर्ण अपने नाम किया था. हरिका द्रोणावल्ली, वैशाली रमेशबाबू, दिव्या देशमुख, वंतिका अग्रवाल, तानिया सचदेव महिला टीम का हिस्सा थे. अभिजीत कुंटे के कोच रहते टीम ने यह सफलता हासिल की.
एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में चेकमेट: डोमिनेटिंग द वर्ल्ड, में जब अभिजीत कुंटे से सवाल पूछा गया कि चेस व्यक्तिगत स्पर्धा का खेल अधिक है, अब जब हम एक टीम के बारे में बात करते हैं तो हम जानते हैं कि महिला टीम में बहुत सारे उतार-चढ़ाव थे, एक कोच के लिए उन सभी को एक साथ रखना और उनकी मदद करना कितना मुश्किल था, खासकर आखिरी दिन में उस प्रदर्शन के लिए.
इस सवाल का जवाब देते हुए अभिजीत कुंटे ने कहा,"मुझे लगता है कि समस्या 2022 थी, क्योंकि हम उसी स्थिति में थे और हम यूएसए से वह गेम हार गए थे. इस साल हमारे पास एक बहुत अच्छी टीम थी और हम बहुत करीब थे, काजाकिस्तान समान अंकों के साथ वहां था, लेकिन वे अमेरिका के खिलाफ खेल रहे थे जो एक मजबूत टीम थी और हम अज़रबैजान के खिलाफ खेल रहे थे. हमारे पास जीतने का बहुत अच्छा मौका था. यह सिर्फ इतना था कि खिलाड़ियों को स्वर्ण जीतने का दबाव नहीं लेना था. यही मुख्य विचार था."
अभिजीत कुंटे ने आगे कहा,"सौभाग्य से हमारे पास दो जूनियर खिलाड़ी थे, जो उस वर्ष टीम में नहीं थे, उह दिव्या और वंतिका. इसलिए यह एक अच्छी चीज थी. और मुझे बहुत खुशी है कि उन्होंने उस दिन बहुत अच्छा खेला, साढ़े तीन की साफ जीत थी और कोई दबाव नहीं था. ठीक है मैच से पहले शुरू में कुछ तनाव था लेकिन एक बार खेल शुरू हुआ और उन्होंने अपना स्थान बना लिया. एक कोच के रूप में यह मेरे लिए खुशी का क्षण था क्योंकि जब मैंने स्थिति देखी तो यह बहुत आसान था."
चेस ओलंपियाड में पुरुष और महिला टीमों के कुल 10 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें से 6 खिलाड़ी 22 से कम आयु के थे. इसको लेकर जब अभिजीत कुंटे से सवाल पूछा गया कि क्या भारतीय चेस में एक जेनरेशल शिफ्ट हो चुका है अभी, इसको लेकर अभिजीत ने कहा,"हां निश्चित रूप से. क्योंकि जब मैं 1997 में चैंपियन बना था, तब मैं 24 साल की उम्र में सबसे कम उम्र की राष्ट्रीय चैंपियन था. और अब अगर आप ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाली टीम को देखें, जो 21 से नीचे है, 6 खिलाड़ी 21 साल के कम उम्र के हैं. ये बहुत बड़ा चेंज हैं."
अभिजीत ने आगे कहा,"दूसरी बात मैं कहूंगा कि आप भारतीय महिला हमेशा से काफी मजबूत थी. लेकिन किसी कारण हम मेडल नहीं जीत रहे थे. मैंने 2021 से कोच पद का कार्यभार संभाला है. मुझे लगता है कि अधिकांश टूर्नामेंटों में तानिया टीम का हिस्सा थीं. और हमने पदक जीतना शुरू किया, और उस आत्मविश्वास ने टीम को मदद की कि अगर बिना पदक के गए तो यह विफलता जैसा है." अभिजीत ने कहा,"ये जो ऊर्जा बनी है टीम मैं, वो सबसे जरूरी है."
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