यह ख़बर 27 मार्च, 2014 को प्रकाशित हुई थी

बिंद्रा ने श्रीनिवासन को लताड़ा, कहा, बेशर्मी से कुर्सी से चिपका है

नई दिल्ली:

पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष आईएस बिंद्रा ने सुप्रीम कोर्ट के पद छोड़ने की सलाह के बावजूद ‘बेशर्मी से कुर्सी से चिपके रहने’ के लिए एन श्रीनिवासन को आड़े हाथों लेते हुए आज उनसे कहा कि अपने साथ भारतीय क्रिकेट को भी गटर में डालने में पहले वह पद छोड़ दें।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आईपीएल फिक्सिंग की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए श्रीनिवासन को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। बिंद्रा ने कहा कि वह पिछले एक साल से उनके त्यागपत्र की बात कर रहे हैं। बिंद्रा ने कहा, यह देखना हम सबके लिए शर्मनाक क्षण है कि एक व्यक्ति की पदलोलुप्ता के कारण विश्वभर में खेल की बदनामी हो रही है। यह खेल से जुड़े हम सभी लोगों के लिए समय है, जबकि हम खेल को जिस तरह से चलाया जा रहा है उस पर अपनी नाराजगी व्यक्त करें।

उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा, मुझे सबसे अधिक पीड़ा सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीसीसीआई और उसके प्रमुख एन श्रीनिवासन के लिए ‘घृणास्पद’ शब्द का प्रयोग करने से हुई। यदि किसी के लिए शर्मिंदा होने का यह पर्याप्त कारण नहीं है तो फिर मैं नहीं जानता कि इससे ज्यादा क्या होगा? 24 घंटे से भी अधिक समय बीत चुका है तथा बीसीसीआई और उसके प्रमुख ने कोई कार्रवाई नहीं की। बिंद्रा ने कहा, मिस्टर श्रीनिवासन क्या आप दीवार पर लिखा हुआ देखने में सक्षम हैं? अपने साथ भारतीय क्रिकेट को भी गटर में पहुंचाने से पहले हट जाओ। उन्होंने इसके साथ ही बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों को आड़े हाथों लिया जो श्रीनिवासन के खिलाफ स्पष्ट विचार नहीं रख रहे हैं।
 
इससे पहले बिंद्रा ने कहा कि उन्होंने बहुत पहले यह कह दिया था कि श्रीनिवासन को अपना पद छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा, पिछले एक साल से मेरी राय स्पष्ट है। चेन्नई में पहली बैठक में भी मैंने यही बात कही थी। मैंने अपने ब्लॉग पर लिखा। उन्हें बहुत पहले इस्तीफा दे देना चाहिए था। उन्होंने पद पर बने रहने का फैसला किया और अब नौबत यह आ गई कि सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा।

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उन्होंने कहा, भारतीय क्रिकेट के लिए दुखद दिन है। भारतीय क्रिकेट को इस स्थिति में श्रीनिवासन और बोर्ड में उनके कुछ साथियों ने पहुंचाया है। यह भारतीय क्रिकेट के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे भारतीय क्रिकेट बदनाम हो रहा है। ऐसी बुरी स्थिति है कि सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा।