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This Article is From Oct 25, 2015

मुंबई वनडे : कैप्टन एमएस धोनी की साख का 'फाइनल'

मुंबई वनडे : कैप्टन एमएस धोनी की साख का 'फाइनल'
मुंबई वनडे कैप्टन एमएस धोनी की साख का भी 'फाइनल' होगा
नई दिल्ली: भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच मौजूदा वनडे सीरीज में दोनों टीमें 2-2 से बराबरी पर हैं, वहीं सीरीज का अंतिम मुकाबला मुंबई में खेला जा रहा है। ऐसे में वर्ल्ड कप 2011 का फाइनल और एमएस धोनी का विजयी छक्का तो आपको याद ही होगा। सीरीज के परिणाम के हिसाब से यह मुकाबला किसी फाइनल से कम नहीं, क्योंकि इससे सीरीज के विजेता का फैसला होगा। इसके साथ ही यह वनडे कैप्टन एमएस धोनी की साख का भी 'फाइनल' होगा, क्योंकि साल 2015 में वर्ल्ड कप के अलावा उन्हें पिछली दो वनडे सीरीज में भी हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही आगामी टी-20 वर्ल्ड कप की तैयारियों और टीम के मोरल के लिए भी यह खास होगा।

अभी तक नहीं दिखा 'द ग्रेट फिनिशर' धोनी
पिछली दो-तीन सीरीज पर नजर डालें, तो धोनी अपनी फिनिशर वाली छवि के अनुरूप खेल नहीं दिखा पाए हैं। अंतिम ओवरों में बड़े शॉट लगाने की उनकी क्षमता अब पहले जैसी नहीं रही। वर्तमान सीरीज में ही देख लीजिए, रबाडा, मॉर्कल, स्टेन जैसे तेज गेंदबाजों के सामने वे बेबस ही नजर आए हैं। हालांकि उन्होंने इसका कारण विकेट का धीमा होना बताया है, लेकिन हम पहले उन्हें धीमे विकेट पर भी बड़े शॉट लगाते हुए देख चुके हैं। ऐसे में उन्हें यह बताने के लिए कि उनमें वही दमखम अब भी बाकी है, अपनी साख के अनुरूप फिनिशर की भूमिका निभानी होगी।

त्रिकोणीय सीरीज हारे, नहीं जीते एक भी मैच
वर्ल्ड कप 2015 से पहले खेली गई इस सीरीज में टीम इंडिया बुरी तरह पराजित हुई थी। ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और भारत के बीच ऑस्ट्रेलिया में ही खेली गई सीरीज में टीम इंडिया वर्तमान दौर की तरह पूरे समय टीम कॉम्बिनेशन को लेकर संघर्ष करती रही। ध्यान देने वाली बात यह रही कि हम एक भी मुकाबला नहीं जीत पाए। खुद धोनी का प्रदर्शन भी उनकी ठवि के अनुकूल नहीं रहा था। इस प्रकार हम फाइनल तो क्या लीग मैच में ही जीत का खाता नहीं खोल सके।

वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हारे
हालांकि त्रिकोणीय सीरीज में बुरी हार के बावजूद वर्ल्ड कप 2015 में टीम इंडिया का प्रदर्शन अच्छा रहा, लेकिन हम सेमीफाइनल में जाकर बिखर गए। हालांकि धोनी ने इस मैच में सर्वाधिक 65 रन बनाए थे, लेकिन वे फिनिशर की भूमिका नहीं निभा पाए और उनके आउट होते ही वर्ल्ड कप जीतने की उम्मीदें खत्म हो गईं।

7वीं रैकिंग की टीम बांग्लादेश से सीरीज हारे
एमएस धोनी को कभी नहीं भुला पाने वाली पराजय बांग्लादेश के खिलाफ मिली। बांग्लादेश की युवा टीम ने सितारों से सजी टीम इंडिया को गेम के हर फील्ड में मात दी। तीन मैचों की इस सीरीज में हम एक ही मैच जीत पाए। हालांकि धोनी ने पहले मैच को छोड़कर कुछ रन बनाए थे, लेकिन उनकी फिनिशर की छवि को इसमें भी धक्का लगा था।

जिम्बाब्वे से जीते, लेकिन कैप्टन रहाणे रहे
जिम्बाब्वे जैसी कमजोर टीम के खिलाफ जरूर टीम इंडिया को सीरीज में जीत हासिल हुई, लेकिन उस दौरे के कप्तान अजिंक्य रहाणे थे। ऐसे में यह जीत भी धोनी के खाते में नहीं गई।

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भी टीम कॉम्बिनेशन के लिए संघर्ष
वर्ल्ड कप 2015 से पहले हुई त्रिकोणीय सीरीज की तरह ही दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वर्तमान सीरीज में भी धोनी टीम कॉम्बिनेशन को लेकर जूझते रहे हैं। या जैसा कि उन्होंने खुद कहा है कि वे कन्फ्यूज रहे। हालांकि चौथे वनडे में टीम का संयोजन कुछ हद तक बेहतर रहा और इसीलिए जीत भी मिली, लेकिन पिच से मिली मदद को भी नहीं भूलना चाहिए।

क्या वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल का प्रदर्शन दोहरा पाएंगे धोनी
टीम इंडिया और धोनी के लिए वानखेड़े का मैदान लकी रहा है। यहीं धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने 28 साल बाद वर्ल्ड कप जीता था। फाइनल मुकाबले में धोनी ने शानदार बल्लेबाजी की थी और उनका वर्ल्ड कप विजयी छ्क्का सबके जेहन में आज भी ताजा है। अब सवाल यह है कि आगामी टी-20 वर्ल्ड कप को देखते हुए क्या धोनी अपनी साख के अनुरूप प्रदर्शन करते हुए दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जीत दिला पाएंगे। यदि वे ऐसा कर पाते हैं, तो यह उनकी खुद की साख और टीम इंडिया की टी-20 वर्ल्ड कप की उम्मीदों के लिए एक बूस्टर होगा।

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