टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की टेस्ट मैचों में नाकामी बरकरार है। विदेशी जमीन पर धोनी कप्तान के तौर पर बिल्कुल बेअसर साबित हुए हैं।
विदेशी जमीन पर सबसे ज्यादा टेस्ट हारने वाले भारतीय कप्तान बनने के बाद वह अब इस मामले में वर्ल्ड रिकॉर्ड के भी करीब पहुंच गए हैं।
नवंबर, 2008 में फुल टाइम कप्तान बनने के बाद धोनी की कप्तानी में भारत ने विदेशी जमीन पर 29 टेस्ट मैच खेले, जिनमें से भारत को 15 में हार मिली। एक और टेस्ट हारकर वह स्टीफन फ्लेमिंग और ब्रायन लारा की बराबरी कर लेंगे। लारा और फ्लेमिंग के नाम विदेश में 16 हार का रिकॉर्ड है।
इतना ही नहीं, कप्तान के तौर पर टेस्ट मैचों में फ्लॉप साबित होने वाले धोनी खिलाड़ी के तौर पर भी टेस्ट में कुछ खास नहीं कर पाए। कप्तान बनने के बाद धोनी ने टेस्ट में 31.97 की औसत से रन बनाए, जिसमें एक भी शतक शामिल नहीं है। जबकि इसी दौरान उन्होंने वनडे मैचों में करीब 54.00 की औसत से रन बनाए, जिसमें एक शतक भी शामिल है। ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर ब्रिस्बेन टेस्ट में 8वीं बार शून्य पर आउट होकर उन्होंने नया रिकॉर्ड भी बना लिया है।
धोनी टेस्ट मैचों में शून्य पर सबसे ज्यादा बार आउट होने वाले भारतीय कप्तान भी बन चुके हैं। वर्ल्ड कप जीताने वाले कप्तान धोनी छोटे फॉर्मेट में जीतना सफल साबित हुए, विदेशी जमीन पर टेस्ट में उतने ही फ्लॉप रहे हैं।
धोनी टेस्ट में खिलाड़ियों से बेस्ट नहीं निकलवा पाते और हर दौरे पर टीम की कहानी एक जैसी रहती है। अब धोनी की उम्र, टीम का टेस्ट में प्रदर्शन और विराट कोहली के बढ़ते कद के साथ ये कयास लगने भी शुरू हो गए है कि शायद यह टेस्ट कप्तान के तौर पर धोनी की आखिरी सीरीज है। मेलबर्न और सिडनी में धोनी के पास आखिरी मौका है, अगर यहां भी नाकामी हाथ लगी, तो धोनी के नाम विदेश में सबसे खराब कप्तान होने का तमगा होगा।
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