टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी
नई दिल्ली:
भारत की वनडे और टी-20 टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को धार्मिक भावनाओं को भड़काने के मामले सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने धोनी के खिलाफ समन और मुक़दमे को रद्द कर दिया है. धोनी की तरफ से दायर विशेष अनुमति याचिका में कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी जिसने बेंगलुरु में निचली अदालत में उनके खिलाफ लंबित आपराधिक कार्यवाही को खारिज करने से इनकार कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर फ़िलहाल रोक लगा रखी थी. भारत की वनडे टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को धार्मिक भावनाओं को भड़काने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.
भारतीय वनडे टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के एक पत्रिका के मुखपृष्ठ पर भगवान विष्णु के रूप में पेश होकर हिंदू देवता का कथित अपमान करने के लिये उनके खिलाफ दायर मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
धोनी की तरफ से दायर विशेष अनुमति याचिका में कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी जिसने बेंगलुरु में निचली अदालत में उनके खिलाफ लंबित आपराधिक कार्यवाही को खारिज करने से इनकार कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर फ़िलहाल रोक लगा रखी है.
आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, समन जारी करते समय मजिस्ट्रेट ने जांच नहीं की या तो उसे खुद जांच करते या पुलिस से कराते लेकिन ऐसा नहीं किया गया. दूसरा आंध्र प्रदेश वाला केस अभी पेडिंग है.
सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर फ़िलहाल रोक लगा रखी थी. भारत की वनडे टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को धार्मिक भावनाओं को भड़काने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.
भारतीय वनडे टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के एक पत्रिका के मुखपृष्ठ पर भगवान विष्णु के रूप में पेश होकर हिंदू देवता का कथित अपमान करने के लिये उनके खिलाफ दायर मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
धोनी की तरफ से दायर विशेष अनुमति याचिका में कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी जिसने बेंगलुरु में निचली अदालत में उनके खिलाफ लंबित आपराधिक कार्यवाही को खारिज करने से इनकार कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर फ़िलहाल रोक लगा रखी है.
आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, समन जारी करते समय मजिस्ट्रेट ने जांच नहीं की या तो उसे खुद जांच करते या पुलिस से कराते लेकिन ऐसा नहीं किया गया. दूसरा आंध्र प्रदेश वाला केस अभी पेडिंग है.
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