नई दिल्ली : हैमिल्टन में जब विलियम पोर्टरफ़ील्ड और पॉल स्टर्लिंग की सलामी जोड़ी ने भारतीय गेंदबाज़ों की धुनाई शुरू की, तो इस वर्ल्ड कप में ये पहला मौका था जब भारत के तेज गेंदबाज़ बेअसर नजर आ रहे थे। दोनों ने पहले विकेट के लिए 15 ओवरों में 89 रन जोड़ दिए। इस वर्ल्ड कप में भारत के खिलाफ ये सबसे अच्छी शुरुआत थी।
लेकिन जल्द ही भारतीय गेंदबाज़ों ने मैच में जोरदार वापसी की और आयरलैंड की पारी पर अंकुश लगा दिया। मिडिल ऑर्डर में नील ओब्रायन को छोड़कर आयरलैंड का कोई भी बल्लेबाज़ विकेट पर नहीं टिक पाया और अंत में आयरलैंड की पूरी टीम 49 ओवरों में सिमट गई। आयरलैंड पूरे 50 ओवरों तक बल्लेबाज़ नहीं कर पाई और इसके साथ इस वर्ल्ड कप में भारतीय गेंदबाज़ों के सामने विपक्षी टीम का पूरे 50 ओवर नहीं खेल पाने का सिलसिला कायम रहा।
भारत इस वर्ल्ड कप में अब तक पांच मैच खेल चुका है और इन पांचों मुक़ाबले में कोई भी टीम 50 ओवर तक नहीं टिक पाई है। पहले मैच में पाकिस्तान की टीम भारतीय गेंदबाजों के सामने 47 ओवरों तक टिक पाई थी। वहीं दूसरे मैच में दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज़ 42वें ओवर में सिमट गए। वहीं संयुक्त अरब अमीरात के सामने भारतीय गेंदबाज़ों ने 32वें ओवर तक ही गेंदबाज़ी की।
जबकि चौथे मैच में वेस्टइंडीज़ की टीम 45 ओवरों तक बल्लेबाज़ी कर सकी। भारत के पहले चार मुक़ाबले ऑस्ट्रेलियाई मैदानों पर खेले गए, जहां कोई भी टीम भारत के सामने 225 रन तक नहीं पहुंच सकी। हैमिल्टन में आयरलैंड के बल्लेबाज़ों ने 250 रनों का आंकड़ा तो पार कर लिया लेकिन 50 ओवर की पूरी बल्लेबाज़ी करने से चूक गए।
इस मैच में जब भारतीय तेज गेंदबाज़ी यानी उमेश यादव, मोहम्मद शमी और मोहित शर्मा की तिकड़ी बेअसर होने लगी थी, तब आर अश्विन और सुरेश रैना की फिरकी ने आयरलैंड की पारी पर अंकुश लगा दिया। यानी तेज गेंदबाज़ों के साथ भारतीय स्पिनर भी हर चुनौती के लिए तैयार दिख रहे हैं। ऐसे में साफ है कि इनके सामने 50 ओवर तक टिक पाना कोई आसान खेल नहीं।
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