इरफान पठान (फाइल फोटो)
क्रिकेट का खेल कितना अनिश्चितता से भरा हैं, इरफान पठान को देखकर समझा जा सकता है. वडोदरा के इस क्रिकेटर को एक समय महान कपिल देव के स्तर का ऑलराउंडर माना जा रहा है. अपने करियर के शुरुआती दौर में ही उन्होंने अपने प्रदर्शन से बड़ा क्रिकेटर बनने की चमक दिखाई थी. पाकिस्तान के खिलाफ वहीं के मैदान में हैट्रिक लेना कोई हंसी खेल नहीं है, लेकिन घुंघराले बाल वाले इरफान ने इसे वर्ष 2006 में कराची के मैदान पर अंजाम दिया था.
उनके शिकार भी पुछल्ले बल्लेबाज नहीं बल्कि टॉप आर्डर के सलमान बट, यूनुस खान और मो. यूसुफ थे. इरफान का यह प्रदर्शन एक तरह से पाकिस्तान के बड़बोले पूर्व क्रिकेटर जावेद मियांदाद को जवाब था. इरफान की गेंदबाजी को हल्के में लेते हुए मियांदाद ने कहा कि उनके (इरफान) जैसे गेंदबाज पाकिस्तान की गलियों में मिलते हैं. मियांदाद को शायद बाद में अपने इन शब्दों पर अफसोस हुआ होगा. इसे इरफान और टीम इंडिया का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि चोटों और विभिन्न कारणों से वे अपनी कामयाबी के शानदार दौर को बरकरार नहीं रख पाए और भारतीय क्रिकेट टीम से बाहर हो गए.
27 अक्टूबर 1984 को गुजरात के वडोदरा शहर में जन्मे इरफान बाएं हाथ के आला दर्जे के स्विंग गेंदबाज और शानदार बल्लेबाज हैं. बड़े भाई यूसफ के साथ उनका नाम जल्द ही गुजरात के क्रिकेट सर्किट में लोगों की जबान पर चढ़ गया लेकिन इरफान के टेलेंट को बेहद खास माना गया. बेहद साधारण परिवार में जन्मे इरफान और यूसुफ के पिता एक मस्जिद में मुअज्जिन थे, लेकिन बेटों के खेल कौशल को परखते हुए उन्होंने न केवल उन्हें बढ़ावा दिया बल्कि क्रिकेट के लिए जरूरी हर सुविधा मुहैया कराई.
जूनियर स्तर पर वडोदरा की ओर से नेशनल क्रिकेट में चमक दिखाने के बाद इरफान को 17 वर्ष की उम्र में पाकिस्तान में होने वाली एशियन अंडर-19 यूथ वनडे चैंपियनशिप के लिए चुना गया जहां उन्होंने चमत्कारी प्रदर्शन करते हुए बांग्लादेश के खिलाफ महज 16 रन देकर 9 विकेट लिए और बाद में टूर्नामेंट में भारत को चैंपियन भी बनाया.जूनियर स्तर के इस प्रदर्शन ने इरफान के लिए इंडियन सीनियर टीम में प्रवेश की राह बनाई. 12 दिसंबर 2003 को एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने टेस्ट करियर का आगाज किया. इरफान ने जल्द ही खुद को टीम के ऐसे खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर लिया जो बैटिंग और गेंदबाजी, दोनों में कुशल होने के कारण इसे संतुलन प्रदान करता है. शुरुआती टेस्ट सीरीज में ही शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें वनडे टीम में स्थान मिल गया. 9 जनवरी 2004 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही उन्होंने वनडे करियर शुरू किया.
गेंदबाजी में इरफान की गति तो बहुत अधिक नहीं है लेकिन वे इसे विकेट के दोनों ओर स्विंग कराने में माहिर हैं. वर्ष 2004 में भारतीय टीम ने जब सौरव गांगुली की कप्तानी में पाकिस्तान का दौरा किया तो टेस्ट और वनडे सीरीज जीत में इरफान का महत्वपूर्ण योगदान रहा. वर्ष 2007 में टी20 वर्ल्डकप और ऑस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय सीरीज जीतने वाली भारतीय टीम के इरफान सदस्य रह चुके हैं. उन्होंने अब तक 29 टेस्ट में 32.26 के औसत से 100 विकेट लिए हैं. सात बार वे पारी में पांच या इससे अधिक और दो बार मैच में 10 विकेट ले चुके हैं. बल्ले से भी अच्छा योगदान देते हुए वे 31.57 के औसत से 1105 रन बना चुके हैं जिसमें एक शतक शामिल हैं. 120 वनडे मैचों में उन्होंने 29.72 के औसत से 173 विकेट लेने के अलावा 23.39 के औसत से 1544 रन भी बनाए हैं. इरफान ने अपना आखिरी वनडे अगस्त 2012 में श्रीलंका के खिलाफ खेला था. उम्मीद है कि वे अपनी मेहनत की बदौलत टीम इंडिया में फिर से स्थान बनाते हुए जीत में भी योगदान देने में सफल रहेंगे...
उनके शिकार भी पुछल्ले बल्लेबाज नहीं बल्कि टॉप आर्डर के सलमान बट, यूनुस खान और मो. यूसुफ थे. इरफान का यह प्रदर्शन एक तरह से पाकिस्तान के बड़बोले पूर्व क्रिकेटर जावेद मियांदाद को जवाब था. इरफान की गेंदबाजी को हल्के में लेते हुए मियांदाद ने कहा कि उनके (इरफान) जैसे गेंदबाज पाकिस्तान की गलियों में मिलते हैं. मियांदाद को शायद बाद में अपने इन शब्दों पर अफसोस हुआ होगा. इसे इरफान और टीम इंडिया का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि चोटों और विभिन्न कारणों से वे अपनी कामयाबी के शानदार दौर को बरकरार नहीं रख पाए और भारतीय क्रिकेट टीम से बाहर हो गए.
27 अक्टूबर 1984 को गुजरात के वडोदरा शहर में जन्मे इरफान बाएं हाथ के आला दर्जे के स्विंग गेंदबाज और शानदार बल्लेबाज हैं. बड़े भाई यूसफ के साथ उनका नाम जल्द ही गुजरात के क्रिकेट सर्किट में लोगों की जबान पर चढ़ गया लेकिन इरफान के टेलेंट को बेहद खास माना गया. बेहद साधारण परिवार में जन्मे इरफान और यूसुफ के पिता एक मस्जिद में मुअज्जिन थे, लेकिन बेटों के खेल कौशल को परखते हुए उन्होंने न केवल उन्हें बढ़ावा दिया बल्कि क्रिकेट के लिए जरूरी हर सुविधा मुहैया कराई.
जूनियर स्तर पर वडोदरा की ओर से नेशनल क्रिकेट में चमक दिखाने के बाद इरफान को 17 वर्ष की उम्र में पाकिस्तान में होने वाली एशियन अंडर-19 यूथ वनडे चैंपियनशिप के लिए चुना गया जहां उन्होंने चमत्कारी प्रदर्शन करते हुए बांग्लादेश के खिलाफ महज 16 रन देकर 9 विकेट लिए और बाद में टूर्नामेंट में भारत को चैंपियन भी बनाया.जूनियर स्तर के इस प्रदर्शन ने इरफान के लिए इंडियन सीनियर टीम में प्रवेश की राह बनाई. 12 दिसंबर 2003 को एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने टेस्ट करियर का आगाज किया. इरफान ने जल्द ही खुद को टीम के ऐसे खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर लिया जो बैटिंग और गेंदबाजी, दोनों में कुशल होने के कारण इसे संतुलन प्रदान करता है. शुरुआती टेस्ट सीरीज में ही शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें वनडे टीम में स्थान मिल गया. 9 जनवरी 2004 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही उन्होंने वनडे करियर शुरू किया.
गेंदबाजी में इरफान की गति तो बहुत अधिक नहीं है लेकिन वे इसे विकेट के दोनों ओर स्विंग कराने में माहिर हैं. वर्ष 2004 में भारतीय टीम ने जब सौरव गांगुली की कप्तानी में पाकिस्तान का दौरा किया तो टेस्ट और वनडे सीरीज जीत में इरफान का महत्वपूर्ण योगदान रहा. वर्ष 2007 में टी20 वर्ल्डकप और ऑस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय सीरीज जीतने वाली भारतीय टीम के इरफान सदस्य रह चुके हैं. उन्होंने अब तक 29 टेस्ट में 32.26 के औसत से 100 विकेट लिए हैं. सात बार वे पारी में पांच या इससे अधिक और दो बार मैच में 10 विकेट ले चुके हैं. बल्ले से भी अच्छा योगदान देते हुए वे 31.57 के औसत से 1105 रन बना चुके हैं जिसमें एक शतक शामिल हैं. 120 वनडे मैचों में उन्होंने 29.72 के औसत से 173 विकेट लेने के अलावा 23.39 के औसत से 1544 रन भी बनाए हैं. इरफान ने अपना आखिरी वनडे अगस्त 2012 में श्रीलंका के खिलाफ खेला था. उम्मीद है कि वे अपनी मेहनत की बदौलत टीम इंडिया में फिर से स्थान बनाते हुए जीत में भी योगदान देने में सफल रहेंगे...
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