फाइल फोटो...
मुंबई:
सलामी बल्लेबाज फैज फजल के शतक तथा अन्य बल्लेबाजों के उपयोगी योगदान से शेष भारत ने आज यहां पहाड़ जैसे लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल करके रणजी चैंपियन मुंबई को चार विकेट से हराकर ईरानी कप क्रिकेट टूर्नामेंट जीता। शेष भारत के सामने 480 रन का लक्ष्य था और उसने खेल के पांचवें और आखिरी दिन आज यहां छह विकेट पर 482 रन बनाकर रिकॉर्ड जीत दर्ज की।
ईरानी ट्राफी में यह सबसे बड़े लक्ष्य का नया रिकॉर्ड है। प्रथम श्रेणी मैचों की बात करें तो ओवरआल यह दसवां और भारत में तीसरा बड़ा लक्ष्य है जो किसी टीम ने सफलतापूर्वक हासिल किया। प्रथम श्रेणी मैचों में सर्वाधिक लक्ष्य हासिल करने का रिकॉर्ड पश्चिम क्षेत्र के नाम पर है, जिसने 2010 में हैदराबाद में दलीप ट्रॉफी फाइनल में दक्षिण क्षेत्र के लिए सात विकेट पर 541 रन बनाकर जीत दर्ज की थी। फजल ने 127 रन की पारी खेलकर शेष भारत को लक्ष्य हासिल करने की तरफ बढ़ाया।
करूण नायर (92) लगातार दूसरी पारी में नर्वस नाइंटीज के शिकार बने। सुदीप चटर्जी (54) ने भी अर्धशतक जमाया और जब मुंबई वापसी करने की स्थिति में दिख रहा था तब शेल्डन जैकसन नाबाद (59) और स्टुअर्ट बिन्नी (54) के बीच छठे विकेट के लिए 92 रन की साझेदारी ने शेष भारत की जीत सुनिश्चित कर दी। जयंत यादव 19 रन बनाकर नाबाद रहे। मुंबई के कप्तान आदित्य तारे ने नौ गेंदबाजों का उपयोग किया, लेकिन केवल बायें हाथ के स्पिनर इकबाल अब्दुल्ला ही सफल रहे। उन्होंने 154 रन देकर पांच विकेट लिए। मुंबई ने अपनी पहली पारी में 603 रन बनाए थे। यह अब प्रथम श्रेणी मैचों में हारने वाली टीम का छठा सर्वाधिक स्कोर बन गया है। शेष भारत ने अपनी पहली पारी में 306 रन बनाए। मुंबई ने उसे फालोआन देने के बजाए स्वयं बल्लेबाजी की, लेकिन उसकी टीम दूसरी पारी में 182 रन पर ढेर हो गई थी।
करूण हालांकि पहली पारी की तरह लय में दिखे। पहली पारी में 94 रन बनाने वाले इस बल्लेबाज ने कुछ खूबसूरत स्ट्रोक लगाए और फजल के साथ तीसरे विकेट के लिए 130 रन जोड़े। अब्दुल्ला ने आखिर में फजल की एकाग्रता भंग की और उन्हें विकेटकीपर तारे के हाथों कैच कराया। फजल ने 280 गेंदे खेली तथा दस चौके लगाए। करूण लगातार दूसरी पारी में शतक बनाने में नाकाम रहे। उन्होंने अब्दुल्ला की लेग साइड की तरफ जा रही गेंद पर स्लाग स्वीप करने के प्रयास में फाइन लेग पर कैच दिया। इस युवा बल्लेबाज ने 132 गेंदों का सामना करके सात चौके लगाए।
कप्तान नमन ओझा 29 रन बनाकर रन आउट हो गए, जिससे स्कोर पांच विकेट पर 353 रन था। शेष भारत को 127 रन की दरकार थी और उसकी आधी टीम पवेलियन लौट चुकी थी। ऐसे में जैकसन और बिन्नी ने जिम्मेदारी के साथ आक्रामक बल्लेबाजी का नजारा भी पेश किया। विशेषकर बिन्नी ने कुछ बड़े शॉट खेले। उन्होंने अपनी पारी में केवल 51 गेंदे खेली तथा तीन चौके और दो छक्के लगाए। अब्दुल्ला ने बिन्नी को आउट करके अपना पांचवां विकेट लिया। जयंत यादव ने हालांकि जैकसन का अंत तक साथ दिया। जैकसन ने अब्दुल्ला पर विजयी चौका लगाया। करूण को दोनों पारियों में उनकी शानदार बल्लेबाजी के लिए मैन आफ द मैच चुना गया।
ईरानी ट्राफी में यह सबसे बड़े लक्ष्य का नया रिकॉर्ड है। प्रथम श्रेणी मैचों की बात करें तो ओवरआल यह दसवां और भारत में तीसरा बड़ा लक्ष्य है जो किसी टीम ने सफलतापूर्वक हासिल किया। प्रथम श्रेणी मैचों में सर्वाधिक लक्ष्य हासिल करने का रिकॉर्ड पश्चिम क्षेत्र के नाम पर है, जिसने 2010 में हैदराबाद में दलीप ट्रॉफी फाइनल में दक्षिण क्षेत्र के लिए सात विकेट पर 541 रन बनाकर जीत दर्ज की थी। फजल ने 127 रन की पारी खेलकर शेष भारत को लक्ष्य हासिल करने की तरफ बढ़ाया।
करूण नायर (92) लगातार दूसरी पारी में नर्वस नाइंटीज के शिकार बने। सुदीप चटर्जी (54) ने भी अर्धशतक जमाया और जब मुंबई वापसी करने की स्थिति में दिख रहा था तब शेल्डन जैकसन नाबाद (59) और स्टुअर्ट बिन्नी (54) के बीच छठे विकेट के लिए 92 रन की साझेदारी ने शेष भारत की जीत सुनिश्चित कर दी। जयंत यादव 19 रन बनाकर नाबाद रहे। मुंबई के कप्तान आदित्य तारे ने नौ गेंदबाजों का उपयोग किया, लेकिन केवल बायें हाथ के स्पिनर इकबाल अब्दुल्ला ही सफल रहे। उन्होंने 154 रन देकर पांच विकेट लिए। मुंबई ने अपनी पहली पारी में 603 रन बनाए थे। यह अब प्रथम श्रेणी मैचों में हारने वाली टीम का छठा सर्वाधिक स्कोर बन गया है। शेष भारत ने अपनी पहली पारी में 306 रन बनाए। मुंबई ने उसे फालोआन देने के बजाए स्वयं बल्लेबाजी की, लेकिन उसकी टीम दूसरी पारी में 182 रन पर ढेर हो गई थी।
करूण हालांकि पहली पारी की तरह लय में दिखे। पहली पारी में 94 रन बनाने वाले इस बल्लेबाज ने कुछ खूबसूरत स्ट्रोक लगाए और फजल के साथ तीसरे विकेट के लिए 130 रन जोड़े। अब्दुल्ला ने आखिर में फजल की एकाग्रता भंग की और उन्हें विकेटकीपर तारे के हाथों कैच कराया। फजल ने 280 गेंदे खेली तथा दस चौके लगाए। करूण लगातार दूसरी पारी में शतक बनाने में नाकाम रहे। उन्होंने अब्दुल्ला की लेग साइड की तरफ जा रही गेंद पर स्लाग स्वीप करने के प्रयास में फाइन लेग पर कैच दिया। इस युवा बल्लेबाज ने 132 गेंदों का सामना करके सात चौके लगाए।
कप्तान नमन ओझा 29 रन बनाकर रन आउट हो गए, जिससे स्कोर पांच विकेट पर 353 रन था। शेष भारत को 127 रन की दरकार थी और उसकी आधी टीम पवेलियन लौट चुकी थी। ऐसे में जैकसन और बिन्नी ने जिम्मेदारी के साथ आक्रामक बल्लेबाजी का नजारा भी पेश किया। विशेषकर बिन्नी ने कुछ बड़े शॉट खेले। उन्होंने अपनी पारी में केवल 51 गेंदे खेली तथा तीन चौके और दो छक्के लगाए। अब्दुल्ला ने बिन्नी को आउट करके अपना पांचवां विकेट लिया। जयंत यादव ने हालांकि जैकसन का अंत तक साथ दिया। जैकसन ने अब्दुल्ला पर विजयी चौका लगाया। करूण को दोनों पारियों में उनकी शानदार बल्लेबाजी के लिए मैन आफ द मैच चुना गया।
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