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'ढाई महीने में ही सबकुछ बदल गया', हार्दिक ने बताया फॉर्मूला, कैसे खुद को बुरे दिनों से बाहर लाए

Hardik Pandya on bad phase: पिछले आईपीएल में सीजन में हार्दिक पांड्या मैदान पर कितने खराब समय से गुजरे यह सभी ने देखा, लेकिन आज उनकी दुनिया पूरी तरह बदली हुई है

'ढाई महीने में ही सबकुछ बदल गया', हार्दिक ने बताया फॉर्मूला, कैसे खुद को बुरे दिनों से बाहर लाए
Hardik's revelation: हार्दिक पिछले सीजन में मैदान पर बहुत ही बुरे दौर से गुजरे थे
नई दिल्ली:

शायद ही किसी खिलाड़ी को मैदान पर ऐसी हूटिंग पड़ी  हो, जैसी हार्दिक पंड्या (Hardik Pandya) को पिछले साल आईपीएल में झेलनी पड़ी. गुजरात से हार्दिक मुंबई क्या गए कि दोनों ही फ्रेंचाइजी के फैंस उनके पीछे हाथ धोकर पड़ गए. अगर इस पर भी कुछ कसर बाकी थी, तो वह पंड्या के रोहित के साथ बर्ताव ने पूरी कर दी. और फिर जो हुआ, वह जायका बहुत ही कड़वा कर गया. जब भी वह वानखेड़े में खेलने उतरे, तो हार्दिक के साथ ऐसा बर्ताव हुआ कि उनके चाहने वालों के लिए भी पैर रखना मुश्किल हो गया. लेकिन अब हालात एकदम उलट हैं. करीब एक साल बाद हार्दिक की छवि और कद दोनों ही बदल गए हैं. टीम इंडिया के लिए पिछले एक साल के प्रदर्शन से उनके कट्टर आलोचक भी उनके प्रशंसक बन गए. और इस दौर को अब पंड्या ने याद किया है. इसके लिए हालिया इंटरव्यू में हार्दिक ने अपनी इच्छाशक्ति और फिर से खुद को मजबूत बनाने के रवैये को श्रेय दिया है. 

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'यह मेरी फितरत में है'

पंड्या बोले, मेरे लिए हमेशा से ही कभी भी मैदान न छोड़ने वाली बात रही है. मेरे करियर में कई ऐसे दौर आए, जब मेरा ध्यान जीत पर न होकर अपनी जमीन को बरकरार रखने पर था. मैंने महसूस किया कि चाहे मेरे इर्द-गिर्द कुछ भी हो रहा हो, क्रिकेट हमेशा मेरी सच्ची दोस्त बनी रहेगी. यही मेरे आगे जाने का जरिया है.'

'ढाई महीने में सब बदल गया'

हार्दिक बोले, 'मैं अपने आप पर लगातार काम करता रहा. और अब जब मेरे कड़े परिश्रम का फल मिला है, तो यह सब मेरी कल्पना से भी परे की चीज है. छह महीने के चरण में हमने विश्व कप जीता. और फिर जिस तरह का समर्थन और प्यार मुझे मिला, तो मेरे लिए पूरी तरह से 350 डिग्री का बदलाव था.' उन्होंने कहा, 'उस पूरे समय के दौरान मैंने जान लिया कि अगर मैं अपने काम के प्रति जिद्दी और ईमानदार बना रहता हूं और अपना सर्वश्रेष्ठ देता हूं, तो मैं और मजबूत होकर उभरकर आऊंगा.मैं वास्तव में नहीं जानता था कि क्या होगा. लेकिन जैसा कहते हैं कि किस्मत का अपना ही प्लान था. और मेरे मामले में ढाई महीने में ही सब बदल गया'

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