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क्या वे दोबारा रेप होने के लिए जाएंगे... मुर्शिदाबाद की पीड़िताओं से मिलीं महिला आयोग का दर्द सुनिए  

महिला आयोग की सदस्य ने अर्चना मजूमदार ने पीड़ितों से मुलाकात करने के बाद राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा. अर्चना मजूमदार ने कहा कि ये की स्थिति बहुत खराब है. किसी को भी आज तक यहां की सच्चाई का पता नहीं चल पाया है. 

मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद महिला आयोग की सदस्य पीड़ितों से मिली

मुर्शिदाबाद:

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बीते दिनों हुई हिंसा के बाद  हालात अभी भी सामान्य नहीं हो पाए हैं. स्थिति ये है कि जो लोग इस हिंसा की वजह से अपने घरों को जलता हुआ छोड़कर वहां से जान बचाकर भागे तो वो आज तक नहीं लौट पाए हैं. मुर्शिदाबाद में अब कैसे हालात हैं इसे देखने और पीड़ितों से मिलने के लिए महिला आयोग की सदस्य अर्चना मजूमदार ने प्रभावित इलाके का दौरा किया. उन्होंने पीड़ितों से मुलाकात करने के बाद राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा. अर्चना मजूमदार ने कहा कि ये की स्थिति बहुत खराब है. किसी को भी आज तक यहां की सच्चाई का पता नहीं चल पाया है. 

महिला आयोग की सदस्य ने और क्या कुछ कहा सुनें

अर्चना मजूमदार ने कहा कि यहां पर कोई मीडिया नहीं है. ना उन्हें यहां आने दिया जा रहा है. अगर यहां मीडिया होती तो यहां के हालात के बारे में आपको सही से पता चल पाता. यहां जो बच्चे हैं उन्हें बेबी फूड तक नहीं मिल पा रहा है. लोगों को खाना नहीं मिल रहा है. कोई डॉक्टर नहीं है. सबके घर जल चुके हैं. लोगों के घरों में बर्तन नहीं है. कपड़े नहीं है. क्या करेंगे ये लोग अपने घर में जाकर. क्या दोबारा से रेप होने के लिए वहां जाएंगे.

आपको बता दें कि शुक्रवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भी मुर्शिदाबाद हिंसा प्रभावित लोगों का दर्द जानने की कोशिश की थी. इस मुलाकात के दौरान मालदा के राहत शिविरों में रह रही महिलाओं ने रोते हुए कहा था कि हमारी संपत्ति लूट ली, जबरन हमें हमारे घर से भगा दिया. अब जब हम यहां आकर शरण लिए हुए हैं तो यहां भी लाख बंदिशें हैं. यह राहत शिविर जेल से भी बदतर हैं. सूखी रोटी, केला और बासी चावल से कैसे गुजारा होगा. शिविर में मौजूद एक महिला ने संवाददाताओं से कहा था कि पुलिस हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है. हमें सूखी रोटियां, केले और बासी चावल दिए जा रहे हैं. यह बताना मुश्किल है कि हम शरणार्थी शिविर में हैं या हिरासत केंद्र में.

एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने भी महिलाओं पर हिंसा के प्रभाव का आकलन करने और पुनर्वास प्रयासों का निरीक्षण करने के लिए शुक्रवार को मालदा और मुर्शिदाबाद का दो दिवसीय दौरा शुरू किया. शिविर के निवासियों से बातचीत के बाद रहाटकर ने संवाददाताओं से कहा था कि मैं यहां महिलाओं और बच्चों की स्थिति देखकर स्तब्ध हूं. उन्हें जबरन उनके घरों से निकाल दिया गया और वे अकल्पनीय पीड़ा से गुजर रहे हैं.

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