एडिलेड टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया की जीत को कप्तान माइकल क्लार्क ने पवैलियन से देखा। एक बार फिर क्लार्क की मांस−पेशियों में खिंचाव ने उन्हें भारत के साथ बाक़ी बचे तीन टेस्ट से बाहर कर दिया है।
चोट कितनी बड़ी है इस बात का अंदाज़ा ख़ुद क्लार्क को है। मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में माइकल क्लार्क ने उदास होकर कहा कि वह दोबारा ऑस्ट्रेलिया के लिए शायद नहीं खेल सकें। हालांकि भरोसा जताया कि उनकी कोशिश वापसी की होगी। कप्तान ने अंत में सच को स्वीकारते हुए कहा कि वह सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ सकते।
एडिलेड टेस्ट शुरू होने से पहले क्लार्क की मांसपेशियों में खिंचाव थी और वह टेस्ट से ठीक पहले फ़िट हुए, लेकिन पहली पारी में बल्लेबाज़ी करते हुए पीठ की तकलीफ़ की वजह से 60 रन पर रिटायर्ड हर्ट हो गए। हालांकि वापस आकर उन्होंने शतक बनाया और टीम को बड़ा स्कोर खड़ा करने में मदद किया।
मैच के आख़िरी दिन लंच से 40 मिनट बाद वह फ़ील्डिंग करते हुए चोटिल हुए तो एक बार फिर मांसपेशियों में खिंचाव इसकी वजह बनी।
अगर क्लार्क वर्ल्ड कप में नहीं खेलते हैं तो इससे ऑस्ट्रेलियाई टीम की तैयारियों पर गहरा असर पड़ सकता है। लेकिन 33 साल के क्लार्क ने हार नहीं मानी है और वर्ल्ड कप खेलने का उनका सपना अब भी ज़िंदा है।
कंगारू कप्तान के मुताबिक वर्ल्ड कप में टीम का पहला अभ्यास मैच आठ हफ़्ते दूर है। उनकी तमन्ना है कि वह वर्ल्ड कप में खेले, लेकिन इससे पहले वह अपनी फ़िटनेस पर काम करना चाहते हैं।
वैसे ऑस्ट्रेलियाई कप्तान क्लार्क को बचपन से ही पीठ में तकलीफ़ रही है और वह पिछले साल भी चोट की वजह से कई बार टीम से बाहर रहे हैं।
पिछले साल इंग्लैंड में हुए ऐशेज़ सीरीज़ में वह ज़रूर खेले थे, लेकिन उससे पहले पीठ में तकलीफ़ की वजह से भारत के साथ 4 टेस्ट की सीरीज़ का आख़िर टेस्ट नहीं खेल सके थे। वहीं इंग्लैंड के साथ वनडे सीरीज़ में भी वह चोट से परेशान रहे और पिछले साल चैंपियंस ट्रॉफ़ी में भी वह नहीं खेल सके।
चोट ने क्लार्क को इतना परेशान किया कि वह भारत के साथ वनडे सीरीज़ से भी बाहर रहे, ताकि वह नवंबर में ऐशेज़ सीरीज़ में खेल सके। ऐशेज़ में वह ज़रूर खेले और ऑस्ट्रेलिया टीम विजयी भी रही।
वैसे पीठ की तकलीफ़ के अलावा हाल के दिनों में वह मांसपेशियों में खिंचाव की वजह से अपने करियर में आठ बार टीम से बाहर हो चुके हैं और चार महीने में यह चौथा मौक़ा है जब उन्हें टीम का साथ बीच में छोड़ना पड़ा है।
ऑस्ट्रेलिया के लिए सौ से ज्यादा टेस्ट खेल चुके क्लार्क के लिए फिर से वापसी करना एक बड़ी चुनौती है। चुनौती तब और बड़ी हो जाती है, जब क्रिकेट के सबसे बड़े टूर्नामेंट वर्ल्ड कप में दो महीने से भी कम का समय बचा हो।
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