
- ओवल में हो रहा भारत और इंग्लैंड के बीच सीरीज का पांचवां मुकाबला शोले फिल्म की तरह लगता है.
- इंग्लैंड को आखिरी दिन जीत के लिए 35 रन चाहिए जबकि भारत को 4 विकेट. क्रिस वोक्स चोट के बावजूद खेल सकते हैं.
- मो. सिराज ने हैरी ब्रुक का कैच पकड़ा लेकिन पांव बाउंड्री के बाहर होने से कैच अमान्य हो गया.
ये फिल्म शोले का 50वां साल है. ठीक 50 साल पहले 15 अगस्त, 1975 को रुपहले पर्दे पर एक फिल्म- शोले आई. और, इसने भारतीय फिल्मों की दुनिया ही बदल दी. द ओवल पर खेला जा रहा भारत-इंग्लैंड मैच बिल्कुल शोले की अंदाज़ में ड्रामा, इमेशन्स, कॉमेडी और ट्रैजिडी के गोते लगाता रहा. ये मैच किसी भी बॉलीवुड से कम थ्रिलर नहीं साबित हुआ.
बैडलाइट से खिंच गया खेल
दुनिया भर के क्रिकेट फ़ैन्स जब दांतो से नाखून काटते हुए ओवल के रोमांच और तनाव झेलते रहे. भारत को जीत की रोशनी की तलाश थी तो मेज़बान इंग्लैंड को सिर्फ 35 रनों की. उसके 3 विकेट, दरअसल 4 खिलाड़ी मैदान पर आने बाक़ी थे. ड्रेसिंग रूम में वाइट ड्रेस में हाथों में स्लिंग लगाकर क्रिस वोक्स अपनी पारी के लिए तैयार दिखे. मौक़ा मिलता है तो वोक्स मैदान पर उतर सकते हैं. एक हाथ टूट गया तो क्या हुआ? इससे ज़्यादा ब्लड प्रेशर बढ़ानेवाला तनाव और क्या हो सकता है? तभी बैडलाइट के एलान ने खेल को रोक दिया और थोड़ी देर बाद बारिश ने स्टंप्स के एलान को मजबूर कर दिया. पांच टेस्ट की सीरज़ में पांचवीं बार मैच पांचवें दिन तक खिंच गया.

आह! सिराज के हाथों से फिसला वो कैच!
मैच के चौथे दिन भारतीय टीम मैदान पर आई तो इंग्लैंड को 324 रनों की ज़रूरत थी. 137 के इंग्लैंड के स्कोर पर प्रसिद्ध कृष्णा की गेंद पर बाउंड्री लाइन पर मो. सिराज ने हैरी ब्रुक का कैच लपक लिया. ब्रुक तब 19 के स्कोर पर थे. प्रसिद्ध कृष्णा ने हाथ फैलाकर जश्न की शुरुआत कर दी. खुशियों से प्रसिद्ध की बांछे खिलती दिखीं. लेकिन 10 सेकेंड के अंदर ही खेल हो गया. सिराज का पांव बाउंड्री-रोप पर लगा और वो बाउंड्री के बाहर थे. करोड़ों भारतीय फ़ैन्स, सिराज और प्रसिद्ध कृष्णा के हाथ उनके चेहरों पर अफ़सोस ज़ाहिर करते दिखे.

दिल लगाकर खेले टीम के ‘शोले'
पहली पारी में 224 का स्कोर बनाने के बाद दूसरी पारी में तकरीबन पूरी टीम ने जानदार पारियां खेलीं. यशस्वी जायसवाल का सीरीज़ की आखिरी पारी में बेहतरीन क्राफ्टसमैन सा शानदार शतक, आकाश दीप की कमाल की नाइटवाचमैन की पारी, रविंद्र जडेजा का शतक-रिकॉर्ड अर्द्धशतक और कुल 516 रन की खजाना, ध्रुव जुरेल की अहम 34 रन और वॉशिंगटन सुंदर का एक और शेरदिल अर्द्धशतक- इन सबने टीम इंडिया को 396 के स्कोर तक पहुंचा दिया. 374 का स्कोर पिछले 125 साल में इस मैदान पर कभी नहीं चेज़ किया गया.
कमाल का कमबैक
हैरी ब्रुक (111 रन) और जो रूट (105 रन) ने शतकीय पारियां खेलकर 195 रनों की साझेदारी की. लेकिन सासाराम एक्सप्रेस ने हैरी ब्रुक का विकेट लेकर टीम की कमाल की वापसी करवा दी. और फिर प्रसिद्ध कृष्णा ने जो रूट को जुरेल के हाथों लपकाया तो टीम इंडिया की जीत की उम्मीद मज़बूत हो गई. मैच का रोमांच फिर से चरम पर है.
ड्रामा है, इमेशन्स है, ट्रैजिडी है..
लेकिन इस कहानी में कई दमदार हीरो की पारियां हैं, आखिर तक जूझने का जज़्बा है, हार नहीं मानने की ज़िद है और हर हालत में विपक्षी को हराने का फौलाद है. ड्रामा है, इमेशन्स है, ट्रैजिडी है. ये मैच फुल ‘शोले' है..