
ब्रिस्बेन टेस्ट मैच में भी वही नतीजा निकला। भारतीय क्रिकेट टीम ने पहले दिन भले ही मुकाबले वाला खेल दिखाया हो, लेकिन आखिर में महज चार दिनों के अंदर टीम यह मैच हार गई।
इस मैच में उतार-चढ़ाव जरूर नजर आया, लेकिन टीम इंडिया की पुरानी मुश्किल अपनी जगह कायम रही, जिसके चलते ही टीम को हार का सामना करना पड़ा।
पहले दिन मुरली विजय की शतकीय पारी की बदौलत भारतीय टीम ने टेस्ट में शानदार शुरुआत की। दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक भारत का पलड़ा भारी था। ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीवन स्मिथ जरूर दूसरे दिन दीवार की तरह डटे हुए थे, लेकिन दूसरे छोर से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिल रहा था, ऐसे में उम्मीद थी कि भारतीय गेंदबाज इस मुकाबले में टीम इंडिया को बड़ी बढ़त दिला देंगे। लेकिन तीसरे दिन भारतीय गेंदबाज मैच पर पकड़ बनाने से चूके।
कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी अपने गेंदबाजों का बेहतर इस्तेमाल नहीं कर पाए। इन सबका नतीजा यह हुआ कि स्टीवन स्मिथ ने सीरीज में लगातार दूसरा शतक पूरा किया। स्मिथ ने इसके साथ ही मिचेल जॉनसन के साथ सातवें विकेट के लिए 148 रन जोड़कर टीम को मुश्किल से निकाला।
इसके बाद मिचेल स्टार्क, नेथन लेयॉन और अपना डेब्यू कर रहे जोश हेजलवुड ने भी उपयोगी साझेदारी निभाई। अंतिम 4 बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजों को बेअसर करते हुए 258 रन जोड़ दिए। इस दौरान कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपने गेंदबाजों का चतुराई से इस्तेमाल नहीं कर पाए। ब्रिस्बेन टेस्ट में पहली पारी के आधार पर ऑस्ट्रेलिया ने 97 रनों की महत्वपूर्ण बढ़त ले ली। इसके बाद एक बार फिर दारोमदार भारतीय बल्लेबाजों पर आ गया।
तीसरे दिन का खेल समाप्त होने तक भारतीय बल्लेबाज संघर्ष करने की स्थिति में जरूर थे, लेकिन चौथे दिन के पहले सत्र में यह तय हो गया कि भारत मैच हार जाएगा। पहले शिखर धवन की जगह आए विराट कोहली आउट हुए और उसके बाद महज 11 रनों के भीतर टीम इंडिया के अगले तीन विकेट गिर गए। रोहित शर्मा और महेंद्र सिंह धोनी को पक्षपातपूर्ण अंपायरिंग का जरूर शिकार होना पड़ा, लेकिन वे जिस तरह से गेंद को खेलने गए थे, वह भी बहुत भरोसे वाला नहीं था।
अब तक सीरीज में गेंदबाजी में बहुत प्रभावित नहीं करने वाले मिचेल जॉनसन ने इस पारी में चार विकेट ले लिए। शिखर धवन ने संघर्ष न दिखाया होता, तो टीम इंडिया ये मुकाबला और जल्दी हार जाती। ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए महज 128 रन बनाने थे। इस लक्ष्य के सामने ऑस्ट्रेलिया की शुरुआत खराब रही। ईशांत और उमेश यादव ने मैच को रोमांचक बनाने की कोशिश जरूर की, लेकिन तबतक काफी देर हो चुकी थी।
ईशांत और उमेश ने जिस तरह से ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में विकेट चटकाए, अगर उसी तरह वे पहली पारी में पुछल्ले बल्लेबाज़ों को आउट कर पाते तो मैच का नतीजा कुछ भी हो सकता था। बहरहाल, इस मैच में जीत हासिल करने के साथ ऑस्ट्रेलिया ने ब्रिस्बेन में टेस्ट नहीं गंवाने का अपना रिकॉर्ड कायम रखा है।
दूसरी ओर, चार टेस्ट मैचों की इस सीरीज में भारत अब दो टेस्ट हार चुका है, यानी सीरीज को बराबर रखने के लिए उसे अगले दोनों टेस्ट जीतने होंगे, जिसकी दूर-दूर तक कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।
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