धोनी ने धर्मशाला में 65 रन की पारी खेली (फाइल फोटो)
धर्मशाला:
श्रीलंका ने धर्मशाला में बड़ा 'धमाका' करते हुए रोहित शर्मा की कप्तानी वाली भारतीय टीम को सात विकेट की हार के लिए मजबूर कर दिया. पहले बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया, पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के 65 रनों के बावजूद 38.2 ओवर में 112 रन बनाकर ढेर हो गई. जवाब में खेलते हुए श्रीलंका टीम ने जीत के लिए जरूरी 113 रन महज 20.4 ओवर में तीन विकेट खोकर बना लिए. श्रीलंका टीम इस जीत के साथ सीरीज में 1-0 की बढ़त हासिल कर ली है. स्वाभाविक रूप से मोहाली में 14 दिसंबर को होने वाले दूसरे मैच में टीम इंडिया दबाव में होगी. भारतीय टीम यदि इस मैच में अपने स्कोर को 100 रन के पार पहुंचाने में सफल रही तो इसका श्रेय धोनी को जाता है. वरना एक समय 29 रन पर सात विकेट गंवाते हुए वह वनडे में अपना नया न्यूनतम स्कोर बनाने के करीब थी. भारतीय टीम का वनडे का न्यूनतम स्कोर 54 रन है जो उसने श्रीलंका के खिलाफ ही शारजाह में बनाया था. धर्मशाला मैच में धोनी एक अनचाहा रिकॉर्ड बनाने से जरा सा पीछे रह गए. यह रिकॉर्ड है टीम के न्यूनतम स्कोर (आल आउट) स्कोर में अर्धशतक बनाने का. यह रिकॉर्ड इस समय दक्षिण अफ्रीका के हर्शेल गिब्स के नाम पर है जिन्होंने वर्ष 2000 में शारजाह में टीम के 101 रन के स्कोर में नाबाद 59 रन (विरुद्ध पाकिस्तान) बनाए थे. आज की पारी के बाद माही इस मामले में दूसरे नंबर पर आ गए हैं. भारतीय टीम मैच में 112 रन पर आउट हुई, इसमें धोनी का योगदान 65 रन का रहा. तीसरे नंबर पर नीदरलैंड्स के टी. कूपर हैं जिन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ वर्ष 2011 में टीम के 115 के स्कोर में नाबाद 55 रन का योगदान दिया था.
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भारतीय टीम का यह स्कोर घरेलू मैदान पर वनडे में उसका तीसरा सबसे कम स्कोर रहा. इससे पहले टीम इंडिया 1986 में श्रीलंका के खिलाफ कानपुर में 78 और 1993 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अहमदाबाद में 100 रन बनाकर आउट हो चुकी है. भारतीय टीम की उसके ही मैदान पर गेंद शेष रहने के लिहाज से ये सबसे बड़ी हार है. भारतीय टीम इससे पहले वर्ष 2007 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वडोदरा में 145 गेंद शतक रहते हुए मैच हार चुकी है.
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भारतीय टीम का यह स्कोर घरेलू मैदान पर वनडे में उसका तीसरा सबसे कम स्कोर रहा. इससे पहले टीम इंडिया 1986 में श्रीलंका के खिलाफ कानपुर में 78 और 1993 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अहमदाबाद में 100 रन बनाकर आउट हो चुकी है. भारतीय टीम की उसके ही मैदान पर गेंद शेष रहने के लिहाज से ये सबसे बड़ी हार है. भारतीय टीम इससे पहले वर्ष 2007 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वडोदरा में 145 गेंद शतक रहते हुए मैच हार चुकी है.
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