भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज अभिनव मुकुंद का मानना है कि शुभमन गिल पर काफी अधिक दबाव है और उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शुरुआती टेस्ट में भारत की हार के बाद अलग प्रारूप में अलग कप्तान बनाने की मांग की. गर्दन में ऐंठन के कारण गिल दूसरी पारी में खेलने नहीं उतरे, जबकि भारत 124 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 93 रन पर आउट हो गया. दक्षिण अफ्रीका ने तीन दिन के भीतर 30 रन से जीत दर्ज की जो 15 वर्षों में भारत में उनकी पहली टेस्ट जीत थी. मुकुंद ने दूरदर्शन पर ‘द ग्रेट इंडियन क्रिकेट शो' में कहा, ‘घरेलू मैदान पर हर कोई भारत से जीत की उम्मीद करता है.'
सात टेस्ट खेलने वाले मुकुंद ने कहा, ‘मुझे लगता है कि शुभमन में सभी प्रारूपों का कप्तान बनने की क्षमता है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि भारत के पास अब सभी प्रारूपों में एक कप्तान होना चाहिए.' उन्होंने कहा,‘अलग-अलग कप्तान बनाना समझदारी भरा कदम है. शुभमन गिल को टेस्ट में कप्तानी की जिम्मेदारी दी गई है और उन पर काफी दबाव होगा.'
गिल को लेकर चल रही है बहस
गिल को पहली पारी में स्लॉग स्वीप खेलने के दौरान ऐंठन का सामना करना पड़ा और वह चार रन बनाकर रिटायर्ड और दोबारा खेलने नहीं उतरे. उनकी अनुपस्थिति ने भारत की बल्लेबाजी की समस्याओं को और बढ़ा दिया. गिल पर काम का बढ़ता बोझ बहस का विषय बना हुआ है. आईपीएल के बाद से वह सभी प्रारूपों में लगातार क्रिकेट खेल रहे हैं. उन्हें टेस्ट कप्तान बनाया गया और उन्होंने भारत को इंग्लैंड में पांच मैच की कड़ी श्रृंखला 2-2 से बराबर कराने में मदद की.
मुकुंद के उदारण से फैंस अच्छी तरह समझ लें यह बात
घरेलू क्रिकेट में तमिलनाडु के लिए खेले लेफ्टी ओपनर अभिनव मुकुंद ने भारत के लिए खेले 7 टेस्ट की 14 पारियों में 22.85 के औसत से 320 रन बनाए. वहीं, दूसरी तरफ उन्होंने 145 फर्स्ट क्लास मैचो में 47.93 के औसत से 10,358 रन बनाए हैं. बेस्ट स्कोर नाबाद 300 है. 31 शतक और 37 अर्द्धशतक हैं, लेकिन इसके बावजूद वह भारत के लिए अपना करियर लंबा नहीं खींच सके. यह कहना सही होगा कि वह शीर्ष स्तर पर नाकाम रहे. कहानी का सार यही है कि जरूरी नहीं कि घरेलू क्रिकेट में रनों का अंबार और दस हजार रन बनाने वाला बल्लेबाज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कामयाब ही हो जाए. इसके लिए कई पहलुओं की जरूरत होती है.
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