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Ind vs Eng 4th T20I: राणा विवाद ने पकड़ा तूल, जानें किसकी है गलती, क्यों है ICC को दखल देने की जरूरत

Ind vs eng 4th T20I: इंग्लैंड के खिलाड़ी गुस्से में हैं, आरोप बेईमानी के लग रहे हैं, लेकिन दोषी कौन है, यह कोई भी साफ-साफ बोलने से बच रहा है

नई दिल्ली:

Harshit Rana controversy:  शुक्रवार को टीम सूर्यकुमार यादव (Suryakumar Yadav) ने मेहमान इंग्लैंड को पुणे में चौथे टी20 (Ind vs Eng 4th T20I) में 15 रन से हराकर पांच मैचों की सीरीज में अजेय बढ़त बना ली. अब रविवार का मुकाबला इस पर मुहर लगा देगा कि भारत सीरीज कितने अंतर से जीतता है, लेकिन इससे इतर शुक्रवार के मैच के बाद से ही भारत की जीत की चर्चा पूरी तरह से हटकर हर्षित राणा ( Harshit Rana) विवाद पर शिफ्ट हो गई है. और वास्तव में यह विवाद थमने के नाम नहीं ले रहा है. लगातार दिग्गजों खासकर इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटरों के बयान आ रहे हैं,  तो वहीं ICC ने घटना पर चुप्पी साध ली है. ये पूर्व क्रिकेटर हर्षित राणा को मैच के दौरान कन्क्शन (सिर में गभीर चोट नहीं) चोट के बाद नियम के तहत राणा को इलेवन में खिलाने को लेकर सवाल उठा रहे हैं. और निश्चित तौर पर यह एक ऐसी गूंज है जिसे ICC को सुनना ही पड़ेगा क्योंकि अगर यह घटना विश्व कप फाइनल या सेमीफाइनल में हुई होती, या भविष्य में अगर किसी बड़े मुकाबले में होगी, तो बहुत बड़ा बवाल मच जाएगा. तमाम लोग हर्षित राणा विवाद में अपना-अपना पक्ष रख रहे हैं, लेकिन यह कोई नहीं बोलने हिम्मत कर रहा कि आखिर मामले में गलती किसकी है. हम बताते हैं कि वास्तव में यहां गुनहगार कौन है. चलिए आप आगे बढ़ने से पहले नियम के बारे में जान लीजिए .

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कन्कशन पर ICC का रिप्लेसमेंट नियम

ICC की  प्लेइिंग कंडीशन के तहत  कन्कशन रिप्लेसमेंट के नियम 1.2.7.3 के अनुसार,"आईसीसी मैच रेफरी को आमतौर पर एक कन्कशन रिप्लेसमेंट अनुरोध को मंजूरी देनी चाहिए. इसके तहत रेफरी को समान खिलाड़ी (Like-to Like) खिलाड़ी को बतौर रिप्लेसमेंट देना चाहिए. एक ऐसा खिलाड़ी जिसके शामिल होने से मैच के बाकी हिस्से में उनकी टीम को अत्यधिक लाभ नहीं होगा."

वहीं, नियम 1.2.7.7 में कहा गया है: "किसी भी कन्कशन रिप्लेसमेंट अनुरोध के संबंध में आईसीसी मैच रेफरी का निर्णय अंतिम होगा और किसी भी टीम को अपील का कोई अधिकार नहीं होगा."

यहीं पर फंसा है पेंच, यहीं उठता है सवाल?

यह बात सही है कि अपील का अधिकार नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि जवाबदेही और जिम्मेदारी किसकी है? जाहिर है कि यह शख्स मैच रेफरी है, तो फिर मैच रेफरी ने किस आधार पर यह निर्णय दिया? जब आम फैन दुबे और राणा के बीच की योग्यता का अंतर साफ तौर पर देख रहा है, तो मैच रेफरी जवागल श्रीनाथ इसे क्यों नहीं देख सके? श्रीनाथ क्यों नहीं देख सके कि दुबे बल्लेबाज-कम-ऑलराउंडर हैं, तो राणा बॉलर-कम-ऑलराउंडर. निश्चित तौर पर दूसरी पारी में मैच रेफरी की चूक ने भारत को "नाजायज फायदा" दिलाया.

रिप्लेसमेंट बन गया इंपैक्ट प्लेयर!

वास्तव में, मैच रेफरी की इस गलती के कारण रिप्लेसमेंट नियम आईपीएल के इंपैक्ट प्लेयर में तब्दील हो गया. पैदा हुए हालात ने ICC को मामले में जल्द से जल्द झांकने की वजह दे दी है. नियम तो अपनी जगह एक बार को सही ही दिख रहे हैं, लेकिन यहां अगर कोई दोषी हैं, तो वह मैच रेफरी और दिग्गज भारतीय पूर्व क्रिकेटर जवागल श्रीनाथ ही हैं. अब देखना होगा कि ICC क्या फैसला लेती है या श्रीनाथ की इस बड़ी चूक को किस रूप में लेती है? दखल से हमारा मतलब यही है कि ICC आगे कैसे सुनिश्चित करेगी कि ऐसी घटना दोबारा न हो? क्या ICC अपने नियम में "लाइक-टू-लाइक" शब्द की विस्तार से व्याख्या करेगी, जो करना बेहतर रहेगा? अगर ऐसा होगा, तो बैटिंग-ऑलराउंडर और बॉलिंग-ऑलराउंडर का मसला खत्म हो जाएगा. क्या इस बारे में मैच रेफरी को और पारदर्शी होने के लिए कहा जाएगा? या अगर कोई मैच रेफरी ऐसी गलती करता है, तो उसके लिए क्या सजा का प्रावधान होगा?..वगैरह..वगैरह. जाहिर है यह मुद्दा ICC की क्रिकेट कमेटी के पास पहुंचेगा और दिग्गजों की सदस्यता वाली कमेटी इस पर गंभीरता के  साथ मंथन जरूर करेगी

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