खूबसूरती में मंसूर अली खान पटौदी ही दे सकते थे इमरान खान को टक्‍कर: अंशुमान गायकवाड़

खूबसूरती में मंसूर अली खान पटौदी ही दे सकते थे इमरान खान को टक्‍कर: अंशुमान गायकवाड़

इमरान खान ने अपनी कप्‍तानी के दौरान पाकिस्‍तान टीम को बुलंदियों पर पहुंचाया (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर और कोच अंशुमान गायकवाड़ ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे चल रहे इमरान खान को बतौर क्रिकेटर सबसे अलग बताया है. पाकिस्‍तान में हुए चुाव में इमरान की पाकिस्‍तान तहरीके इंसाफ (पीटीआई) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. इमरान के खिलाफ क्रिकेट खेले गायकवाड़ ने कहा. ‘इमरान सबसे अलग था. उसका बात करने का तरीका, उसकी शख्सियत, सभी जुदा थी . उसमें और उसकी टीम के बाकी खिलाड़ियों में फर्क आसानी से पता चल जाता था.’उन्होंने कहा,‘उसे इस बात का अहसास भी था कि वह सबसे अलग है. वह बहुत पढ़ा-लिखा और तहजीबदार था और उसे पता था कि किससे कैसे बात करनी है. खेल और खूबसूरती के कारण इमरान के काफी प्रशंसक थे. गायकवाड़ का मानना है कि उस समय इमरान को इस मामले में सिर्फ एक ही व्यक्ति टक्कर दे सकता था और वह थे मंसूर अली खान (टाइगर) पटौदी.

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उन्होंने कहा,‘सिर्फ भारत या पाकिस्तान ही नहीं, हर जगह इमरान के बड़े प्रशंसक थे. इतना खूबसूरत, लंबा और उसकी शैली, हेयर स्टाइल, रनअप सभी के लोग दीवाने थे. मेरे हिसाब से नवाब पटौदी के अलावा कोई उसे टक्कर नहीं दे सकता था.’ बॉलीवुड स्‍टार सैफ अली खान के पिता मंसूर अली खान पटौदी (अब स्‍वर्गीय) भारतीय टीम के कप्‍तान रह चुके हैं.


क्रिकेट मैदान से लेकर सियासत तक, इमरान खान ने जो चाहा वह हासिल किया

भारतीय टीम के लिए ओपनर भी हैसियत से खेल चुके अंशुमान ने इमरान के बारे में कहा, 'वह अदब से पेश आता था. खुद को लेकर उसमें अहंकार था लेकिन हर समय और हर जगह उसे जाहिर नहीं करता था.’यह पूछने पर कि क्या मैदान पर भारतीय टीम इमरान के सामने दबाव में रहती थी, उन्होंने कहा कि वह हमेशा मैच विनर रहा. उन्होंने कहा,‘वह मैच विनर था और अलग तरह का ही गेंदबाज था. उसकी शैली गैर पारम्परिक थी. सबसे बड़ी खूबी थी कि वह नई या पुरानी गेंद से समान जज्बे के साथ गेंदबाजी कर लेता था. उसके पास रफ्तार और विविधता का अनूठा तालमेल था.’

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इमरान के साथ किसी दिलचस्प वाकये के बारे में पूछने पर गायकवाड़ ने कहा,‘लाहौर में 1984 में एक टेस्ट मैच के दौरान लंच की टेबल पर हम आसपास बैठे थे. उसने मुझसे कहा कि वह कैंसर अस्पताल के लिये धन जुटाना चाहता है तो मैने उसे राय दी कि तुम्हारा इतना रुतबा और परिचय है तो ब्रिटेन में चैरिटी मैच करा लो जहां वह ससेक्स के लिये काउंटी क्रिकेट भी खेलता था.’उन्होंने कहा,‘अगले सत्र में इमरान ने ब्रिटेन में दो मैच कराए. कहने का मतलब यह है कि उससे बात करना रोचक होता था. वह कभी आपको नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करता था.’ (इनपुट: भाषा)