कोलंबो:
भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने स्वीकार किया है कि टेस्ट क्रिकेट से ट्वेंटी-20 प्रारूप में आना आसान नहीं है, लेकिन कहा कि उनकी टीम इतनी अनुभवी है कि 18 सितंबर से शुरू हो रहे ट्वेंटी-20 विश्वकप के लिए जरूरी बदलाव कर लेगी।
ट्वेंटी-20 विश्वकप के लिए कोलंबो पहुंचने से पहले टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड के खिलाफ दो टेस्ट और दो ट्वेंटी-20 मैचों की शृंखला खेली। धोनी ने कहा कि खेल के सबसे लंबे प्रारूप के बाद सबसे छोटे प्रारूप में खेलना आसान नहीं है।
ट्वेंटी-20 विश्वकप के लिए कोलंबो पहुंचने के बाद धोनी ने संवाददाताओं से कहा, एक प्रारूप से दूसरे प्रारूप में जाना काफी मुश्किल होता है, विशेषकर टेस्ट से ट्वेंटी-20 में। आप खेल के प्रति कैसा रवैया अपनाते हैं, यह तीनों प्रारूपों में अलग है और आपको सामंजस्य बिठाना होता है। लेकिन यह ऐसी चीज नहीं है, जो आप नहीं कर सकते। सिर्फ एक चीज अहम है और वह यह कि आपके बेसिक्स सही होने चाहिए।
उन्होंने कहा, एक पेशेवर क्रिकेटर के रूप में हमें ऐसा करना होता है और वीरेंद्र सहवाग जैसे खिलाड़ी तीनों प्रारूपों में खेल रहे हैं और अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। 2007 में पहले ट्वेंटी-20 विश्वकप में अपनी कप्तानी में टीम को खिताब दिलाने वाले धोनी ने कहा कि अगर भारत को एक बार फिर इस ट्रॉफी पर कब्जा जमाना है, तो टीम में वापसी कर रहे युवराज सिंह जैसे कामचलाऊ गेंदबाजों को बड़ी भूमिका निभानी होगी।
धोनी ने कहा, हम 50 ओवर के प्रारूप में विश्व चैंपियन हैं और यह अहम है कि हम ट्वेंटी-20 विश्वकप में अच्छा प्रदर्शन करें। इस प्रारूप में हमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होता है और टेस्ट या एक-दिवसीय की तुलना में उबरने का समय नहीं होता।
उन्होंने कहा, हमारी टीम बल्लेबाजी पर अधिक निर्भर है, लेकिन कुछ शीर्ष बल्लेबाज कामचलाऊ गेंदबाज की भूमिका भी निभाते हैं। ट्वेंटी-20 में कामचलाऊ गेंदबाज काफी अहम होते हैं। हमारे कामचलाऊ गेंदबाज अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, इसलिए हमारी टीम काफी अच्छी है।
भारतीय कप्तान ने इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया कि कैंसर से उबरने के बाद टीम में वापसी करने वाले युवराज सिंह को टीम में शामिल करने का फैसला भावनात्मक था या फॉर्म के आधार पर ऐसा किया गया। उन्होंने हालांकि कहा कि यह स्टार बल्लेबाज टीम के लिए अहम है।
उन्होंने कहा, मैं टीम के चयन से जुड़े इस सवाल का जवाब नहीं दे सकता। यह चयन संबंधी मामला है, लेकिन मुझे खुशी है कि वह टीम में है, क्योंकि वह चैंपियन खिलाड़ी और मैच विजेता है। वह टीम को संतुलित करता है, क्योंकि टी-20 क्रिकेट में आप पांचवें गेंदबाज को शामिल नहीं करते।
धोनी ने कहा, हमारे पास कोई बड़ा ऑलराउंडर भी नहीं है, इसलिए हमें कामचलाऊ गेंदबाजों पर निर्भर होना पड़ता है, जो विशेषज्ञ बल्लेबाज हैं। युवराज इनमें से एक है और हमारे पास विराट कोहली, रोहित शर्मा और सुरेश रैना हैं। ये सभी एक-एक ओवर फेंक सकते हैं और इससे हमारा काम काफी आसान हो जाएगा।
श्रीलंका की परिस्थितियों के बारे में पूछने पर धोनी ने कहा कि हाल के वर्षों में यहां की पिचों में बदलाव आया है और उनकी टीम को इनका आकलन करना होगा। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि पिछले कुछ वर्षों में श्रीलंका की परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है। जब हम 2005 में यहां आए थे, तो विकेट काफी अलग थे और जब हम पिछली बार यहां आए, तो विकेट अलग थे। हमने अपने पिछले दौरे पर जो पांच वन-डे और एक ट्वेंटी-20 मैच खेला, उसमें पिच से स्पिनरों को अधिक मदद नहीं मिली।
धोनी ने कहा, उदाहरण के लिए अगर किसी मैदान पर काफी मैचों का आयोजन किया जाता है, तो विकेट धीमा हो जाता है और स्पिनरों को मदद मिलती है, इसलिए हमें हालात परखने होंगे और इसी के मुताबिक रणनीति बनानी होगी।
भारतीय कप्तान ने अपने खिलाड़ियों को अफगानिस्तान के खिलाफ आत्ममुग्धता से बचने की सलाह दी। भारत अपने टी-20 विश्व चैंपियनशिप अभियान की शुरुआत 19 सितंबर को इसी टीम के खिलाफ करेगा। भारत को 15 सितंबर को श्रीलंका और 17 सितंबर को पाकिस्तान के खिलाफ दो अभ्यास मैच खेलने हैं और कोच डंकन फ्लेचर ने कहा कि यह यह टूर्नामेंट की तैयारी के लिए काफी हैं।
ट्वेंटी-20 विश्वकप के लिए कोलंबो पहुंचने से पहले टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड के खिलाफ दो टेस्ट और दो ट्वेंटी-20 मैचों की शृंखला खेली। धोनी ने कहा कि खेल के सबसे लंबे प्रारूप के बाद सबसे छोटे प्रारूप में खेलना आसान नहीं है।
ट्वेंटी-20 विश्वकप के लिए कोलंबो पहुंचने के बाद धोनी ने संवाददाताओं से कहा, एक प्रारूप से दूसरे प्रारूप में जाना काफी मुश्किल होता है, विशेषकर टेस्ट से ट्वेंटी-20 में। आप खेल के प्रति कैसा रवैया अपनाते हैं, यह तीनों प्रारूपों में अलग है और आपको सामंजस्य बिठाना होता है। लेकिन यह ऐसी चीज नहीं है, जो आप नहीं कर सकते। सिर्फ एक चीज अहम है और वह यह कि आपके बेसिक्स सही होने चाहिए।
उन्होंने कहा, एक पेशेवर क्रिकेटर के रूप में हमें ऐसा करना होता है और वीरेंद्र सहवाग जैसे खिलाड़ी तीनों प्रारूपों में खेल रहे हैं और अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। 2007 में पहले ट्वेंटी-20 विश्वकप में अपनी कप्तानी में टीम को खिताब दिलाने वाले धोनी ने कहा कि अगर भारत को एक बार फिर इस ट्रॉफी पर कब्जा जमाना है, तो टीम में वापसी कर रहे युवराज सिंह जैसे कामचलाऊ गेंदबाजों को बड़ी भूमिका निभानी होगी।
धोनी ने कहा, हम 50 ओवर के प्रारूप में विश्व चैंपियन हैं और यह अहम है कि हम ट्वेंटी-20 विश्वकप में अच्छा प्रदर्शन करें। इस प्रारूप में हमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होता है और टेस्ट या एक-दिवसीय की तुलना में उबरने का समय नहीं होता।
उन्होंने कहा, हमारी टीम बल्लेबाजी पर अधिक निर्भर है, लेकिन कुछ शीर्ष बल्लेबाज कामचलाऊ गेंदबाज की भूमिका भी निभाते हैं। ट्वेंटी-20 में कामचलाऊ गेंदबाज काफी अहम होते हैं। हमारे कामचलाऊ गेंदबाज अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, इसलिए हमारी टीम काफी अच्छी है।
भारतीय कप्तान ने इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया कि कैंसर से उबरने के बाद टीम में वापसी करने वाले युवराज सिंह को टीम में शामिल करने का फैसला भावनात्मक था या फॉर्म के आधार पर ऐसा किया गया। उन्होंने हालांकि कहा कि यह स्टार बल्लेबाज टीम के लिए अहम है।
उन्होंने कहा, मैं टीम के चयन से जुड़े इस सवाल का जवाब नहीं दे सकता। यह चयन संबंधी मामला है, लेकिन मुझे खुशी है कि वह टीम में है, क्योंकि वह चैंपियन खिलाड़ी और मैच विजेता है। वह टीम को संतुलित करता है, क्योंकि टी-20 क्रिकेट में आप पांचवें गेंदबाज को शामिल नहीं करते।
धोनी ने कहा, हमारे पास कोई बड़ा ऑलराउंडर भी नहीं है, इसलिए हमें कामचलाऊ गेंदबाजों पर निर्भर होना पड़ता है, जो विशेषज्ञ बल्लेबाज हैं। युवराज इनमें से एक है और हमारे पास विराट कोहली, रोहित शर्मा और सुरेश रैना हैं। ये सभी एक-एक ओवर फेंक सकते हैं और इससे हमारा काम काफी आसान हो जाएगा।
श्रीलंका की परिस्थितियों के बारे में पूछने पर धोनी ने कहा कि हाल के वर्षों में यहां की पिचों में बदलाव आया है और उनकी टीम को इनका आकलन करना होगा। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि पिछले कुछ वर्षों में श्रीलंका की परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है। जब हम 2005 में यहां आए थे, तो विकेट काफी अलग थे और जब हम पिछली बार यहां आए, तो विकेट अलग थे। हमने अपने पिछले दौरे पर जो पांच वन-डे और एक ट्वेंटी-20 मैच खेला, उसमें पिच से स्पिनरों को अधिक मदद नहीं मिली।
धोनी ने कहा, उदाहरण के लिए अगर किसी मैदान पर काफी मैचों का आयोजन किया जाता है, तो विकेट धीमा हो जाता है और स्पिनरों को मदद मिलती है, इसलिए हमें हालात परखने होंगे और इसी के मुताबिक रणनीति बनानी होगी।
भारतीय कप्तान ने अपने खिलाड़ियों को अफगानिस्तान के खिलाफ आत्ममुग्धता से बचने की सलाह दी। भारत अपने टी-20 विश्व चैंपियनशिप अभियान की शुरुआत 19 सितंबर को इसी टीम के खिलाफ करेगा। भारत को 15 सितंबर को श्रीलंका और 17 सितंबर को पाकिस्तान के खिलाफ दो अभ्यास मैच खेलने हैं और कोच डंकन फ्लेचर ने कहा कि यह यह टूर्नामेंट की तैयारी के लिए काफी हैं।
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