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This Article is From Dec 25, 2012

2012 : लचर प्रदर्शन से आहत चार दिग्गजों ने कहा ‘अलविदा’

नई दिल्ली: राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, रिकी पोंटिंग और सचिन तेंदुलकर। पिछले डेढ़ दशक से भी अधिक समय से विश्व क्रिकेट पर राज करने वाले इन चारों क्रिकेटरों ने कभी नहीं सोचा था कि उनके करियर का अंत खामोश होगा लेकिन सचाई यही है कि लगातार असफलता के कारण इन दिग्गजों को इस साल संन्यास की घोषणा करनी पड़ी।

तेंदुलकर ने हालांकि अभी एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को ही अलविदा कहा है और उनके पास टेस्ट क्रिकेट के चरम पर रहकर संन्यास लेने का मौका है। मास्टर ब्लास्टर को भी हालांकि पिछले एक साल से अधिक समय से खराब प्रदर्शन के कारण वनडे क्रिकेट से संन्यास लेना पड़ा। पिछले तीन साल से तेंदुलकर ने वैसे भी एकदिवसीय क्रिकेट में खेलना कम कर दिया था।

उन्होंने 2010 के शुरू से लेकर अब तक केवल 23 वनडे मैच खेले जिनमें विश्वकप के नौ मैच शामिल हैं। इस बीच हालांकि वह टेस्ट मैचों में नियमित रूप से खेलते रहे जिसमें वह जनवरी 2011 से शतक नहीं लगा पाए हैं। माना जा रहा है कि उन्होंने अपने टेस्ट करियर को लंबा खींचने के लिए वनडे को अलविदा कहा।

तेंदुलकर ने वर्ष 2012 में नौ टेस्ट मैचों की 15 पारियों में 23.80 की औसत से रन बनाये, जिनमें केवल दो अर्द्धशतक शामिल हैं। वह वनडे में भी इस साल दस मैच में केवल एक शतक और एक अर्धशतक लगा पाये। उन्होंने अपना एकमात्र शतक एशिया कप में बांग्लादेश के खिलाफ लगाया था जिससे उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शतकों का शतक भी पूरा किया था।

द्रविड़ की तरह लक्ष्मण को भी मैदान पर विदाई लेने का मौका नहीं मिला। अपने करियर में अधिकतर समय ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की नाक में दम करने वाले लक्ष्मण के करियर का अंत आखिर में ऑस्ट्रेलिया दौरे के साथ ही हो गया। लक्ष्मण ने ऑस्ट्रेलिया दौरे में चार टेस्ट मैचों में 19.37 की औसत से 155 रन बनाए थे। इसके बाद भी वह भारत के घरेलू सत्र की तैयारियों में जुटे थे लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ अगस्त में होने वाली टेस्ट शृंखला के लिए टीम में चुने जाने के बावजूद उन्होंने 18 अगस्त को अचानक संन्यास लेने की घोषणा करके सभी को चौंका दिया था।

माना जा रहा था कि चयनकर्ताओं ने लक्ष्मण को कह दिया था कि यह उनकी आखिरी शृंखला होगी और इस कलात्मक बल्लेबाज ने इससे पहले टेस्ट क्रिकेट छोड़ना उचित समझा। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान पोंटिंग भी सालभर खराब फार्म से जूझते रहे। उन्होंने भारत के खिलाफ दो शतक जरूर जमाये लेकिन उसके बाद उन्होंने छह टेस्ट मैचों में 16.18 की औसत से 178 रन बनाए। पोंटिंग ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पांच पारियों में केवल 32 रन बनाए।

इस कारण उन्होंने पर्थ में होने वाले आखिरी मैच से पहले संन्यास की घोषणा कर दी थी। इसलिए वाका में चार और आठ रन बनाने के बावजूद उन्हें दर्शकों के सामने विदाई लेने का अवसर मिला।

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