गुजरे शनिवार को ही लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय महिलाओं की सीरीज जीत में भारतीय ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा (Deepti Sharma) के "मांकड आउट" से इंग्लैंड के पुरुष क्रिकेटर मानो संतुलन खो बैठे हैं. हैरानी की बात यह है कि अब इसमें फिक्सिंग के आरोपी और सजायाफ्ता मोहम्मद हासिफ जैसे आजीवन प्रतिबंधित खिलाड़ी खेल भावना का ज्ञान बांट रहे हैं. लेकिन दीप्ति शर्मा को न केवल कप्तान हरमनप्रीत कौर सहित सभी दिग्गजों का समर्थन मिला है, तो अब पूर्व क्रिकेटर कपिल देव (Kapil) इस विषय पर नए सुझाव के साथ सामने आए हैं.
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बता दें कि कपिल देव ने भी करीब तीस साल पहले इसी तरीके से दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज पीटर कर्स्टन को रन आउट किया था. कपिल से जुड़ी घटना दिसंबर 9 साल 1992 की है, जब दक्षिण अफ्रीका की जमी पर ही खेली गई सीरीज के एक मुकाबले में जब वॉर्निंग दिए जाने के बावजूद भी पीटर कर्स्टन ने नॉन-स्ट्राइकिंग छोर से गेंद डिलिवर होने से पहले ही क्रीज से बाहर निकलना नहीं छोड़ा, तो कपिल ने उन्हें रन आउट कर दिया. इस घटना से पीटर बुरी तरह आपा खो बैठे और उन्होंने मैदान पर जमकर अपशब्दों का प्रयोग किया. आप समझ सकते हैं कि ऐसे तीस साल पहले भी आउट किया जा सकता था और अभी भी.
बहरहाल, अब कपिल देव नए सुझाव के साथ सामने आए हैं. कपिल देव ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्टी की स्टोरी में लिखा कि मेरा मानना है कि इस तरह के हालात में हर बार कोई तीव्र बहस में जाने के बजाय यहां एक साधारण नियम होना चाहिए. इस नियम के तहत बल्लेबाज को उसके रन से वंचित कर दिया जाना चाहिए. कपिल ने लिखा कि इसे शॉर्ट-रन करार देना चाहिए. मेरे विचार में यह एक बेहतर समाधान है.
नया बदलाव 1 अक्टूबर से यह होने जा रहा
एक अक्टूबर से लागू हो रहे आईसीसी के नए नियमों के तहत अब इस तरह से बल्लेबाज के रन आउट होने की घटना को "अनफेयर प्ले" कैटेगिरी नहीं, बल्कि "रन आउट" वर्ग में डाला जाएगा. और इसके बाद खेल भावना जैसे सवाल पूरी तरह से खत्म हो जाने चाहिए.
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