
बुधवार से बर्मिंघम में शुरू हो रहा दूसरा टेस्ट मैच टीम इंडिया का सबसे बड़ा चैलेंज होने जा रहा है. और यह चैलेंज एक तरह से खिलाड़ियों का खुद का ही बनाया हुआ है. वास्तव में हेडिंग्ल में भारत हारा नहीं, बल्कि काफी हद तक उसने जीतने का मौका गंवाया. और इस हार ने टीम गिल को ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया है, जिसने चुनौती को चरम पर ला दिया है, तो मैच का परिणाम उसके लिए दोनों ही पहलुओं से टर्निंग प्वाइंट का भी काम कर सकता है, लेकिन इससे पहले भारतीय प्रबंधन को एक-दो नहीं बल्कि कई चैलेंजों पर खरा उतरना होगा. और एक-दो चैलेंज तो ऐसे हैं, जो मैदान के बाहर से ही शुरू हो गए हैं. चलिए आप फिलहाल उन 5 बड़े चैलेंजें के बारे में जान लीजिए, जिनका जवाब गिल एंड कंपनी को बर्मिघम में देना होगा. और जिन्हें साधे बिना उसे जीत नहीं ही मिलने जा रही.

1. बुमराह की अनुपस्थिति, कैसा होगा असर?
आप जरा बुमराह के बिना भारतीय अटैक की कल्पना कीजिए? उनके न खेलने से दूसरे छोर पर गेंदबाजों की मनोदशा पर ही नहीं, बल्कि पूरी टीम के मनोबल पर पड़ने वाले असर के बारे में सोचिए. बुमराह रेस्ट पर जाएंगे, तो सबकुछ खाली-खाली सा हो जाएगा. इस खालीपन, इस मनोवैज्ञानिक असर से भारतीय प्रबंधन पेसर को रेस्ट दिए जाने से कैसे निपटेगा, यह देखने वाली बात होगी. असर तो पड़ेगा ही पड़ेगा. कितना और कैसे यह देखने वाली बात होगी.
2. पुछल्ले लेंगे फिसलन से सबक?
हेडिंग्ले में एक बार छोड़े गए कैचों को भुल जाएं, दूसरी पारी में बुमराह के कोई विकेट न लेने को भूल जाएं. इतना होने पर भी अगर पुछल्ले दोनों पारियों में न फिसलते, तो भारत पहला मैच नहीं ही हारता. आप सोचिए कि पहली पारी में 41 रन के भीतर आखिरी 7 विकेट और फिर दूसरी पारी में 31 रन के भीतर आखिरी 6 विकेट! हेडिंग्ले में हार के सबसे बड़े जिम्मेदार ये पुछल्ले ही थे. और अब जब तुलनात्मक रूप से पिच पेसरों के और मददगार होने जा रही है, तो फिर से पुछल्लों की सबसे बड़ी परीक्षा सामने खड़ी है.

3. पेसर दिखा पाएंगे दम?
बुमराह जाएंगे, तो बाकी पेसरों के मनोबल का क्या होगा? कौन आखिर यहां है, जो पहला टेस्ट खेलने की सूरत में लेफ्टी अर्शदीप का मार्गदर्शन करेगा? कहीं यह युवा आक्रमण टूट-बिखर तो नहीं जाएगा? सिराज का कौशल पूर्ण नहीं है, अर्शदीप को डेब्यू करना बाकी है, शार्दूल ठाकुर हत्थे से उखड़े हुए हैं, तो यही चुनौती सबसे बड़ी हो चली है कि क्या भारतीय पेसर बर्मिंघम में दम दिखा पाएंगे?
4. साईं, करुण भुना पाएंगे मौका?
हेडिंग्ले में एक सात साल बात टीम इंडिया में लौटा था, तो दूसरे का करियर का आगाज हुआ था. दोनों ही नाकाम रहे. गनीमत यह रही कि कुल मिलाकर पांच शतक बने, तो दोनों की ही नाकामी छिप गई. लगता नहीं कि प्रबंधन एक ही मैच की विफलता के बाद इनमें से किसी को भी XI से बाहर बैठाएगा. लेकिन दोनों के लिए बड़ा चैलेंज तुलनात्मक रूप तेज पिच पर यही है कि क्या ये फिर से मौके को भुना पाएंगे?

5. गिल की कप्तानी/नजदीकी फील्डिंग पर भी हैं सवाल
बतौर कप्तान गिल ने पहले ही टेस्ट यह प्वाइंट तो बता दिया कि कप्तानी का असर उनके बल्ले पर नहीं ही पड़ेगा. लेकिन फील्डिंग में गिल पूरी तरह से गौण दिखाई पड़े. फील्डरों की तैनाती में, तो बॉलरों के बदलाव में. विकेट गिरने पर कोहली नकल भर करते दिखाई पड़ते हैं, लेकिन यह उन पर फबता नहीं है. फील्डिंग के दौरान उपस्थिति दर्ज कराना ही गिल के लिए चैलेंज है. एक-दो नहीं, बल्कि कई पूर्व दिग्गजों और कप्तानों ने उनकी कप्तानी शैली को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है. देखने की बात होगी कि हेडिंग्ले से कितना सबक लेते दिखाई पड़ते हैं, तो यही बात पूरी तरह फील्डिंग पर भी लागू होती है. हेडिंग्ले में हार के बाद पूरे हफ्ते भर का समय गौतम गंभीर और स्टॉफ को काम करने का मिला था. कितना किया, सब बर्मिंघम में साफ हो जाएगा.
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