एमएस धोनी (फाइल फोटो)
पर्थ:
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले वनडे में मिली हार के बाद टीम इंडिया के कप्तान एमएस धोनी ने कहा कि विवादास्पद निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) के नहीं होने से टीम को नुकसान हुआ। मंगलवार को हुए मैच में जॉर्ज बेली को आउट नहीं दिए जाने पर धोनी अंपयारों से नाखुश दिखे। गौरतलब है कि बाएं हाथ के तेज गेंदबाज बरिंदर सरां की पहली ही गेंद पर बेली आउट थे, लेकिन अंपायर ने अपील नकार दी, जबकि रीप्ले में दिखाया गया कि गेंद उनके दस्तानों को छूकर गई थी। बाद में बेली ने शतक बनाकर स्टीव स्मिथ के साथ 200 से अधिक की साझेदारी की और मैच को भारत के हाथ से छीन लिया।
इशारों में व्यक्त की पीड़ा
धोनी ने डीआरएस का समर्थन तो नहीं किया, लेकिन इशारों में इसका महत्व भी बता दिया। उन्होंने कहा कि वे इससे सहमत हैं कि भारत को डीआरएस के खिलाफ जाने से नुकसान हो रहा है। जब यह वाकया हुआ उस समय ऑस्ट्रेलिया का स्कोर दो विकेट पर 21 रन था। स्निकोमीटर दिखा रहा था कि गेंद बेली के दस्ताने से लगकर भारतीय कप्तान के पास पहुंची थी। धोनी ने अपील की, लेकिन गेंदबाज पूरी तरह से आश्वस्त नहीं था और अंपायर रिचर्ड केटेलब्रॉ ने बल्लेबाज के पक्ष में फैसला सुनाया। बाद में बेली ने शतक जमाया और कप्तान स्टीव स्मिथ के साथ 242 रन जोड़कर अपनी टीम को जीत दिलाई।
टीम इंडिया के पक्ष में जा सकता था मैच
ऑस्ट्रेलिया के एक पत्रकार ने जब धोनी से पूछा कि क्या 50-50 वाले फैसलों को लेकर अंपायर भारत को सजा दे रहे हैं, तो धोनी ने कहा, ‘‘मैं आपसे सहमत हो सकता हूं।’’
उन्होंने कहा कि यदि तब तीसरा विकेट निकल गया होता, तो मैच की स्थिति बदल सकती थी, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने साफ किया कि वह चाहते हैं कि अंपायर अधिक से अधिक सही फैसले दें।
अच्छा होगा अंपायर अधिक से अधिक सही फैसले करें
धोनी ने कहा, ‘‘यह (मैच का परिणाम) बदल सकता था, लेकिन इसके साथ ही हम चाहते हैं कि अंपायर अधिक से अधिक से सही फैसले करें। आपको देखना होगा कि कितने 50-50 फैसले हमारे पक्ष में नहीं गए। हमेशा इस पर गौर किया जाता है, लेकिन मैं अब भी डीआरएस को लेकर आश्वस्त नहीं हूं।’’
एक इंच भी मायने रखता है
उन्होंने कहा, ‘‘डीआरएस को निर्णय करने वाली प्रणाली होना चाहिए था, लेकिन इसमें कुछ कमियां हैं और इसको बनाने वाले भी इससे सहमत हैं। आपको यह देखना पड़ता है कि यह आउट है या नहीं। अगर यह आउट है तो स्टंप को छूना चाहिए अगर नहीं है तो गेंद के आधे हिस्से को स्टंप से छूना चाहिए। इससे काफी समस्या खड़ी होती है क्योंकि क्रिकेट में एक इंच भी काफी मायने रखता है।"
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष शशांक मनोहर ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि भारत एकदिवसीय और टेस्ट किसी में भी डीआरएस को तब तक नहीं अपनाएगा जब तक यह 'फूलप्रूफ' नहीं होता।
इशारों में व्यक्त की पीड़ा
धोनी ने डीआरएस का समर्थन तो नहीं किया, लेकिन इशारों में इसका महत्व भी बता दिया। उन्होंने कहा कि वे इससे सहमत हैं कि भारत को डीआरएस के खिलाफ जाने से नुकसान हो रहा है। जब यह वाकया हुआ उस समय ऑस्ट्रेलिया का स्कोर दो विकेट पर 21 रन था। स्निकोमीटर दिखा रहा था कि गेंद बेली के दस्ताने से लगकर भारतीय कप्तान के पास पहुंची थी। धोनी ने अपील की, लेकिन गेंदबाज पूरी तरह से आश्वस्त नहीं था और अंपायर रिचर्ड केटेलब्रॉ ने बल्लेबाज के पक्ष में फैसला सुनाया। बाद में बेली ने शतक जमाया और कप्तान स्टीव स्मिथ के साथ 242 रन जोड़कर अपनी टीम को जीत दिलाई।
टीम इंडिया के पक्ष में जा सकता था मैच
ऑस्ट्रेलिया के एक पत्रकार ने जब धोनी से पूछा कि क्या 50-50 वाले फैसलों को लेकर अंपायर भारत को सजा दे रहे हैं, तो धोनी ने कहा, ‘‘मैं आपसे सहमत हो सकता हूं।’’
उन्होंने कहा कि यदि तब तीसरा विकेट निकल गया होता, तो मैच की स्थिति बदल सकती थी, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने साफ किया कि वह चाहते हैं कि अंपायर अधिक से अधिक सही फैसले दें।
अच्छा होगा अंपायर अधिक से अधिक सही फैसले करें
धोनी ने कहा, ‘‘यह (मैच का परिणाम) बदल सकता था, लेकिन इसके साथ ही हम चाहते हैं कि अंपायर अधिक से अधिक से सही फैसले करें। आपको देखना होगा कि कितने 50-50 फैसले हमारे पक्ष में नहीं गए। हमेशा इस पर गौर किया जाता है, लेकिन मैं अब भी डीआरएस को लेकर आश्वस्त नहीं हूं।’’
एक इंच भी मायने रखता है
उन्होंने कहा, ‘‘डीआरएस को निर्णय करने वाली प्रणाली होना चाहिए था, लेकिन इसमें कुछ कमियां हैं और इसको बनाने वाले भी इससे सहमत हैं। आपको यह देखना पड़ता है कि यह आउट है या नहीं। अगर यह आउट है तो स्टंप को छूना चाहिए अगर नहीं है तो गेंद के आधे हिस्से को स्टंप से छूना चाहिए। इससे काफी समस्या खड़ी होती है क्योंकि क्रिकेट में एक इंच भी काफी मायने रखता है।"
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष शशांक मनोहर ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि भारत एकदिवसीय और टेस्ट किसी में भी डीआरएस को तब तक नहीं अपनाएगा जब तक यह 'फूलप्रूफ' नहीं होता।
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