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एशिया कप में बिना स्पॉन्सर के जा सकती है टीम इंडिया, ड्रीम 11 ने वापस ली स्पॉन्सरशिप- सूत्र

एनडीटीवी को सूत्रों ने जानकारी दी है कि ड्रीम 11 के अधिकारियों ने बीसीसीआई से मुलाकात की है और बोर्ड को बताया है कि वह एशिया कप में भारतीय टीम को प्रायोजित नहीं कर पाएंगे.

एशिया कप में बिना स्पॉन्सर के जा सकती है टीम इंडिया, ड्रीम 11 ने वापस ली स्पॉन्सरशिप- सूत्र
Dream 11 Halt Sponsorship: ड्रीम 11 से स्पॉन्सरशिप वापस ले ली है.
  • ड्रीम11 ने बीसीसीआई को बताया है कि वह एशिया कप में भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम का प्रायोजन नहीं करेगा.
  • ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक 2025 के पारित होने के बाद कई गेमिंग ऐप बंद होने लगे हैं.
  • ड्रीम11 का बीसीसीआई के साथ जुलाई 2023 से मार्च 2026 तक 358 करोड़ रुपये का प्रायोजन करार था.
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फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म ड्रीम11 अब भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम को स्पॉन्सर नहीं करेगा. एनडीटीवी को सूत्रों ने जानकारी दी है कि ड्रीम 11 के अधिकारियों ने बीसीसीआई से मुलाकात की और बोर्ड को बताया है कि वह एशिया कप में भारतीय टीम को प्रायोजित नहीं कर पाएंगे. ड्रीम 11 का यह फैसला, सरकार द्वारा ऑनलाइन गेमिंग को लेकर बनाए नए कानून के बाद आया है. नए कानूनों के बाद कई फैंटेसी गेमिंग कंपनियों ने अपने रियल मनी गेमिंग कारोबार को बंद कर दिया है.  बता दें, 'ड्रीम 11' का बीसीसीआई के साथ जुलाई 2023 से मार्च 2026 तक के लिए 358 करोड़ रुपये का करार हुआ है.

बिना स्पॉन्सर के जाएगी टीम इंडिया!

एशिया कप के लिए भारतीय जर्सी छप चुकी है. ऐसे में बीसीसीआई को आखिरी समय में नए टाइटिल स्पॉन्सर की जरूरत होगी. संभव यह भी है कि टीम इंडिया एशिया कप में बिना किसी टाइटिल स्पॉन्सर के जाए. ऑनलाइम गेमिंग के नए बिल के पास होने के बाद बीसीसीआई के सचिव देवजीत सैकिया ने कहा था,"बीसीसीआई ऐसा कुछ भी नहीं करेगा जिसकी सरकार या देश का कानून इजाज़त नहीं देता. बीसीसीआई देश के किसी कानून के ख़िलाफ नहीं जाएगा. ये साफ़ है."

हालांकि, बीसीसीआई और ड्रीम 11 ने अभी तक प्रायोजन सौदे के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन यह पता चला है कि फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म बीसीसीआई के साथ अपनी डील को आगे जारी रखने के लिए तैयार नहीं है.

सरकार ने कसा ऑनलाइन रियल-मनी गेम पर शिकंजा

सरकार ने नए कानून के जरिए ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग पर पूरी तरह प्रतिबंध दिया है. ऐसे गेमिंग ऐप पर व्यक्ति को खेलों में भाग लेने के लिए पैसे देने पड़ते हैं और वह नकद पुरस्कार जीत सकते है. सरकार ने लोगों को ऑनलाइन मनी गेम्स के खतरे से बचाने के लिए यह कदम उठाया है. यह कानून नुकसानदायक गेमिंग प्लेटफार्मों के कारण व्यसन, वित्तीय बर्बादी और सामाजिक संकट को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो थोड़े समय में अधिक पैसे कमाने के वादों पर पनपते हैं. 

सरकार ने सभी ऑनलाइन मनी गेम्स चाहे वे स्किल पर आधारित हों या किस्मत पर, उन्हें बैन किया है. इसमें ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स और लॉटरी भी शामिल किए गए हैं. ऐसे खेलों से जुड़े विज्ञापन, प्रमोशन और बैंक या पेमेंट ऐप्स के जरिए होने वाले लेन-देन पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. इस कानून का उल्लघंन करने पर अधिकतम 3 साल की जेल और एक करोड़ रुपये तक जुर्माना का प्रावधान है. सरकार ने कहा है कि वह ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी नामक नया राष्ट्रीय निकाय बनाएगी, जो तय करेगा कि कौन सा गेम प्रतिबंधित 'मनी गेम' है.

मनी लॉन्डरिंग, वित्तीय आतंकवाद, सुरक्षा के मुद्दे

सरकार की दलील ये भी रही कि इन गेमिंग एप्स के ज़रिये मनी लॉन्डरिंग, फाइनेंशियल टेररिज़्म यानी वित्तीय आतंकवाद और देश की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे थे. इसलिए इन पर प्रतिबंध लगाना ज़रूरी था. ये भी ज़ोर देकर कहा गया कि ये गेमिंग एप बच्चों और युवाओं को लत लगानेवाले और कई परिवारों को तबाह कर देने वाले साबित हो रहे थे. 

करीब 45 करोड़ यूज़र्स, रोजगार पर असर

इन गेमिंग एप्स से जुड़े लोग बिना नाम ज़ाहिर किये जाने की शर्त पर बताते हैं कि पिछले दस साल में तकरीबन 45 करोड़ लोग इसका इस्तेमाल करने लगे. यही नहीं तकरीबन ढाई लाख लोगों के रोज़गार पर भी असर पड़ सकता है. जबकि, सरकार के अनुमान के मुताबिक ये 45 करोड़ लोग हर साल ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग में तकरीबन 20,000 करोड़ रुपये गंवाते हैं. 

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