पर्थ में भी पस्त होने के साथ टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पूरी तरह नाकाम हो गई है। 1967-68 यानी 47 सालों के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब टीम इंडिया ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर एक भी मैच नहीं जीत पाई है।
पहले टेस्ट में 2-0 से हार मिली, फिर वनडे सीरीज में खेले चारों मैच हारकर टीम इंडिया फाइनल तक का सफर भी तय नहीं कर सकी। वनडे में मिली हार के लिए धोनी बल्लेबाजों को सबसे ज्यादा दोषी मानते हैं।
धोनी की नज़र में मिडिल ऑर्डर का असफल होना, जीत न मिलने की सबसे बड़ी वजह है। विराट कोहली के नाम चार वनडे में 8.00 की औसत से 24 रन रहे, वहीं सुरेशा रैना ने चार मैचों में 17.66 की औसत से 53 रन बनाए। अंबाती रायडू ने तीन मैचों में 19.33 की औसत से 58 और खुद कप्तान धोनी ने चार वनडे मैचों में 23.33 की औसत से सिर्फ 70 रनों का योगदान दिया।
इस खराब प्रदर्शन के बाद धोनी ने कहा कि न्यूज़ीलैंड और फिर ऑस्ट्रेलिया में मिडिल ऑर्डर के विकेट बहुत जल्दी गिर रहे हैं, इस आदत से पीछा छुड़ाना जरूरी है। मुझे उम्मीद है कि खिलाड़ी ऐसा कर पाएंगे।
जाहिर है धोनी हताश नहीं हुए है, लेकिन उन्होंने मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी करने वाले सारे खिलाड़ियों को और जिम्मेदारी से बल्लेबाजी करने को कहा है। मीडिया में और शायद टीम में भी बैटिंग ऑर्डर को लेकर उठ रहे सवालों पर भी धोनी ने बेबाकी से अपनी राय रखी...
धोनी के मुताबिक यह कहना बहुत आसान है कि मैं उस नंबर पर बल्लेबाजी नहीं करूंगा, मगर टीम की जरूरत है तो करनी पड़ेगी। जाहिर तौर पर इशारा विराट कोहली की ओर है, जिनके बारे में खबरें आई कि वह अपने बैटिंग ऑर्डर से छेड़छाड़ को पंसद नहीं कर रहे हैं।
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