मुंबई:
भारत को त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में श्रीलंका पर रोमांचक जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने एक बार फिर वनडे क्रिकेट के इतिहास में खुद को सर्वश्रेष्ठ फिनिशिर साबित किया।
पूर्व भारतीय कप्तान और मुख्य चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर ने स्वीकार किया कि उन्होंने झारखंड के इस क्रिकेटर से बेहतर फिनिशर नहीं देखा है।
वेंगसरकर ने कहा, शुरुआती मैच गंवाने के बाद युवा भारतीय ब्रिगेड ने चुनौतीपूर्ण वापसी की। धोनी का मिजाज बहुत बढ़िया है, अब तक मैंने जो फिनिशर देखे हैं, उनमें वह सर्वश्रेष्ठ है। वह खेल में किसी भी स्थिति में घबराता नहीं है। वह टूर्नामेंट में भारत की जीत का जिक्र कर रहे थे, जिसमें श्रीलंका और मेजबान वेस्ट इंडीज से शुरुआती दो राउंड रोबिन मैच गंवाने के बावजूद टीम ने फाइनल में जगह बनाई।
धोनी ने मैच विजेता नाबाद पारी खेलकर टीम को क्वींस पार्क ओवल में त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में मुश्किल स्थिति से उबारते हुए एक विकेट से जीत दिलाई। टी-20 प्रारूप को दुनिया में काफी लोकप्रियता मिल रही है, जिससे खिलाड़ियों को पहले से कहीं ज्यादा नयापन लाने में मदद मिल रही है, लेकिन धोनी ने इसके लोकप्रिय होने से पहले ही जीत का यह जज्बा दिखा दिया था।
ट्वेंटी-20 प्रारूप में शानदार फिनिशिंग कौशल दिखाने से पहले कैप्टन कूल ने दिखा दिया था कि वह 50 ओवर के मैचों में लक्ष्य का पीछा करने के दौरान डेथ ओवर में कितने योग्य हैं। वर्ष 2005 में धोनी भारतीय टीम में नए-नए थे और उन्होंने तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए महज 145 गेंद में नाबाद 183 रन का स्कोर बनाया था, जो अब तक उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर है, जिसमें 10 छक्के और 15 चौके शामिल थे। इस पारी से भारत ने श्रीलंका द्वारा दिए गए 299 रन के लक्ष्य को चार ओवर रहते ही हासिल कर लिया था, जबकि उनकी टीम में उनके सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज चामिंडा वास और मुथैया मुरलीधरन शामिल थे।
इससे कुछ महीने पहले ही धोनी ने विशाखापत्तनम में पाकिस्तान के खिलाफ 123 गेंद में 148 रन की पारी खेलकर अपनी शानदार काबिलियत का नजारा पेश किया था, जिससे भारत ने नौ विकेट पर 356 रन का स्कोर खड़ा किया और मेहमान टीम हार गई थी। धोनी ने पाकिस्तान में 2006 में लाहौर और कराची में जोरदार अंदाज में फिनिशिर की भूमिका अदा की, जिसमें नाबाद 70 से अधिक रन की पारी शामिल थी, जिससे भारत ने टेस्ट सीरीज में 0-1 की हार के बाद वनडे सीरीज में 4-1 से जीत दर्ज की।
उन्होंने बांग्लदेश में मई में 2007 और फिर जनवरी 2010 में क्रमश: नाबाद 91 और नाबाद 101 रन की पारी खेलकर यह काम फिर से किया। इन कुछ पारियों में धोनी को युवराज सिंह और विराट कोहली तथा अन्य खिलाड़ियों का साथ मिला और गुरुवार को उन्होंने अंतिम खिलाड़ी इशांत शर्मा के साथ यही किया। इन सबमें सबसे ज्यादा चर्चित और अहम पारी वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका के खिलाफ 2 अप्रैल, 2011 विश्वकप फाइनल की रही, जिसमें उन्होंने नाबाद 91 रन बनाए।
सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर की 97 रन की शानदार पारी और धोनी की उनकी साथ 119 रन की साझेदारी तथा कप्तान की युवराज सिंह के साथ नाबाद 54 रन की भागीदारी से भारत ने 10 गेंद रहते श्रीलंका द्वारा दिए गए 275 रन के लक्ष्य को हासिल कर लिया था। धोनी ने तेज गेंदबाज नुवान कुलाशेखरा की गेंद पर विजयी छक्का लगाकर पूरे देश को जश्न के माहौल में डुबो दिया।
विपरीत परिस्थितियों में धोनी के चेहरे पर शांति, जरूरत के मुताबिक रणनीति में बदलने तथा विपक्षी गेंदबाजों और कप्तानों को पढ़ने की क्षमता उनकी सफलता के महत्वपूर्ण कारक रहे हैं। उन्होंने 226 वनडे में आठ शतक, 48 अर्धशतकों से 7,300 रन बनाए हैं, लेकिन महान फिनिशिर की क्षमता का खुलासा इस बात से ही हो जाता है कि वह प्रत्येक चार पारियों में एक बार नाबाद रहते हैं। साथी खिलाड़ी रोहित शर्मा ने शीर्ष क्रम में 58 रन की जिम्मेदाराना पारी खेली, उन्होंने धोनी के बारे में कहा, धोनी ने हमारे लिए बार-बार ऐसा किया है, इसलिए हम सभी ड्रेसिंग रूम में सकारात्मक थे। हमने उन्हें कई सालों से ऐसा करते देखा है। यह कोई हैरानी वाली बात नहीं थी।
पूर्व भारतीय कप्तान और मुख्य चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर ने स्वीकार किया कि उन्होंने झारखंड के इस क्रिकेटर से बेहतर फिनिशर नहीं देखा है।
वेंगसरकर ने कहा, शुरुआती मैच गंवाने के बाद युवा भारतीय ब्रिगेड ने चुनौतीपूर्ण वापसी की। धोनी का मिजाज बहुत बढ़िया है, अब तक मैंने जो फिनिशर देखे हैं, उनमें वह सर्वश्रेष्ठ है। वह खेल में किसी भी स्थिति में घबराता नहीं है। वह टूर्नामेंट में भारत की जीत का जिक्र कर रहे थे, जिसमें श्रीलंका और मेजबान वेस्ट इंडीज से शुरुआती दो राउंड रोबिन मैच गंवाने के बावजूद टीम ने फाइनल में जगह बनाई।
धोनी ने मैच विजेता नाबाद पारी खेलकर टीम को क्वींस पार्क ओवल में त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में मुश्किल स्थिति से उबारते हुए एक विकेट से जीत दिलाई। टी-20 प्रारूप को दुनिया में काफी लोकप्रियता मिल रही है, जिससे खिलाड़ियों को पहले से कहीं ज्यादा नयापन लाने में मदद मिल रही है, लेकिन धोनी ने इसके लोकप्रिय होने से पहले ही जीत का यह जज्बा दिखा दिया था।
ट्वेंटी-20 प्रारूप में शानदार फिनिशिंग कौशल दिखाने से पहले कैप्टन कूल ने दिखा दिया था कि वह 50 ओवर के मैचों में लक्ष्य का पीछा करने के दौरान डेथ ओवर में कितने योग्य हैं। वर्ष 2005 में धोनी भारतीय टीम में नए-नए थे और उन्होंने तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए महज 145 गेंद में नाबाद 183 रन का स्कोर बनाया था, जो अब तक उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर है, जिसमें 10 छक्के और 15 चौके शामिल थे। इस पारी से भारत ने श्रीलंका द्वारा दिए गए 299 रन के लक्ष्य को चार ओवर रहते ही हासिल कर लिया था, जबकि उनकी टीम में उनके सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज चामिंडा वास और मुथैया मुरलीधरन शामिल थे।
इससे कुछ महीने पहले ही धोनी ने विशाखापत्तनम में पाकिस्तान के खिलाफ 123 गेंद में 148 रन की पारी खेलकर अपनी शानदार काबिलियत का नजारा पेश किया था, जिससे भारत ने नौ विकेट पर 356 रन का स्कोर खड़ा किया और मेहमान टीम हार गई थी। धोनी ने पाकिस्तान में 2006 में लाहौर और कराची में जोरदार अंदाज में फिनिशिर की भूमिका अदा की, जिसमें नाबाद 70 से अधिक रन की पारी शामिल थी, जिससे भारत ने टेस्ट सीरीज में 0-1 की हार के बाद वनडे सीरीज में 4-1 से जीत दर्ज की।
उन्होंने बांग्लदेश में मई में 2007 और फिर जनवरी 2010 में क्रमश: नाबाद 91 और नाबाद 101 रन की पारी खेलकर यह काम फिर से किया। इन कुछ पारियों में धोनी को युवराज सिंह और विराट कोहली तथा अन्य खिलाड़ियों का साथ मिला और गुरुवार को उन्होंने अंतिम खिलाड़ी इशांत शर्मा के साथ यही किया। इन सबमें सबसे ज्यादा चर्चित और अहम पारी वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका के खिलाफ 2 अप्रैल, 2011 विश्वकप फाइनल की रही, जिसमें उन्होंने नाबाद 91 रन बनाए।
सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर की 97 रन की शानदार पारी और धोनी की उनकी साथ 119 रन की साझेदारी तथा कप्तान की युवराज सिंह के साथ नाबाद 54 रन की भागीदारी से भारत ने 10 गेंद रहते श्रीलंका द्वारा दिए गए 275 रन के लक्ष्य को हासिल कर लिया था। धोनी ने तेज गेंदबाज नुवान कुलाशेखरा की गेंद पर विजयी छक्का लगाकर पूरे देश को जश्न के माहौल में डुबो दिया।
विपरीत परिस्थितियों में धोनी के चेहरे पर शांति, जरूरत के मुताबिक रणनीति में बदलने तथा विपक्षी गेंदबाजों और कप्तानों को पढ़ने की क्षमता उनकी सफलता के महत्वपूर्ण कारक रहे हैं। उन्होंने 226 वनडे में आठ शतक, 48 अर्धशतकों से 7,300 रन बनाए हैं, लेकिन महान फिनिशिर की क्षमता का खुलासा इस बात से ही हो जाता है कि वह प्रत्येक चार पारियों में एक बार नाबाद रहते हैं। साथी खिलाड़ी रोहित शर्मा ने शीर्ष क्रम में 58 रन की जिम्मेदाराना पारी खेली, उन्होंने धोनी के बारे में कहा, धोनी ने हमारे लिए बार-बार ऐसा किया है, इसलिए हम सभी ड्रेसिंग रूम में सकारात्मक थे। हमने उन्हें कई सालों से ऐसा करते देखा है। यह कोई हैरानी वाली बात नहीं थी।
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