चेन्नई सुपरकिंग्स टीम (फाइल फोटो)
चेन्नई:
आईपीएल फ्रैंचाइजी चेन्नई सुपरकिंग्स ने वर्ष 2013 के सट्टेबाजी घोटाले को लेकर उसे इंडियन प्रीमियर लीग से निलंबित करने के न्यायमूर्ति लोढा समिति के आदेश को गुरुवार को मद्रास उच्च न्यायालय में चुनौती दी। इस घोटाले में उसके शीर्ष अधिकारी गुरुनाथ मय्यपन शामिल थे।
अपनी याचिका में चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) की मालिक और शहर की कंपनी इंडियन सीमेंट्स लिमिटेड (आईसीएल) ने समिति के पिछले महीने के आदेश पर स्थगनादेश की भी मांग की है।
याचिका में कहा गया है कि समिति का आदेश नैसर्गिक न्याय और निष्पक्ष सुनवाई के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है।
वर्ष 2013 के सट्टेबाजी घोटाले के बाद क्रिकेट को साफ सुथरा करने के अभियान के तहत महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई वाली सीएसके और राजस्थान रायल्स को 14 जुलाई को दो साल के लिए लीग से निलंबित कर दिया गया था। इस घोटाले में शीर्ष अधिकारी मय्यपन और राज कुंद्रा शामिल थे।
तत्कालीन बीसीसीआई प्रमुख एन श्रीनिवासन के दामाद मय्यपन, सीएसके के एक पूर्व टीम प्रिंसीपल और राजस्थान रायल्स को चलाने वाले जयपुर आईपीएल के सह मालिक कुंद्रा को बीसीसीआई द्वारा संचालित किसी भी मैच से जीवनभर के लिए निलंबित कर दिया गया था।
भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय समिति ने यह सजा सुनायी थी। उच्चतम न्यायालय ने इन सभी को सट्टेबाजी का दोषी पाए जाने के बाद इनकी सजा तय करने का जिम्मा समिति को सौंपा था।
अपनी याचिका में इंडिया सीमेंट ने आरोप लगाया है कि बिना आरोपों की पड़ताल किए या कथित अपराध को देखे बिना सीएसके को सजा देना नैसर्गिक न्याय और निष्पक्ष सुनवाई के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है।
इसके साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि लोढा समिति द्वारा यह जानने का प्रयास नहीं करना कि इंडिया सीमेंट्स आईपीएल आपरेशन नियमों के उपबंध 4.1.1 का उल्लंघन करने का दोषी है भी या नहीं, इससे न्याय की गंभीर हानि हुई है।
पिछली जनवरी में उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है, ‘‘गुरुनाथ मय्यपन को सट्टेबाजी का दोषी पाया गया लेकिन स्पॉट फिक्सिंग या भीतरी सूचना के दुरुपयोग का नहीं, मय्यपन की कभी भी इंडिया सीमेंट्स में हिस्सेदारी नहीं रही और न ही वह कंपनी के प्रबंधन में शामिल है।’’
अपनी याचिका में चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) की मालिक और शहर की कंपनी इंडियन सीमेंट्स लिमिटेड (आईसीएल) ने समिति के पिछले महीने के आदेश पर स्थगनादेश की भी मांग की है।
याचिका में कहा गया है कि समिति का आदेश नैसर्गिक न्याय और निष्पक्ष सुनवाई के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है।
वर्ष 2013 के सट्टेबाजी घोटाले के बाद क्रिकेट को साफ सुथरा करने के अभियान के तहत महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई वाली सीएसके और राजस्थान रायल्स को 14 जुलाई को दो साल के लिए लीग से निलंबित कर दिया गया था। इस घोटाले में शीर्ष अधिकारी मय्यपन और राज कुंद्रा शामिल थे।
तत्कालीन बीसीसीआई प्रमुख एन श्रीनिवासन के दामाद मय्यपन, सीएसके के एक पूर्व टीम प्रिंसीपल और राजस्थान रायल्स को चलाने वाले जयपुर आईपीएल के सह मालिक कुंद्रा को बीसीसीआई द्वारा संचालित किसी भी मैच से जीवनभर के लिए निलंबित कर दिया गया था।
भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय समिति ने यह सजा सुनायी थी। उच्चतम न्यायालय ने इन सभी को सट्टेबाजी का दोषी पाए जाने के बाद इनकी सजा तय करने का जिम्मा समिति को सौंपा था।
अपनी याचिका में इंडिया सीमेंट ने आरोप लगाया है कि बिना आरोपों की पड़ताल किए या कथित अपराध को देखे बिना सीएसके को सजा देना नैसर्गिक न्याय और निष्पक्ष सुनवाई के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है।
इसके साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि लोढा समिति द्वारा यह जानने का प्रयास नहीं करना कि इंडिया सीमेंट्स आईपीएल आपरेशन नियमों के उपबंध 4.1.1 का उल्लंघन करने का दोषी है भी या नहीं, इससे न्याय की गंभीर हानि हुई है।
पिछली जनवरी में उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है, ‘‘गुरुनाथ मय्यपन को सट्टेबाजी का दोषी पाया गया लेकिन स्पॉट फिक्सिंग या भीतरी सूचना के दुरुपयोग का नहीं, मय्यपन की कभी भी इंडिया सीमेंट्स में हिस्सेदारी नहीं रही और न ही वह कंपनी के प्रबंधन में शामिल है।’’
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