अनुराग ठाकुर और एन. श्रीनिवासन (फाइल फोटो)
मुंबई:
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हटने को मजबूर या बोर्ड और राज्य संघों से हटाए गए पदाधिकारियों ने भारतीय क्रिकेट के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के साथ बैठक करके अपने भविष्य पर चर्चा की. पूर्व अध्यक्षों एन श्रीनिवासन और अनुराग ठाकुर ने शनिवार को बेंगलुरु में अनौपचारिक बैठक में हाथ मिलाए.
बीसीसीआई की 30 में से 24 इकाइयों में ऐसे प्रशासक हैं जो डिस्क्वालीफाई हो गए हैं या उन्हें अनिवार्य ब्रेक में जाना पड़ा है. उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद 21 राज्य इकाइयों ने पहले ही लोढा समिति को पुष्टि कर दी है कि वे सभी सुधारवादी कदमों को लागू करेंगे.
इससे पहले श्रीनिवासन और ठाकुर के अलावा उच्चतम न्यायालय द्वारा बर्खास्त पूर्व सचिव अजय शिर्के, संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी और कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी ने भी बैठक में हिस्सा लिया. आईपीएल अध्यक्ष राजीव शुक्ला भी महत्वपूर्ण सदस्य हैं. जिन छह संघों ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया उसमें रेलवे, सेना और विश्वविद्यालय जैसे संस्थानिक संगठनों के अलावा राष्ट्रीय क्रिकेट क्लब, विदर्भ सीए और डीडीसीए शामिल हैं.
एक राज्य संघ के अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, "हां, यह अनौपचारिक बैठक थी. ठाकुर और श्रीनिवासन का रवैया एक दूसरे के प्रति काफी सौहार्दपूर्ण था. बेशक मौजूदा स्थिति पर चर्चा की गई. श्रीनिवासन ने पूछा कि हम सब एकजुट हैं या नहीं. यहां तक कि ठाकुर भी समझते हैं कि उन्हें श्रीनिवासन अब अपने साथ चाहिए. 24 में से 18 अब भी श्रीनिवासन के समर्थक हैं."
वहीं आशंका जताई जा रही है कि लोढा कमेटी और पद छोड़ने को मजबूर हुए बीसीसीआई और राज्य संघों के पदाधिकारी के बीच परोक्ष रूप से लड़ाई देखने को मिल सकती है. राज्य संघ बोर्ड से इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज़ में असहयोग का रवैया अपना सकते हैं. तकनीकी रूप से देखा जा तो कई राज्य संघ अलग से सोसायटी एक्ट में रजिस्टर्ड हैं ऐसे में उनका मानना है कि स्टेडियम संघ की निजी प्रॉपर्टी है और निजी प्रॉपर्टी को एक फैसले से छीना नहीं जा सकता. हालांकि देखना होगा कि यह दलील कितनी टिक पाएगी.
उधर, लोढा समिति के करीबी एक सूत्र ने बताया, "यह हैरानी भरा है कि ऐसे व्यक्ति जो बीसीसीआई से अब जुड़े नहीं है वे ऐसे दावे कर रहे हैं और वह भी उस सुविधा के बारे में जो सरकारी और बीसीसीआई की जमीन पर बनी है. यह व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है."
(इनपुट भाषा से भी)
बीसीसीआई की 30 में से 24 इकाइयों में ऐसे प्रशासक हैं जो डिस्क्वालीफाई हो गए हैं या उन्हें अनिवार्य ब्रेक में जाना पड़ा है. उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद 21 राज्य इकाइयों ने पहले ही लोढा समिति को पुष्टि कर दी है कि वे सभी सुधारवादी कदमों को लागू करेंगे.
इससे पहले श्रीनिवासन और ठाकुर के अलावा उच्चतम न्यायालय द्वारा बर्खास्त पूर्व सचिव अजय शिर्के, संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी और कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी ने भी बैठक में हिस्सा लिया. आईपीएल अध्यक्ष राजीव शुक्ला भी महत्वपूर्ण सदस्य हैं. जिन छह संघों ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया उसमें रेलवे, सेना और विश्वविद्यालय जैसे संस्थानिक संगठनों के अलावा राष्ट्रीय क्रिकेट क्लब, विदर्भ सीए और डीडीसीए शामिल हैं.
एक राज्य संघ के अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, "हां, यह अनौपचारिक बैठक थी. ठाकुर और श्रीनिवासन का रवैया एक दूसरे के प्रति काफी सौहार्दपूर्ण था. बेशक मौजूदा स्थिति पर चर्चा की गई. श्रीनिवासन ने पूछा कि हम सब एकजुट हैं या नहीं. यहां तक कि ठाकुर भी समझते हैं कि उन्हें श्रीनिवासन अब अपने साथ चाहिए. 24 में से 18 अब भी श्रीनिवासन के समर्थक हैं."
वहीं आशंका जताई जा रही है कि लोढा कमेटी और पद छोड़ने को मजबूर हुए बीसीसीआई और राज्य संघों के पदाधिकारी के बीच परोक्ष रूप से लड़ाई देखने को मिल सकती है. राज्य संघ बोर्ड से इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज़ में असहयोग का रवैया अपना सकते हैं. तकनीकी रूप से देखा जा तो कई राज्य संघ अलग से सोसायटी एक्ट में रजिस्टर्ड हैं ऐसे में उनका मानना है कि स्टेडियम संघ की निजी प्रॉपर्टी है और निजी प्रॉपर्टी को एक फैसले से छीना नहीं जा सकता. हालांकि देखना होगा कि यह दलील कितनी टिक पाएगी.
उधर, लोढा समिति के करीबी एक सूत्र ने बताया, "यह हैरानी भरा है कि ऐसे व्यक्ति जो बीसीसीआई से अब जुड़े नहीं है वे ऐसे दावे कर रहे हैं और वह भी उस सुविधा के बारे में जो सरकारी और बीसीसीआई की जमीन पर बनी है. यह व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है."
(इनपुट भाषा से भी)
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