Australia vs India, 1st T20I: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बुधवार को शुरू हुई पांच टी20 मैचों की सीरीज के पहले मुकाबले में कैनबरा में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान मिचेल मार्श ने टॉस जीतने के बाद दोनों देशों की XI सामने आई, तो करोड़ों भारतीय फैंस सहित कमेंट्री बॉक्स में बैठे दिग्गजों और पूर्व क्रिकेटरों ने दांत तले उंगली दबा ली. किसी को भी एक बार को भरोसा नहीं हुआ कि पिछले एक साल में टीम इंडिया के लिए संभवत: सबसे तूफानी प्रदर्शन करने वाले अर्शदीप सिंह (Arshdeep Singh) टीम में नहीं हैं? बड़ी संख्या में लोगों ने अपने-अपने टीवी की स्क्रीन के नजदीक आकर देखा, अलग-अलग साइटों पर पढ़कर देखा. और जब पाया कि अर्शदीप सिंह (Arshdeep Singh out of XI) वास्तव में टीम से बाहर हैं, तो फिर बातें इन चाहने वालों के बीच वैसी ही बातें और चर्चा शुरू हो गईं, जैसी कुछ दिन पहले तक पूर्व चीफ सेलेक्टर कृष्णाचारी श्रीकांत कर रहे थे. आखिर कैसे और किस तर्क से अर्शदीप के बाहर बैठाने को सही कहा जा सकता है? अर्शदीप की जगह हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आखिरी वनडे में 4 विकेट लेने वाले हर्षित राणा को XI का हिस्सा बनाया गया, तो कई सवाल खड़े हो गए? आप 3 बड़े सवालों के बारे में जान लीजिए:-
Harshit Rana playing ahead of Arshdeep Singh!
— Binod (@wittybinod) October 29, 2025
This is disrespect of a world champion bowler pic.twitter.com/wD0KFpR2H7
1. अर्शदीप और राणा में कोई तुलना नहीं!
अर्शदीप और हर्षित राणा को लेकर फैंस और दिग्गजों के बीच जो चर्चा और सवाल चल रहे हैं, उनमें वजन बहुत ही ज्यादा है. अर्शदीप को भारत का टी20 में विशेषज्ञ बॉलर माना जाता है और आंकड़े उन्हें देश का सर्वश्रेष्ठ बॉलर बनाते ही हैं. लेफ्टी पेसर के पिछले साल के प्रदर्शन की बात करें, अर्शदीप ने खेले 18 मैचों में 36 विकेट लिए, तो उनका इकॉनमी रन-रन 7.49 का रहा. वहीं, हर्षित राणा ने अभी तक के करियर में 4 मैचों में 5 ही विकेट चटकाए हैं. ऐसे में सवाल यह है कि अर्शदीप को क्यों बाहर बैठाया गया? यह सही है कि हर्षित राणा ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आखिरी वनडे मैच में 4 सहित सीरीज में सबसे ज्यादा भारत के लिए 6 विकेट लिए, लेकिन 2 मैचों में अर्शदीप ने भी 3 विकेट लिए. कुल मिलाकर बात यह है कि दोनों का यह प्रदर्शन और बाकी के तमाम कोई भी बड़े पहलू अर्शदीप को XI से बाहर बैठाने के फैसले को सही नहीं ठहरा सकते. यह ठहरा सकते हैं? और न ही अर्शदीप की हर्षित राणा के साथ किसी भी तरह की कोई तुलना ही हो सकती है. बावजूद इसके कि हर्षित बैटिंग में सरदार से बेहतर हैं. यहां पिछले एक साल को तो छोड़ दें, तो इस तथ्य की अनदेखी कैसे की जा सकती है कि अर्शदीप टी20 में भारत के सबसे सफल बॉलर (101 विकेट) हैं.
2. क्या यहां नंबर 8 पर बैटिंग इतनी जरूरी?
कैनबरा की पिच को तमाम पंडितों ने बैटिंग पिच बताया. और देखने में यह साफ भी हो गया. हां गेंद थोड़ा धीमी जरूर आ रही ही टप्पा खाने के बाद. ऐसे में कोई भी आसानी से यह आंकलन कर लेगा कि जब पिच ऐसी हो, तो यहां क्या वास्तव में नंबर-8 पर खेलने वाले किसी भी खिलाड़ी की बैटिंग की जरूरत है? अगर बैटिंग पिच पर ऊपरी क्रम के दिग्गज बल्लेबाज ही कुछ नहीं कर पाएंगे, तो फिर नंबर 8 भला कौन सी तोप चला लेगा? इससे अलग कहीं न कहीं यह भी एक सवाल है कि जब पिच ऐसी हो, तो एक्स्ट्रा स्पिनर खिलाया जाए, या पेसर? कुल मिलाकर अर्शदीप को बाहर बैठाने का मामला यहीं थमने वाला नहीं है. इस फैसले की गूंज खासी दूर तक जा सकती है
Gambhir is ruining Arshdeep Singh's career by benching him for no reason. Someone should tell Dumbhir that Arshdeep is the all time Highest wicket taker of India in T20s. He did nothing wrong to be out of the XI. This is just blind favouritism towards KKR Parchi Harshit Rana. pic.twitter.com/LtktgHFyLZ
— Dhillon (@sehajdhillon_) October 29, 2025
3. विविधता के मायने हैं या नहीं?
आसानी से समझ में आने वाली बात है कि बॉलिंग या गेंदबाजों में विविधता हो, तो सामने वाले शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों को खासी मुश्किल होती है. एक तरफ से लेफ्टी बॉलर और दूसरे छोर से दाएं हत्था पेसर के अपने ही मायने होते हैं? प्रदर्शन को एक तरफ रख दें, तो भी यह विरोधी क्रम के शीर्ष बल्लेबाजों को अव्यस्थित करने के लिए आदर्श कॉम्बिनेशन होता है, लेकिन कैनबरा में इलेवन में चयन में इस पहलू की अनदेखी करते हुए उस अर्शदीप सिंह को किनारे कर दिया गया, जो टी20 में सौ विकेट लेने के बावजूद न तो टेस्ट कैप ही हासिल कर सका है और वनडे भी गिने-चुने ही खेलते हैं. बहरहाल, इस फैसले से फैंस बहुत ही ज्यादा गुस्से में हैं. और तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है.
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