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वह बॉलर जो बल्लेबाजों को लहूलुहान कर देता था, कहलाता था विश्व क्रिकेट का 'दादा', आज भी माने जाते हैं 'ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम'

Andy Roberts Intresting facts: एंडी रॉबर्ट्स ऐसे गेंदबाज के तौर पर जाने गए जो किसी भी मैदान पर अपनी गेंदबाजी से कहर बरपाते थे. इसलिए वो तेज गेंदबाजी के "दादा" के नाम से मशहूर हुए.

वह बॉलर जो बल्लेबाजों को लहूलुहान कर देता था, कहलाता था विश्व क्रिकेट का 'दादा', आज भी माने जाते हैं 'ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम'
Sir Andy Roberts: “The Grandfather” of pace bowling

Andy Roberts : टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे खतरनाक गेंदबाज ((Most Deadly Fast Bowler In The History Of Cricket) की बात आती है तो एंडी रॉबर्ट्स (Sir Andy Roberts) का नाम सबसे पहले लिया जाता है, एंडी रॉबर्ट्स को विश्व क्रिकेट का सबसे खतरनाक गेंदबाज माना जाता है. सुनील गावस्कर ने भी रॉबर्ट्स को अपने समय का महान गेंदबाज करार दिया है. एंडी रॉबर्ट्स ऐसे गेंदबाज के तौर पर जाने गए जो किसी भी मैदान पर अपनी गेंदबाजी से कहर बरपाते थे. इसलिए वो तेज गेंदबाजी के "दादा" के नाम से मशहूर हुए. रॉबर्ट्स ने अपने करियर में ऐसी गेंदबाजी की जिसकी चर्चा आज भी होती है. (Andy Roberts - Cricket Player West Indies) रॉबर्ट्स ने अपने करियर में 47 मैच खेलकर 202 विकेट लिए तो वहीं, वनडे में उनके नाम 56 मैच में 87 विकेट दर्ज रहे ,लिस्ट ए में रॉबर्ट्स ने 274 विकेट लेने का कमाल किया था. 

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दो तरह के बाउंसर से करते थे बल्लेबाजों पर प्रहार

रॉबर्ट्स को खतरनाक बनाने वाली बात उनकी चालाकी थी. रॉबर्ट्स के पास दो तरह के बाउंसर थे. पहला जो थोड़ा धीमा होता था. जिसे बल्लेबाज़ आसानी से संभाल लेते थे, रॉबर्ट्स ऐसी गेंद जानबूझकर फेंका करते थे जो बल्लेबाजों के लिए जाल की तरह होता था. दूसरी, तरह की बाउंसर जो वो फेंका करते थे,  उसकी स्पीड बहुत तेज होती थी. जो बल्लेबाजों को चौंका दिया करती थी.  बल्लेबाज़ अक्सर उनकी गेंद की गति और उछाल का गलत अनुमान लगाते थे, जिसके परिणामस्वरूप आउट हो जाते थे.  रॉबर्ट्स  बल्लेबाजों को धोखा देने के लिए जाने जाते थे. उनकी यही रणनीति उन्हें दूसरे गेंदबाजों से अलग बनाती थी. 

बल्ले से भी किया था करिश्मा

रॉबर्ट्स ने 1975 में पहले क्रिकेट विश्व कप के दौरान बल्ले से भी अपनी छाप छोड़ी. उन्होंने तीन रन प्रति ओवर की इकॉनमी रेट से आठ विकेट लिए, उनका सबसे यादगार योगदान बर्मिंघम में पाकिस्तान के खिलाफ़ एक नाटकीय रन चेज़ में आया था.  267 रनों का पीछा करते हुए, वेस्टइंडीज़ 8 विकेट पर 166 रन बनाकर लड़खड़ा गया.  डेरिक मरे और वैनबर्न होल्डर के बीच 37 रनों की शानदार साझेदारी के बाद, जब आखिरी बल्लेबाज के तौर पर रॉबर्ट्स क्रीज पर आए तो उनके साथ मरे क्रीज पर मौजूद थे. जब रॉबर्ट्स मैदान पर बल्लेबाजी करने आए थे तो उस समय  64 रनों की ज़रूरत थी, ऐसे में इस अहम पड़ाव पर रॉबर्ट्स ने अडिग धैर्य का परिचय देते हुए नाबाद 24 रन की पारी खेली और टीम को जीत दिला दी थी. , 

क्रिकेट करियर में अपनी खतरनाक गेंदबाजी से बल्लेबाजों को परेशान करने विश्व कप विजेता रॉबर्ट्स को 1975 में विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर नामित किया गया था और 2009 में उन्हें आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था. 

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जब बल्लेबाज को अपनी खतरनाक बाउंसर से कर दिया था घायल

साल  1977-78 में क्वीन्स पार्क ओवल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ टेस्ट में रॉबर्ट्स ने अपनी घातक गेंदबाज़ी से पीटर टूही (Peter Toohey) को लगभग मार ही डाला था.  जब एक घातक बाउंसर को टूही ने हुक करने की कोशिश की, लेकिन वह पूरी तरह से चूक गए और गेंद उनके माथे पर लगी, नाक के ठीक ऊपर.  बल्लेबाज़ ज़मीन पर गिर गया और बेहोश हो गया. यह देखकर हर कोई हैरान और हताशा में था. बल्लेबाज को लोग पवेलियन जाने का इशारा कर रहे थे. बल्लेबाज के जमीन पर गिरने से हर कोई वहां निराश था लेकिन केवल एक चीज़ जो नहीं बदल थी, वह था रॉबर्ट्स का भावशून्य चेहरा. 

दो बार बने विश्व कप विजेता: रॉबर्ट्स वेस्टइंडीज टीम का हिस्सा थे जिसने 1975 और 1979 में इंग्लैंड में पहले दो प्रूडेंशियल विश्व कप जीतेने का कमाल किया था. 

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