कर्नाटक का विधानसभा भवन (फाइल फोटो)
बेंगलुरु:
पिछले करीब चार महीनों से कर्नाटक के लोकायुक्त की जगह खाली है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक नए लोकायुक्त की बहाली की जाएगी। कानून मंत्री टीबी जयचन्द्र के मुताबिक अब तक नए लोकायुक्त को लेकर बैठक नहीं हुई है और इसकी वजह विधान परिषद के 27 दिसंबर को होने वाले चुनाव हैं। कानून मंत्री के मुताबिक जनवरी के पहले हफ्ते में बैठक बुलाई जाएगी और तभी नए लोकायुक्त का नाम तय किया जाएगा।
जस्टिस विक्रमजीत सेन के नाम की चर्चा
इस बीच सरकार ने कर्नाटक हाई कोर्ट से भी संभावित नाम मांगे हैं। कर्नाटक के पूर्व मुख्य न्यायाधीश विक्रमजीत सेन के नाम की अटकलें लगाई जा रही हैं जो कि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश हैं और 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं।
भास्कर राव के कारण हुई सरकार की फजीहत
लोकायुक्त को लेकर कर्नाटक सरकार की काफी फजीहत हो रही है। बेटे और अपने महकमे के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ मिलकर तकरीबन 100 करोड़ रुपये की जबरन वसूली के आरोपों के बावजूद जब जस्टिस भास्कर राव इस्तीफा न देने पर अड़े रहे तो ऐसे में महाभियोग के जरिए उन्हें हटाने की कर्रवाई सरकार को करनी पड़ी। चारों तरफ से घिरते देख हाल ही में भास्कर राव ने अपने पद से इस्तीफा दिया। भास्कर राव का बेटा आश्विन राव और डिप्टी कमिश्नर रेयाज अब भी इसी मामले में जेल में हैं।
उप लोकायुक्त पर गिरते-गिरते बची गाज
इसी बीच उप लोकायुक्त जस्टिस सुभाष बी आदि को हटाने के लिए भी सिद्धारमैया सरकार की तरफ से महाभियोग प्रस्ताव लाया गया। इसे विधानसभा ने एडमिट भी किया, लेकिन अब सरकार ने पलटी मार दी यह कहते हुए कि जस्टिस आदि को हटाने के लिए चर्चा हुई थी लेकिन प्रस्ताव एडमिट नहीं हुआ था। हालांकि विधानसभा के दस्तावेजों से साफ होता है कि प्रस्ताव एडमिट हुआ था। दरअसल जस्टिस आदि बीजेपी के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में कांग्रेस सरकार ने बीजेपी को बैकफुट पर करने के लिए उनका नाम उछाल था। बीजेपी कह रही थी कि कांग्रेस लोकायुक्त दफ्तर में व्याप्त भ्रष्टाचार को शह देती रही ताकि उसका हित सधता रहे।
जस्टिस विक्रमजीत सेन के नाम की चर्चा
इस बीच सरकार ने कर्नाटक हाई कोर्ट से भी संभावित नाम मांगे हैं। कर्नाटक के पूर्व मुख्य न्यायाधीश विक्रमजीत सेन के नाम की अटकलें लगाई जा रही हैं जो कि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश हैं और 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं।
भास्कर राव के कारण हुई सरकार की फजीहत
लोकायुक्त को लेकर कर्नाटक सरकार की काफी फजीहत हो रही है। बेटे और अपने महकमे के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ मिलकर तकरीबन 100 करोड़ रुपये की जबरन वसूली के आरोपों के बावजूद जब जस्टिस भास्कर राव इस्तीफा न देने पर अड़े रहे तो ऐसे में महाभियोग के जरिए उन्हें हटाने की कर्रवाई सरकार को करनी पड़ी। चारों तरफ से घिरते देख हाल ही में भास्कर राव ने अपने पद से इस्तीफा दिया। भास्कर राव का बेटा आश्विन राव और डिप्टी कमिश्नर रेयाज अब भी इसी मामले में जेल में हैं।
उप लोकायुक्त पर गिरते-गिरते बची गाज
इसी बीच उप लोकायुक्त जस्टिस सुभाष बी आदि को हटाने के लिए भी सिद्धारमैया सरकार की तरफ से महाभियोग प्रस्ताव लाया गया। इसे विधानसभा ने एडमिट भी किया, लेकिन अब सरकार ने पलटी मार दी यह कहते हुए कि जस्टिस आदि को हटाने के लिए चर्चा हुई थी लेकिन प्रस्ताव एडमिट नहीं हुआ था। हालांकि विधानसभा के दस्तावेजों से साफ होता है कि प्रस्ताव एडमिट हुआ था। दरअसल जस्टिस आदि बीजेपी के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में कांग्रेस सरकार ने बीजेपी को बैकफुट पर करने के लिए उनका नाम उछाल था। बीजेपी कह रही थी कि कांग्रेस लोकायुक्त दफ्तर में व्याप्त भ्रष्टाचार को शह देती रही ताकि उसका हित सधता रहे।
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