फाइल फोटो
चेन्नई:
तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता दिल का दौरा पड़ने से एक दिन पहले पूरी तरह होश में थीं और हृदयाघात के बाद ही उनकी स्थिति बिगड़ने लगी और आखिरकार उनकी मृत्यु हो गई. उनका इलाज करने वाले एम्स के डॉक्टरों की रिपोर्ट में यह बात कही गई है. इसे सोमवार को ही सार्वजनिक किया गया.
चेन्नई के अपोलो अस्पताल में अपनी 3 दिसंबर की सेवा पर दिए गए रिपोर्ट में डॉक्टर जी.सी. खिलनानी तथा तीन अन्य डॉक्टरों ने कहा है, 'वह पूरी तरह होश में थीं. वह कुर्सी पर करीब 20 मिनट तक बैठ सकती थीं, लेकिन खड़ी नहीं हो पा रही थीं क्योंकि मांसपेशियों में कमजोरी थी.' राज्य सरकार ने एम्स तथा अपोलों के डॉक्टरों की रिपोर्ट सार्वजनिक की.
एम्स की टीम ने कहा, उन्होंने सलाह दिया था कि उन्हें फिजियोथेरेपी की जरूरत पड़ेगी, लेकिन उनकी पॉलीन्यूरोपैथी की गंभीर बीमारी के इतिहास को देखते हुए, उनके पूरी तरह ठीक होने में कई सप्ताह से लेकर कई महीने लग सकते थे. टीम उसी दिन दिल्ली वापस चली गई और फिर 5 दिसंबर को वापस लौटी. वह टीम की चौथी और अंतिम यात्रा थी.
टीम को पहुंचने पर बताया गया कि 4 दिसंबर को शाम साढ़े चार बजे जयललिता को दिल का दौरा पड़ा था और उन्हें 45 मिनट तक होश में लाने का प्रयास किया गया, फिर उनके सीने पर मालिश की गई और उन्हें ईसीएमओ तथा बाहर से लगने वाले पेसमेकर पर रखा गया. रिपोर्ट में कहा गया है, उनके शरीर का तापमान हमेशा सामान्य से कम रहता था और उनका लगातार हेमोडायलिसिस हो रहा था.
रिपोर्ट में कहा गया है, 'न्यूरोलॉजिस्ट ने कहा कि किसी प्रयास का कोई परिणाम नहीं हो रहा है, हालांकि शरीर का तापमान कम होने के कारण सही स्थिति का पता नहीं चल रहा था. यह तय किया गया है, पहले उनके शरीर का तापमान सामान्य किया जाए, फिर दोबारा स्थिति जांची जाए.'
एम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 'शरीर का तापमान सामान्य होने के बाद रात करीब 10 बजे फिर से स्थिति देखी गई, तभी रक्तचाप में तेजी से गिरावट दर्ज किया गया और जब ईसीएमओ लगाया गया तो पता चला कि हृदय ने काम करना बंद कर दिया है.' उसमें कहा गया है, 'तभी पेसमेकर लगाने के बाद भी ईसीजी मॉनिटर पर सीधी लाइन ही आ रही थी. कोई न्यूरोलॉजिकल सुधार नहीं था, जैसा कि न्यूरोलॉजिस्ट ने कहा था और सभी मानदंड जीवन रक्षक प्रणाली की निरर्थकता दिखा रहे थे.' एम्स की टीम ने आखिरकार तय किया कि इस संबंध में परिजनों आदि से अपोलो की टीम बात करेगी. उनका 5 दिसंबर को निधन हो गया. एम्स की टीम 6 दिसंबर की सुबह दिल्ली लौट गई.
वहीं चेन्नई में अपोलो अस्पताल ने अपनी रिपोर्ट में निधन की तीन वजहें बताई हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी पुरानी मेडिकल हिस्ट्री मोटापा, उच्च रक्तचाप, थॉयरॉयड की बेहद खराब स्थिति, डायरिया की गंभीर बीमारी और गंभीर मौसमी ब्रोंकाइटिस आदि ने विभिन्न समस्याओं को जन्म दिया.
रिपोर्ट के मुताबिक, 'एटोपिक डर्मेटाइटिस (एक प्रकार का एग्जिमा) के लिए वह स्टेरॉयड का डोज खा रही थीं. पांच-सात दिन से बुखार और आंतों की समस्या भी हो रही थी.' जब उन्हें भर्ती कराया गया तो परीक्षण में कई बीमारियां और संक्रमण सामने आए. उसे देखते हुए 18 डॉक्टरों की एक टीम बनाई गई और एम्स की टीम सहित 13 डॉक्टरों के विचार लिए गए.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
चेन्नई के अपोलो अस्पताल में अपनी 3 दिसंबर की सेवा पर दिए गए रिपोर्ट में डॉक्टर जी.सी. खिलनानी तथा तीन अन्य डॉक्टरों ने कहा है, 'वह पूरी तरह होश में थीं. वह कुर्सी पर करीब 20 मिनट तक बैठ सकती थीं, लेकिन खड़ी नहीं हो पा रही थीं क्योंकि मांसपेशियों में कमजोरी थी.' राज्य सरकार ने एम्स तथा अपोलों के डॉक्टरों की रिपोर्ट सार्वजनिक की.
एम्स की टीम ने कहा, उन्होंने सलाह दिया था कि उन्हें फिजियोथेरेपी की जरूरत पड़ेगी, लेकिन उनकी पॉलीन्यूरोपैथी की गंभीर बीमारी के इतिहास को देखते हुए, उनके पूरी तरह ठीक होने में कई सप्ताह से लेकर कई महीने लग सकते थे. टीम उसी दिन दिल्ली वापस चली गई और फिर 5 दिसंबर को वापस लौटी. वह टीम की चौथी और अंतिम यात्रा थी.
टीम को पहुंचने पर बताया गया कि 4 दिसंबर को शाम साढ़े चार बजे जयललिता को दिल का दौरा पड़ा था और उन्हें 45 मिनट तक होश में लाने का प्रयास किया गया, फिर उनके सीने पर मालिश की गई और उन्हें ईसीएमओ तथा बाहर से लगने वाले पेसमेकर पर रखा गया. रिपोर्ट में कहा गया है, उनके शरीर का तापमान हमेशा सामान्य से कम रहता था और उनका लगातार हेमोडायलिसिस हो रहा था.
रिपोर्ट में कहा गया है, 'न्यूरोलॉजिस्ट ने कहा कि किसी प्रयास का कोई परिणाम नहीं हो रहा है, हालांकि शरीर का तापमान कम होने के कारण सही स्थिति का पता नहीं चल रहा था. यह तय किया गया है, पहले उनके शरीर का तापमान सामान्य किया जाए, फिर दोबारा स्थिति जांची जाए.'
एम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 'शरीर का तापमान सामान्य होने के बाद रात करीब 10 बजे फिर से स्थिति देखी गई, तभी रक्तचाप में तेजी से गिरावट दर्ज किया गया और जब ईसीएमओ लगाया गया तो पता चला कि हृदय ने काम करना बंद कर दिया है.' उसमें कहा गया है, 'तभी पेसमेकर लगाने के बाद भी ईसीजी मॉनिटर पर सीधी लाइन ही आ रही थी. कोई न्यूरोलॉजिकल सुधार नहीं था, जैसा कि न्यूरोलॉजिस्ट ने कहा था और सभी मानदंड जीवन रक्षक प्रणाली की निरर्थकता दिखा रहे थे.' एम्स की टीम ने आखिरकार तय किया कि इस संबंध में परिजनों आदि से अपोलो की टीम बात करेगी. उनका 5 दिसंबर को निधन हो गया. एम्स की टीम 6 दिसंबर की सुबह दिल्ली लौट गई.
वहीं चेन्नई में अपोलो अस्पताल ने अपनी रिपोर्ट में निधन की तीन वजहें बताई हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी पुरानी मेडिकल हिस्ट्री मोटापा, उच्च रक्तचाप, थॉयरॉयड की बेहद खराब स्थिति, डायरिया की गंभीर बीमारी और गंभीर मौसमी ब्रोंकाइटिस आदि ने विभिन्न समस्याओं को जन्म दिया.
रिपोर्ट के मुताबिक, 'एटोपिक डर्मेटाइटिस (एक प्रकार का एग्जिमा) के लिए वह स्टेरॉयड का डोज खा रही थीं. पांच-सात दिन से बुखार और आंतों की समस्या भी हो रही थी.' जब उन्हें भर्ती कराया गया तो परीक्षण में कई बीमारियां और संक्रमण सामने आए. उसे देखते हुए 18 डॉक्टरों की एक टीम बनाई गई और एम्स की टीम सहित 13 डॉक्टरों के विचार लिए गए.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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