वाराणसी:
'शहनाई के शहंशाह' उस्ताद बिस्म्मिल्लाह खान की सोमवार को 11 वीं पुण्यतिथि थी. इस मौके पर उस्ताद को उनके चाहने वालों ने याद किया. उनके मजार पर फूल माला चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इस मौके पर वहां जुटे लोगों ने उस्ताद की सादगी की चर्चा भी की और इस बात का मलाल भी व्यक्त किया कि कला एवं संस्कृति की इस नगरी के कलाकारों को संस्कृति विभाग या कोई दूसरी सरकारी संस्थाएं सिर्फ कागजों में याद करती हैं. इन विभागों का आलम ये है कि इन्हें किसी भी कलाकार की जन्म या पुण्यतिथि तक याद नहीं रहती है. यही वजह है कि भारत रत्न उस्ताद बिस्म्मिल्लाह खान की 11वीं पुण्यतिथि पर संस्कृति विभाग की तरफ से कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया.
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ये बात इसलिए भी अहम है क्योंकि डेढ़ साल पहले यूनेस्को ने क्रिएटिव सिटीज ऑफ नेटवर्क के तहत बनारस को सिटी ऑफ म्यूजिक का खिताब दिया था. इसके बाद वादा किया गया था की बनारस के संगीत और इससे जुड़े फनकारों की यादों को समृद्ध किया जाएगा. उनकी यादों में उत्सव होंगे, लेकिन बिस्म्मिल्लाह की याद उसी खामोशी से गुजर गई, जिस फकीरी में उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी गुजारी.
VIDEO: गायब हुई उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की शहनाई बात सिर्फ इतनी ही नहीं है उस्ताद के इंतकाल के बाद उनके मजार पर भव्य मकबरा बनने की बात थी, जो कई साल के मशक्कत के बाद तैयार तो हो गया है, लेकिन यह अब भी अपने लोकार्पण के इंतज़ार में है. ऐसा इसलिए क्योंकि विभाग को अभी सरकारी तौर पर हैंडओवर नहीं मिला है. बहरहाल इन सबके बीच उस्ताद के चाहने वाले हर वर्ष पूरी शिद्दत के साथ उन्हें जरूर याद करते हैं.
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