दिल्ली के तुगलकाबाद में दो परिवारों के बीच जमीन के टुकड़े को लेकर विवाद

15 अगस्त को दोनों पक्षों के बीच जमकर मारपीट हुई, जाटव समाज के लोगों का आरोप है कि बाबा साहेब आंबेडकर की मूर्ति को खंडित कर उन्हें तिरंगा फहराने से रोका गया

दिल्ली के तुगलकाबाद में दो परिवारों के बीच जमीन के टुकड़े को लेकर विवाद

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली:

दिल्ली के तुग़लकाबाद इलाके में ज़मीन के एक टुकड़े को लेकर गुर्जर और जाटव परिवार के लोगों में आपसी विवाद गहराता जा रहा है. 15 अगस्त को दोनों पक्षों के बीच जमकर मारपीट भी हुई. जाटव समाज के लोगों का आरोप है कि बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्ति को खंडित कर उन्हें तिरंगा फहराने से रोका गया. इस मामले में दक्षिणी पूर्वी दिल्ली के डीसीपी आरपी मीणा के मुताबिक 15 अगस्त को एक पीसीआर मिली, बताया गया कि 150 लोग बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर की मूर्ति के पास इकठ्ठा हैं और प्रतिमा को अनाधिकृत रूप से स्थापित किया गया है और वहां किसी को आने की अनुमति नहीं हैं. फिर और भी फ़ोन आए जहां फोन करने वाले ने सूचित किया कि दलित समाज के लोगों को गुर्जर समुदाय के कुछ लोगों द्वारा बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा के पास राष्ट्रीय ध्वज फहराने से रोका जा रहा है. सूचना मिलने पर पुलिस तुग़लकाबाद मौके पर पहुंची जहां उस प्लॉट पर पर 50-60 लोगों का जमावड़ा पाया, जहां बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित की गई थी, जो बरकरार थी और बगल में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था. पूछताछ करने पर पता चला कि जाटव समुदाय के परिवारों और गुर्जर समुदाय के जितेंद्र के परिवार के बीच कहासुनी हुई थी. दोनों पक्ष एक ही मोहल्ले के हैं और बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति वाले प्लॉट पर भीड़ जमा होने को लेकर विवाद था, जब बाबा साहब के अनुयायी झंडा फहरा रहे थे.

जितेंद्र और उनके परिवार ने दावा किया कि वे 'त्रिपाल' और 'बल्ली' को हटाकर उनकी निजी भूमि में प्रवेश कर रहे थे, जिसे उन्होंने मवेशियों के प्रवेश को रोकने के लिए जमीन को घेरने के लिए बनाया था. इसलिए कहा-सुनी हुई और कुछ लोग जिनमें चरण, रवि, माया, कमलेश, प्रवीण, सरिता और सावित्री सभी जाटव मोहल्ला के निवासी और दूसरी तरफ से जितेंद्र मारपीट में घायल हो गए. चंद्रपाल से शिकायत मिलने पर जितेंद्र, उसके दो सगे भाइयों दीपक और रिंकू और उसकी मां शकुंतला और 8 व्यक्तियों के खिलाफ मारपीट, दंगा करने और एससी/एसटी एक्ट के तहत गोविंदपुरी थाने में केस दर्ज किया गया. जांच में आगे पता चला है कि दोनों पक्षों का जमीन के एक टुकड़े को लेकर पुराना विवाद है जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से संबंधित है. एक पक्ष यानी जितेंद्र और उनका परिवार पिछले कई वर्षों से उस प्लॉट पर कब्जा करने का दावा करता है जबकि दूसरा पक्ष यानी जाटव समुदाय इस भूमि के खाली हिस्से का उपयोग अपने सामुदायिक और सामाजिक समारोहों के लिए करना चाहता है.

यहां यह भी उल्लेख करना उचित है कि 2015 में चंद्रपाल द्वारा एक मामला एससी/एसटी एक्ट में तहत जितेंद्र के परिवार के खिलाफ दर्ज कराया गया था. उस केस को दिल्ली हाइकोर्ट ने रद्द कर दिया गया था, क्योंकि दोनों पक्षों ने इस आधार पर मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया था कि राजबीर खाली भूखंड का कुछ हिस्सा जाटव समुदाय को सामाजिक कार्यों के लिए देंगे.

इसी साल 14-15 अप्रैल की दरमियानी रात को मामला फिर तब भड़क उठा जब बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित की गई और जितेंद्र द्वारा इस संबंध में पीसीआर कॉल की गई. लेकिन जाटव समुदाय का आरोप है कि प्रतिमा जितेंद्र ने खुद लगाई थी, चंद्रपाल ने बताया कि उस दिन जाटव परिवारों द्वारा उक्त खाली भूमि पर अंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर टेंट लगाकर जागरण का आयोजन किया गया था और रात में जब टेंट हटाया गया तो मूर्ति स्थापित पाई गई.

इसके बाद इसी साल 16 मई को फिर से दोनों पक्षों द्वारा पीसीआर कॉल की गई. जाटव समुदाय के सदस्यों ने आरोप लगाया कि दोपहर करीब दो बजे अखिल भारतीय अंबेडकर महासभा के सदस्य मास्क बांटने गांव तुगलकाबाद पहुंचे. वे उस भूखंड पर एकत्र हुए जहां बाबा साहब डॉ भीम राव अंबेडकर की मूर्ति स्थापित की गई थी, लेकिन जितेंद्र और उनके परिवार ने विरोध किया और सभा के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणी के साथ महिलाओं को धक्का देना और गाली देना शुरू कर दिया. दूसरी ओर जितेंद्र और उनके परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि सभा सामाजिक दूरी का पालन नहीं कर रही थी और उन्होंने इसका विरोध किया. दोनों पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ लगातार शिकायतें करते रहते हैं.

मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए एसडीएम कालकाजी और भूमि अधिकार संरक्षण सहायक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, दिल्ली सर्कल, सब सर्कल तुगलकाबाद, को सरकारी,एएसआई भूमि पर अतिक्रमण के बारे में सूचित किया गया. दोनों पक्षों के बीच शांति भंग की आशंका थी, इसलिए धारा 107/150 Cr.P.C के तहत कार्रवाई की गई. इसके बाद, संरक्षण सहायक सब-सर्कल तुगलकाबाद, गोविंदपुरी, दिल्ली की शिकायत पर जाटव मोहल्ला, कमान के चंदरपाल, शशिश्राम, राजाराम, रॉबिन द्वारा एएसआई की भूमि पर अतिक्रमण के संबंध में एनसीआर नंबर 42/21 दिनांक 20/04/21 दर्ज किया गया था.

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अब तक की जांच से यह स्पष्ट है कि बाबा साहब की मूर्ति कुछ महीने पहले की थी और इसे कभी किसी ने अपवित्र नहीं किया. आगे के मामले की जांच एसीपी कर रही है.