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This Article is From May 07, 2020

कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले दिल्‍ली पुलिस के जवान को एक अस्‍पताल ने कथित तौर पर भर्ती करने से किया था इनकार..

कॉन्स्टेबल अमित राणा की अचानक तबियत बिगड़ी और 24 घंटे के अंदर ही मौत हो गई, समय पर वेंटिलेटर मिल जाता तो बच सकती थी जान

कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले दिल्‍ली पुलिस के जवान को एक अस्‍पताल ने कथित तौर पर भर्ती करने से किया था इनकार..
दिल्ली पुलिस के कॉन्स्टेबल अमित राणा (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

Delhi Coronavirus: दिल्ली के 31 साल के कॉन्स्टेबल अमित राणा सोमवार की शाम को बिल्कुल स्वस्थ्य थे. उन्हें अहसास तक नहीं था कि कोविड 19 वायरस उनके शरीर पर हमला कर चुका है. लेकिन अचानक उनकी तबियत बिगड़ी और 24 घंटे के अंदर ही उनकी मौत हो गई. उनकी मौत डरावनी इसलिए है क्योंकि ये बताती है कि कोविड 19 वायरस किस कदर खतरनाक है और हम और सरकार इसे लेकर कितने लापरवाह हैं. 31 वर्षीय कांस्टेबल अमित राणा कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले दिल्‍ली के पहले पुलिसकर्मी हैं. उनके इलाज के दौरान कथित तौर पर लापरवाही सामने आई है. आरोप है कि कथित तौर पर एक अस्‍पताल ने उन्‍हें भर्ती करने से इनकार कर दिया जबकि एक अन्‍य अस्‍पताल ने भर्ती तो किया लेकिन कोरोना के लक्षण दिखने और हालत बिगड़ने के बावजूद डिस्‍चार्ज कर दिया. गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस के 80 जवान कोरोनो संक्रमित हो चुके हैं. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के नितिन राणा की कर्तव्‍यनिष्‍ठा को सेल्‍यूट किया है और उनके परिजनों को एक करोड़ रुपये की सम्‍मान राशि देने का ऐलान किया है.

जानकारी के मुताबिक भरत नगर थाने में तैनात अमित सोमवार की शाम ड्यूटी करके अपने रूम में लौटे तब उन्हें हल्का बुखार आया और वे दवा लेकर सो गए. लेकिन रात करीब 2 बजे जब उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी तो उन्होंने अपने रूम पार्टनर को बताया. इसके बाद अमित को गर्म पानी और चाय दी लेकिन उनकी तबियत में कोई सुधार नहीं हुआ. उसके बाद मंगलवार सुबह तड़के उनका रूम पार्टनर उन्हें लेकर अशोक विहार इलाके में जहां पुलिस कर्मियों का कोरोनो टेस्ट सेंटर है वहां ले गया. लेकिन वहां उन्हें बताया कि यहां केवल कोरोनो का टेस्ट हो सकता है, भर्ती नहीं कर सकते. उसके बाद उसे बाबा साहब अम्बेडकर अस्पताल ले जाया गया. वहां भी कहा कि वे अमित को एडमिट नहीं कर सकते. 

इसके बाद एसएचओ भरत नगर राम मोहर मीणा ने फोन कर कॉन्स्टेबल को दीपचंद बंधु अस्पताल ले जाने के लिए कहा. जब अमित को ले जाया गया तो अस्पताल के डॉक्टरों ने कुछ दवा दी जिससे अमित की हालत में सुधार हुआ. उसके बाद डॉक्टरों ने उसे कोरोनो टेस्ट कराने के लिए कहा. उत्तरी पश्चिमी जिले की डीसीपी विजयंता आर्या के मुताबिक उसके बाद अमित का अशोक विहार कोरोनो टेस्ट के सेंटर में टेस्ट हुआ और फिर उसे आराम करने की सलाह  दी गई. डॉक्टरों ने उससे कहा कि वो अपने कमरे में ही क्वारेंटाइन रहे. अमित टेस्ट कराने के बाद अपने कमरे में वापस लौट आया. लेकिन मंगलवार शाम उसकी तबियत फिर से बिगड़ गई. 

विजयंता आर्या के मुताबिक जैसे ही इसकी जानकारी एसएचओ को मिली उन्होंने फौरन आरएमएल अस्पताल में बात करके अमित को वहां भेजा लेकिन अमित ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. एसएचओ राम मनोहर मीणा को भी इस खतरे का अहसास नहीं था और उन्होंने थाने में मंगलवार को शादी की सालगिरह का केक भी काटा, जिसे लेकर उनकी आलोचना हो रही है. बुधवार को अमित की रिपोर्ट भी आ गई जिसमें पता चला कि वे कोरोना पॉजिटिव थे.

अब सवाल ये खड़ा होता है कि समय पर अमित को वेंटीलेटर मिल जाता तो क्या उसकी जान बच सकती थी. महज़ 24 घंटे में ही अमित को कोरोनो के लक्षण आए और उसकी मौत हो गई. ये हर किसी के लिए डरावना है. बुधवार को दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने ट्वीट कर कहा कोरोनो से लड़ाई लड़ने वाले हमने अपने एक योद्धा को खो दिया. अमित का बलिदान याद रखा जाएगा. हम मांग करते हैं कि दिल्ली सरकार मुआवजे के तौर पर अमित के परिवार को एक करोड़ रुपये दे.सोनीपत के रहने वाले अमित शादीशुदा थे और उनका 3 साल का बेटा भी है. दिल्ली में किसी दिल्ली पुलिस के जवान की कोरोनो से ये पहली मौत है. दिल्ली पुलिस के 80 जवान कोरोनो संक्रमित हो चुके हैं.

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